Last Updated: 26 March 2025
Navratri 2025 Durga Argala Stotram in Hindi: नवरात्रि के पावन अवसर पर दुर्गा अर्गला स्तोत्र (Durga Argala Stotram) का पाठ करने से माता दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे “बाधाओं की कुंडी” माना जाता है। इस लेख में जानिए अर्गला स्तोत्र का हिंदी पाठ (Argala Stotram Lyrics in Hindi), इसका अर्थ (Argala Stotram Meaning) और चमत्कारी लाभ (Argala Stotram Benefits)।
दुर्गा अर्गला (Durga Argala) देवी दुर्गा की स्तुति में की जाने वाली एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जिसे विशेष रूप से उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। अर्गला का अर्थ होता है ‘द्वार की कुंडी’ या बाधा, और इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है। यह स्तोत्र दुर्गा सप्तशती का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे देवी महात्म्य भी कहा जाता है। इसमें देवी दुर्गा की महिमा और उनके द्वारा की गई विभिन्न लीलाओं का वर्णन होता है।
दुर्गा अर्गला स्तोत्र (Durga Argala Stotram) को देवी भगवती की कृपा प्राप्त करने, रोगों से मुक्ति, धन-धान्य की वृद्धि और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है। इस स्तोत्र में देवी के विभिन्न रूपों का आह्वान किया जाता है और उनसे सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है।
दुर्गा अर्गला स्तोत्र क्या है? (What is Durga Argala Stotram?)
अर्गला का अर्थ है “बंद द्वार की कुंडी”। यह स्तोत्र देवी दुर्गा के भक्तों के जीवन से सभी बाधाएँ हटाकर उन्हें सुख, समृद्धि और विजय प्रदान करता है। इसे नवरात्रि (Navratri 2025) में विशेष रूप से पढ़ा जाता है।
दुर्गा अर्गला स्तोत्र के लाभ (Durga Argala Stotram Benefits)
- बाधाओं का नाश: जीवन की हर रुकावट दूर होती है।
- शत्रु पर विजय: दुश्मनों का डर खत्म होता है।
- धन-समृद्धि: आर्थिक संकट दूर होते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: रोगों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक शक्ति: मन शांत और एकाग्र होता है।

दुर्गा अर्गला (Durga Argala Stotram) का महत्व
- बाधाओं को दूर करना: दुर्गा अर्गला का पाठ करने से जीवन की हर प्रकार की बाधाएं और समस्याएं दूर होती हैं। व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
- शत्रु नाश: यह स्तोत्र शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। इसके पाठ से दुश्मनों का प्रभाव कम होता है और व्यक्ति को आत्मरक्षा की शक्ति प्राप्त होती है।
- धन और समृद्धि: दुर्गा अर्गला का नियमित पाठ करने से देवी की कृपा से धन-धान्य और समृद्धि की वृद्धि होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं।
- स्वास्थ्य लाभ: इसका पाठ करने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति निरोगी और दीर्घायु रहता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: दुर्गा अर्गला का पाठ न केवल भौतिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है। इससे व्यक्ति का मन शुद्ध और शांत होता है, जिससे उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
दुर्गा अर्गला स्तोत्र कैसे पढ़ें? (How to Chant Argala Stotram?)
- सुबह स्नान के बाद लाल या पीले आसन पर बैठकर पढ़ें।
- दीपक और अगरबत्ती जलाकर देवी का आह्वान करें।
- नवरात्रि में 9 दिन नियमित पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
दुर्गा अर्गला स्त्रोत्र (Durga Argala Stotram In Hindi Lyrics)
अर्गलास्तोत्रम् श्री
श्रीचण्डिकाध्यानम्
ॐ बन्धूककुसुमाभासां पञ्चमुण्डाधिवासिनीम् .
स्फुरच्चन्द्रकलारत्नमुकुटां मुण्डमालिनीम् ..
त्रिनेत्रां रक्तवसनां पीनोन्नतघटस्तनीम् .
पुस्तकं चाक्षमालां च वरं चाभयकं क्रमात् ..
दधतीं संस्मरेन्नित्यमुत्तराम्नायमानिताम् .
अथवा
या चण्डी मधुकैटभादिदैत्यदलनी या माहिषोन्मूलिनी
या धूम्रेक्षणचण्डमुण्डमथनी या रक्तबीजाशनी .
शक्तिः शुम्भनिशुम्भदैत्यदलनी या सिद्धिदात्री परा
सा देवी नवकोटिमूर्तिसहिता मां पातु विश्वेश्वरी ..
अथ अर्गलास्तोत्रम्
ॐ नमश्वण्डिकायै
मार्कण्डेय उवाच
ॐ जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतापहारिणि .
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते .. १..
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी .
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते .. २..
मधुकैटभविध्वंसि विधातृवरदे नमः .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ३..
महिषासुरनिर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ४..
धूम्रनेत्रवधे देवि धर्मकामार्थदायिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ५..
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ६..
निशुम्भशुम्भनिर्नाशि त्रिलोक्यशुभदे नमः .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ७..
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ८..
अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ९..
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चापर्णे दुरितापहे .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १०..
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. ११..
चण्डिके सततं युद्धे जयन्ति पापनाशिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १२..
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १३..
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि विपुलां श्रियम् .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १४..
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १५..
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १६..
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तञ्च मां कुरु .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १७..
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पनिषूदिनि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १८..
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. १९..
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंसुते परमेश्वरि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २०..
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २१..
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २२..
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २३..
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २४..
भार्यां मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २५..
तारिणि दुर्गसंसारसागरस्याचलोद्भवे .
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि .. २६..
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः .
सप्तशतीं समाराध्य वरमाप्नोति दुर्लभम् .. २७..
.. इति श्रीमार्कण्डेयपुराणे अर्गलास्तोत्रं समाप्तम् ..
निष्कर्ष
दुर्गा अर्गला स्तोत्र (Durga Argala Stotram) देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक अत्यंत प्रभावी और शक्तिशाली माध्यम है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तोत्र जीवन की बाधाओं को दूर कर व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही रूपों में लाभ प्रदान करता है। दुर्गा अर्गला का पाठ करने से व्यक्ति देवी की अपार कृपा और आशीर्वाद का अनुभव करता है, जिससे जीवन में हर प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
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