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Navratri Sixth Day 2025 | नवरात्रि का छठा दिन 2025 | माँ कात्यायनी (Maa Katyayani), मंत्र, कथा, पूजा विधि

Last Updated: 26 March 2025

Navratri Sixth Day 2025: माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) देवी दुर्गा के नौ रूपों में से छठा रूप हैं। वह शक्ति, साहस, और करुणा की प्रतीक मानी जाती हैं। उनके नाम “कात्यायनी” का अर्थ है “कात्यायन ऋषि की पुत्री“। पुराणों के अनुसार, कात्यायन ऋषि ने देवी को पुत्री रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप माँ कात्यायनी का जन्म हुआ। माँ कात्यायनी को युद्ध की देवी के रूप में भी जाना जाता है, जो अपने भक्तों के शत्रुओं का नाश करती हैं और उन्हें बुराई से मुक्ति दिलाती हैं।

माँ कात्यायनी कौन हैं? (Maa Katyayani In Hindi)

माँ कात्यायनी ब्रह्मांड की रक्षा के लिए राक्षसों का विनाश करने वाली देवी हैं। वह देवी महिषासुरमर्दिनी का रूप भी हैं, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था। हिन्दू धर्म में माँ कात्यायनी को असीम शक्ति और अद्वितीय सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। वह सिंह की सवारी करती हैं और उनके चार हाथ होते हैं। एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल, तीसरा हाथ वर मुद्रा में और चौथा अभय मुद्रा में होता है, जो भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करता है।

माँ कात्यायनी का स्वरूप (Maa Katyayani Ka Swaroop)

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत सौम्य और दिव्य है। उनका शरीर स्वर्णिम आभा से युक्त होता है और उनका मुखमंडल तेजस्वी एवं दैदीप्यमान होता है। वह चार भुजाओं वाली हैं, जिनमें वह शक्ति और करुणा का संतुलन प्रदर्शित करती हैं। उनके एक हाथ में तलवार होती है, जो शक्ति और न्याय का प्रतीक है, जबकि अन्य हाथों में कमल का फूल, जो शांति और सौंदर्य का प्रतीक है। उनका वर मुद्रा भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने का संकेत देती है, और अभय मुद्रा भक्तों को निर्भयता और सुरक्षा का अनुभव कराती है।

माँ कात्यायनी की सवारी सिंह है, जो शक्ति, साहस और दृढ़ता का प्रतीक है। उनका सम्पूर्ण रूप भक्तों के जीवन में शक्ति और शांति का समावेश करता है।

माँ कात्यायनी का महत्व (Maa Katyayani Significance)

माँ कात्यायनी का महत्व विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन होता है। उन्हें समर्पित यह दिन भक्तों के लिए विजय, साहस, और भयमुक्ति का प्रतीक होता है। माँ कात्यायनी की पूजा से भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, बाधाओं का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं माँ कात्यायनी की पूजा करती हैं ताकि उन्हें योग्य वर की प्राप्ति हो। मान्यता है कि जो लोग माँ कात्यायनी की उपासना करते हैं, उन्हें विवाह संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

माँ कात्यायनी का आशीर्वाद जीवन में संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति लाता है। उनकी कृपा से मनुष्य में आत्मविश्वास, साहस, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे वह अपने जीवन के सभी कष्टों को पार कर सकता है।

नवरात्रि के छठे दिन (Navratri Sixth Day) माँ कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani Puja Vidhi)

नवरात्रि के छठे दिन (Navratri Sixth Day) माँ कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से विधिपूर्वक की जाती है। यह दिन शक्ति और साहस के संचार का दिन माना जाता है। इस दिन पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जाता है:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: पूजा से पहले स्वयं को शुद्ध जल से स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. माँ कात्यायनी की मूर्ति या चित्र: माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर रखें और उसे स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
  3. पूजा सामग्री: पूजा के लिए रोली, चंदन, धूप, दीप, फूल, नैवेद्य (फल, मिठाई), अक्षत, पान-सुपारी आदि सामग्री एकत्रित करें।
  4. आरंभ में गणेश वंदना: सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा कर, उनसे विध्नहर्ता के रूप में पूजा की सफलता की कामना करें।
  5. मंत्र जाप और स्तुति: माँ कात्यायनी के विशेष मंत्र का जाप करें। “ॐ ह्रीं कात्यायनी देव्यै नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ का ध्यान करें। माँ की स्तुति और आरती करें।
  6. प्रसाद अर्पण: माँ को नैवेद्य और फल अर्पित करें। शहद का विशेष प्रसाद चढ़ाना शुभ माना जाता है।
  7. आरती और भजन: पूजा के बाद माँ कात्यायनी की आरती गाएं और भक्तिभाव से भजन का आनंद लें।
  8. कन्या पूजन: इस दिन कुंवारी कन्याओं का पूजन भी किया जाता है। उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद प्राप्त करना शुभ माना जाता है।
  9. शांति और ध्यान: पूजा के अंत में माँ कात्यायनी से प्रार्थना करें कि वह आपके जीवन से सभी कष्टों को दूर करें और सुख-शांति प्रदान करें।

माँ कात्यायनी मंत्र (Maa Katyayani Mantra, Stotra)

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

प्रार्थना
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

स्तोत्र

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥

माँ कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani Ki Katha)

माँ कात्यायनी की कथा पौराणिक काल से जुड़ी है। मान्यता है कि प्राचीन काल में एक महान ऋषि कात्यायन ने देवी दुर्गा की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें वरदान दिया कि वह उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। समय बीतने के साथ महिषासुर नामक असुर ने धरती पर उत्पात मचाया, जिसके चलते देवताओं और मनुष्यों को पीड़ा सहनी पड़ी। तब सभी देवताओं ने मिलकर देवी से प्रार्थना की कि वह महिषासुर का अंत करें। देवी ने कात्यायन ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और उन्हें कात्यायनी नाम दिया गया।

माँ कात्यायनी ने अपने असाधारण साहस और शक्ति से महिषासुर का वध किया। इस कारण उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है। उन्होंने महिषासुर के अत्याचारों से सभी देवताओं और मानवों को मुक्त किया और जगत में धर्म और शांति की स्थापना की। माँ कात्यायनी का यह रूप शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है।

नवरात्रि के छठवें दिन का व्रत (Navratri Sixth Day 2025 Vrat)

नवरात्रि के छठवें दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है और इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। व्रतधारी इस दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और माँ कात्यायनी का ध्यान करते हुए पूजा-अर्चना करते हैं। व्रत में फलाहार और शुद्ध आहार का सेवन किया जाता है, जिसमें अनाज का त्याग होता है। इस दिन माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है। व्रत रखने से भक्तों को शत्रुओं पर विजय, मानसिक शांति, और इच्छाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी फोटो (Navratri Sixth Day 2025 Maa Katyayani Images)

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी फोटो (Navratri Sixth Day 2025 Maa Katyayani Image One
Navratri Sixth Day 2025 Maa Katyayani Image One
नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी फोटो (Navratri Sixth Day 2025 Maa Katyayani Image Two
Navratri Sixth Day 2025 Maa Katyayani Image Two

माँ कात्यायनी का प्रिय रंग और भोग (Maa Katyayani Ka Priya Bhog aur Priya Rang)

माँ कात्यायनी का प्रिय रंग लाल है। यह रंग शक्ति, साहस और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के छठे दिन भक्तों को लाल या गुलाबी वस्त्र पहनकर माँ की पूजा करनी चाहिए। इससे माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के जीवन में उन्नति, सुरक्षा, और विजय का मार्ग प्रशस्त होता है।

माँ कात्यायनी को शहद का भोग अत्यंत प्रिय है। इसे अर्पित करने से माँ प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मधुरता, प्रेम और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा, माँ को फल, मिठाई, और विशेष रूप से गुड़ का भोग भी चढ़ाया जा सकता है।

माँ कात्यायनी की पूजा से लाभ

माँ कात्यायनी की पूजा से भक्तों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। उनका आशीर्वाद सभी प्रकार के भय, शत्रुओं और कष्टों का नाश करता है। जो लोग अपने जीवन में शत्रुओं और बाधाओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए माँ कात्यायनी की पूजा अत्यंत प्रभावकारी मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, जो कन्याएं विवाह संबंधी समस्याओं का सामना कर रही हैं, उन्हें भी माँ की पूजा करने से उचित वर की प्राप्ति होती है।

माँ कात्यायनी की पूजा से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है। यह पूजा जीवन में साहस, आत्मविश्वास और धैर्य को बढ़ाती है। माँ कात्यायनी का आशीर्वाद जीवन में शांति, समृद्धि और सद्गुणों की प्राप्ति करवाता है। इसके साथ ही, जो लोग आध्यात्मिक उन्नति की चाह रखते हैं, उनके लिए भी यह पूजा अत्यंत फलदायी होती है।

निष्कर्ष

माँ कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। वह शक्ति और साहस की प्रतीक हैं और उनके आशीर्वाद से भक्तों का जीवन समृद्ध और सुरक्षित बनता है। माँ का प्रिय रंग लाल और प्रिय भोग शहद है, जो उनके प्रति समर्पण और श्रद्धा को और भी गहरा करता है। माँ कात्यायनी की पूजा न केवल भय और कष्टों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और आत्मविश्वास का भी संचार करती है। इस प्रकार, माँ कात्यायनी की उपासना हमारे जीवन में शक्ति, संतुलन और शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।

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