Navratri 5th Day 2025|नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के किस रूप की होती है पूजा| जाने प्रिय भोग,मंत्र और पांचवें दिन की पूजा विधि….

Last Updated: 24 September 2025

Shardiya Navratri 5th Day 2025: नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि और शक्ति की आराधना का विशेष अवसर भी है। नवरात्रि में नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन स्वरूपों में पांचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का विधान है। इन्हें शक्तिस्वरूपिणी, करुणामयी और वात्सल्यमयी देवी माना जाता है। माँ स्कंदमाता का स्वरूप भक्तों के लिए अद्वितीय और अत्यंत कल्याणकारी है।

नवरात्रि
Shardiya Navratri 5th Day 2025

नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के किस रूप की होती है पूजा?

नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित है क्योंकि यह दिन विशेष रूप से भक्तों के ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को जागृत करने वाला माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन की पूजा से न केवल सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। माँ स्कंदमाता की कृपा से साधक को अलौकिक शांति और अद्भुत ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

माँ स्कंदमाता का स्वरूप

माँ स्कंदमाता का नाम उनके पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) के कारण पड़ा। कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ और देवताओं की विजय असंभव प्रतीत होने लगी, तब माँ पार्वती ने कार्तिकेय को जन्म दिया। कार्तिकेय ने देवसेना का नेतृत्व किया और तारकासुर जैसे महाशक्तिशाली राक्षस का संहार किया। इस कारण माता को “स्कंदमाता” कहा जाता है।

माँ स्कंदमाता की मूर्ति अत्यंत दिव्य मानी जाती है। वे अपने गोद में बाल स्कंद को धारण करती हैं और स्वयं सिंह की सवारी करती हैं। उनके चार हाथों में से दो हाथों में कमल के पुष्प हैं, एक हाथ से वे वरद mudra देती हैं और चौथे हाथ से बाल स्कंद को संभाले रहती हैं। यह रूप मातृत्व, शक्ति, करुणा और साहस का अद्भुत संगम है।

माँ स्कंदमाता को कौन सा रंग प्रिय है और क्यों?

नवरात्रि में प्रत्येक देवी का एक विशेष रंग माना जाता है। स्कंदमाता का प्रिय रंग पीला है। पीला रंग ज्ञान, ऊर्जा, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है। यह सूर्य की तरह तेजस्विता और उज्ज्वलता को दर्शाता है। इस दिन भक्त पीले वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं, घर को पीले फूलों से सजाते हैं और पीले भोग का अर्पण करते हैं।

पीले रंग का महत्व इस कारण भी है कि यह वैराग्य और तप का सूचक है। स्कंदमाता ज्ञान की देवी मानी जाती हैं, इसलिए पीले रंग की आभा में उनकी पूजा करने से साधक को बुद्धि, विवेक और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। भक्त मानते हैं कि पीले रंग के प्रयोग से देवी की विशेष कृपा मिलती है और जीवन की अंधकारमयी राह में प्रकाश फैलता है।

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Maa Skandmata Image

माँ स्कंदमाता को प्रिय भोग

देवी स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए विशेष भोग अर्पित किया जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि उन्हें केले का फल और पीले रंग की मिठाइयाँ अति प्रिय हैं। केले का फल शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, यह संतोष और स्वास्थ्य प्रदान करता है। भक्त इस दिन केले, बूंदी, मोतीचूर के लड्डू, और केसर युक्त खीर का भोग लगाते हैं।

इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में माँ को चने की दाल से बनी मिठाई, हलवा-पूरी और पंचामृत का भोग लगाने की परंपरा भी है। भक्त मानते हैं कि इस दिन स्कंदमाता को प्रिय भोग चढ़ाने से परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

माँ स्कंदमाता की पूजा विधि

नवरात्रि के पांचवें दिन की पूजा विधि अत्यंत पवित्र और सरल मानी जाती है। प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा स्थान पर माँ स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पीले फूल, गंगाजल, रोली, अक्षत, धूप, दीप और प्रसाद की व्यवस्था करें।

सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा कर विघ्नों का निवारण करें, तत्पश्चात स्कंदमाता का ध्यान करें। फिर उन्हें गंगाजल से स्नान कराएँ और पीले फूल अर्पित करें। माँ को पीले वस्त्र चढ़ाएँ और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएँ। पूजा के दौरान देवी के विशेष मंत्रों का जप करें। अंत में आरती कर भक्तजन प्रसाद ग्रहण करें।

माँ स्कंदमाता की उपासना का महत्व

स्कंदमाता की उपासना का महत्व अद्वितीय है। यह दिन भक्तों को आत्मिक शांति, धैर्य और शक्ति प्रदान करता है। जिन भक्तों की संतान नहीं होती, वे इस दिन विशेष रूप से माँ की आराधना करते हैं, क्योंकि स्कंदमाता को संतति प्रदायिनी भी कहा गया है। उनकी कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान का जीवन भी सुरक्षित रहता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो स्कंदमाता की पूजा साधक के हृदय चक्र को जागृत करती है। यह चक्र भक्त को आत्मज्ञान, भक्ति और वैराग्य की ओर अग्रसर करता है। स्कंदमाता की कृपा से भक्त सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ता है।

माँ स्कंदमाता के मंत्र और श्लोक

माँ स्कंदमाता का ध्यान मंत्र

“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥”

इस मंत्र का जप करने से भक्त के जीवन में शुभता और समृद्धि आती है।

माँ स्कंदमाता पूजा मंत्र

“या देवी सर्वभू‍तेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”

यह मंत्र माँ के मातृत्व स्वरूप की महिमा का बखान करता है और भक्तों के सभी दुख दूर करता है।

माँ स्कंदमाता स्तुति श्लोक

“या देवी पद्मासनस्था, या देवी परमेश्वरी।
या देवी हरिवल्लभा, तां देवी स्कंदमातरम् नमाम्यहम्॥”

यह श्लोक स्कंदमाता की आराधना का उत्कृष्ट माध्यम है।

माँ स्कंदमाता की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ

माँ स्कंदमाता की पूजा करने से भक्त को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति स्थापित होती है और जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं। संतानहीन दंपत्ति को संतान का सुख मिलता है और पहले से विद्यमान संतान भी सुरक्षित एवं स्वस्थ रहती है।

भक्तों का मानना है कि माँ स्कंदमाता के आशीर्वाद से व्यक्ति को सांसारिक जीवन की सभी आवश्यकताएँ प्राप्त होती हैं। आर्थिक संकट दूर होते हैं और जीवन में सफलता के द्वार खुलते हैं।

नवरात्रि के पांचवे दिन का आध्यात्मिक प्रभाव

आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्रि का पांचवां दिन साधना और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस दिन साधक ध्यान, मंत्रजप और साधना से अलौकिक अनुभव प्राप्त कर सकता है। माँ स्कंदमाता की पूजा से साधक का मन निर्मल होता है और उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

यह दिन भक्ति और वैराग्य का संतुलन स्थापित करने का संदेश देता है। साधक सांसारिक कार्य करते हुए भी ईश्वर की शरण में रह सकता है। इस प्रकार नवरात्रि का पांचवां दिन साधक को परमात्मा से जोड़ने वाला सेतु बन जाता है।

नवरात्रि का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता की उपासना को समर्पित है। यह दिन भक्ति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति का विशेष अवसर है। माँ का वात्सल्यपूर्ण स्वरूप भक्तों को मातृत्व, शक्ति और सुरक्षा का आशीर्वाद देता है। पीला रंग उनकी पूजा में विशेष महत्व रखता है और यह सकारात्मकता, ज्ञान तथा समृद्धि का प्रतीक है।

माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्त के जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और उसे सुख, शांति, संतान और समृद्धि का वरदान मिलता है। इसीलिए नवरात्रि का पांचवां दिन केवल पूजा का ही नहीं बल्कि आत्मिक उत्थान और मोक्ष की प्राप्ति का अद्भुत मार्ग भी है।

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