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Narsimha Jayanti 2024: मई 2024 में कब मनाई जाएगी नरसिंह जयंती, जाने तिथि और क्या है महत्व

नरसिंह जयंती, भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नृसिंह भगवान के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है और धर्म, कर्तव्य और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाए जाने वाले इस पर्व में भक्त भगवान नृसिंह की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. आइए इस लेख में हम नरसिंह जयंती 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, विधि और इससे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में विस्तार से जानें.

Narsimha Jayanti 2024

नरसिंह जयंती 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Narsimha Jayanti 2024 Date)

वर्ष 2024 में नरसिंह जयंती 21 मई, मंगलवार को पड़ रही है. इस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो रही है. ज्योतिष गणना के अनुसार शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • अभिषेक मुहूर्त: सुबह 5:39 बजे से 7:08 बजे तक (1 घंटा 29 मिनट)
  • ध्यान मुहूर्त: सुबह 8:27 बजे से 9:56 बजे तक (1 घंटा 29 मिनट)
  • आरती मुहूर्त: शाम 6:47 बजे से 7:36 बजे तक (49 मिनट)

भक्त अपनी सुविधा के अनुसार इन शुभ मुहूर्तों में से किसी में भी भगवान नृसिंह की पूजा कर सकते हैं.

नरसिंह जयंती का महत्व (Narsimha Jayanti Importance)

नरसिंह जयंती का महत्व भगवान विष्णु के धर्म की रक्षा और अपने भक्तों की रक्षा करने के संकल्प को दर्शाता है. यह कथा हिरण्यकश्यप नामक दैत्य राजा और उसके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है. हिरण्यकश्यप अत्यधिक अहंकारी हो गया था और स्वयं को भगवान मानने लगा था. उसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भी ऐसा ही मानने के लिए बाध्य किया, परंतु प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, किंतु भगवान विष्णु ने हर बार प्रह्लाद की रक्षा की. अंततः भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया.

नरसिंह जयंती का महत्व इस प्रकार है:

  • बुराई पर अच्छाई की विजय: यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि बुराई चाहे कितनी भी प्रबल हो, अंततः अच्छाई की ही विजय होती है. भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप के अत्याचार का अंत किया, जो धर्म की रक्षा का प्रतीक है.
  • भक्तों की रक्षा: नरसिंह जयंती हमें याद दिलाती है कि भगवान अपने भक्तों की सच्ची भक्ति से सदैव प्रसन्न होते हैं और उनकी रक्षा करते हैं. प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनका रक्षण किया.
  • कर्तव्य पालन: हिरण्यकश्यप के अत्याचार के विरुद्ध खड़े होकर प्रह्लाद ने अपने कर्तव्य का पालन किया. यह पर्व हमें कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

नरसिंह जयंती की पूजा विधि (Narsimha Jayanti Puja Vidhi)

नरसिंह जयंती के दिन भक्त विधि-विधान से भगवान नृसिंह की पूजा करते हैं. पूजा की सरल विधि इस प्रकार है:

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके पश्चात् पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और आसन बिछाकर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का ध्यान करें. अब संकल्प लें कि मैं नरसिंह जयंती के पावन अवसर पर भगवान नृसिंह की पूजा विधिपूर्वक कर रहा/रही हूं.
  2. आवाहन और आसन: एक चौकी या आसन पर शुद्ध लाल रंग का वस्त्र बिछाएं. इस आसन पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से भरा कलश स्थापित करें. कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उस पर भगवान नृसिंह की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. अब भगवान नृसिंह का आवाहन करके उनसे पूजा में विराजमान होने की प्रार्थना करें.
  3. षोडशोपचार पूजन: भगवान नृसिंह को स्नान कराएं, अर्थात उन्हें पंचामृत, गंगाजल, इत्र आदि से स्नान कराएं. इसके पश्चात् वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, चंदन का टीका, पुष्पमाला आदि अर्पित करें. धूप और दीप जलाकर भगवान नृसिंह की आरती करें. पूजा के दौरान आप “ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं विक्रमालयम्। नृसिंहं भगवानं देवम क्षेमहे तनुभृताम्।।” या “ॐ नमो भगवते नरसिंहाय शिवप्रसन्नरूपाय क्षत्रियकुलोद्धाराय सर्वशत्रुविनाशाय अमृतघटोदभवाय सिंहोपममूर्तये नमः।।” जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
  4. भोग और आरती: नरसिंह जयंती पर भगवान नृसिंह को भोग लगाना भी शुभ माना जाता है. आप उन्हें फल, मिठाई, पंचामृत आदि का भोग लगा सकते हैं. भोग लगाने के बाद भगवान नृसिंह की आरती करें और उनकी महिमा का गुणगान करें.
  5. हवन (वैकल्पिक): आप चाहें तो नरसिंह जयंती के अवसर पर यज्ञशाला में विद्वान ब्राह्मण द्वारा हवन करा सकते हैं. हवन में घी, आहुतियां और मंत्रोच्चारण से वातावरण शुद्ध होता है और भगवान को प्रसन्नता प्राप्त होती है.
  6. पारणा (वैकल्पिक): यदि आपने नरसिंह जयंती का व्रत रखा है, तो सूर्यास्त के बाद पारणा करें. पारणा से पहले भगवान का धन्यवाद करें और फिर फलाहार ग्रहण करें.

नरसिंह जयंती से जुड़ी खास बातें (Narsimha Jayanti Important Points)

नरसिंह जयंती से जुड़ी कुछ खास बातें इस प्रकार हैं:

  • नृसिंह भगवान के विभिन्न रूप: भगवान नृसिंह का आधा मनुष्य और आधा सिंह का रूप है. उनके शरीर का रंग लाल है और उनके चार भुजाएं हैं. उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल का फूल है. नृसिंह जयंती के दिन भक्त इन विभिन्न रूपों का ध्यान करते हैं.
  • नृसिंह जयंती के क्षेत्रीय आयोजन: नरसिंह जयंती पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन कुछ स्थानों पर विशेष आयोजन होते हैं. आंध्र प्रदेश के विमलनाथ मंदिर, ओडिशा के नृसिंहगढ़ और वाराणसी के नृसिंह मंदिर में इस दिन भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं. इन मंदिरों में विशेष पूजा-अनुष्ठान होते हैं और भक्तों का भारी समुदाय दर्शन के लिए आता है.
  • नरसिंह जयंती के दिन व्रत और त्योहार: कुछ क्षेत्रों में नरसिंह जयंती के दिन व्रत रखने की परंपरा है. भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. शाम के समय भगवान नृसिंह की पूजा करने के बाद फलहार ग्रहण कर व्रत का पारणा करते हैं. इसके अतिरिक्त, कुछ स्थानों पर नृसिंह जयंती के बाद के दिनों में मेले का आयोजन भी किया जाता है. इन मेलों में भजन-कीर्तन, रामलीला और नाट्य प्रदर्शन आदि होते हैं, जो भक्तों के मनोरंजन के साथ ही धार्मिक भावनाओं को जागृत करते हैं.
  • नृसिंह जयंती का सांस्कृतिक महत्व: नरसिंह जयंती का सांस्कृतिक महत्व भी है. यह पर्व हमें धर्म, कर्तव्य और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. साथ ही, यह पर्व विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति को भी प्रदर्शित करता है. मंदिरों में होने वाली भव्य पूजा, भजन-कीर्तन और नाट्य प्रदर्शन आदि कलात्मक अभिव्यक्तियां हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं.
  • नृसिंह भगवान से जुड़े मंदिर: भारत में कई स्थानों पर भगवान नृसिंह को समर्पित मंदिर स्थित हैं. इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर इस प्रकार हैं:
  • आंध्र प्रदेश: विमलनाथ मंदिर (अनंतपुर जिला)
  • ओडिशा: नृसिंहगढ़ (कटक जिला)
  • उत्तर प्रदेश: अयोध्या (नृसिंह घाट), वाराणसी (नृसिंह मंदिर)
  • कर्नाटक: हम्पी (विरुपाक्ष मंदिर)
  • तमिलनाडु: सिंचेंगम (नृसिंह मंदिर)

नरसिंह जयंती का पर्व भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की कथा से जुड़ा हुआ है. यह पर्व हमें सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए और भक्तों की रक्षा के लिए भगवान किसी भी रूप में अवतरित हो सकते हैं. साथ ही, यह पर्व हमें कर्तव्यनिष्ठा, सत्यनिष्ठा और भक्ति की महिमा का भी बोध कराता है. नरसिंह जयंती को धूमधाम से मनाते हुए हम न केवल धार्मिक परंपराओं का निर्वाह करते हैं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी संजोते हैं.

उपसंहार

नरसिंह जयंती भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की जयंती का पर्व है. यह पर्व हमें धर्म की रक्षा, सत्यनिष्ठा, कर्तव्यनिष्ठा और भक्ति का महत्व सिखाता है. पूजा-अनुष्ठान, व्रत और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से भक्त नरसिंह जयंती को मनाते हैं. साथ ही, नृसिंह भगवान से जुड़े विभिन्न कलात्मक चित्रण भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि का प्रमाण हैं. नरसिंह जयंती का पर्व हमें धर्म, संस्कृति और कला के त्रिवेणी संगम का अनुभव कराता है.

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