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Narali Purnima 2024: नराली पूर्णिमा 2024 में कब है, तिथि, महत्व और पूजा विधि

नराली पूर्णिमा, जिसे श्रावण पूर्णिमा या कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह पवित्र श्रावण मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो वर्षा ऋतु का पवित्र महीना माना जाता है। इस दौरान प्रकृति हरी-भरी हो जाती है और वातावरण शुद्ध हो जाता है। नराली पूर्णिमा का त्योहार आध्यात्मिक जागरण और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है।

Narali Purnima 2024

नराली पूर्णिमा 2024 की तिथि (Narali Purnima 2024 Date)

वर्ष 2024 में नराली पूर्णिमा का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले शुभ मुहूर्त में स्नान करना और पूजा-अनुष्ठान करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

नराली पूर्णिमा का महत्व (Narali Purnima Significance)

नराली पूर्णिमा का हिंदू धर्म में कई तरह का महत्व है। आइए, इनमें से कुछ प्रमुख महत्वों को विस्तार से जानते हैं:

  • भगवान विष्णु की आराधना : नराली पूर्णिमा का मुख्य महत्व भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करना है। भगवान विष्णु को इस ब्रह्मांड के पालनहार और सृष्टि के संचालक के रूप में जाना जाता है। इस दिन भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से पूजा करते हैं। भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों, जैसे कि शेषनाग पर शयन करते विष्णु, मोहिनी रूप, वामन अवतार, त्रिविक्रम, नारायण आदि की पूजा का विधान है।
  • पवित्र स्नान का महत्व : नराली पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों, सरोवरों या समुद्र में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और मन को शांति मिलती है। कई जगहों पर लोग इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदियों में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य भी देते हैं।
  • व्रत एवं दान का विधान : नराली पूर्णिमा के दिन कुछ लोग उपवास भी रखते हैं। व्रत रखने वाले भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और पूरे दिन अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद ही व्रत का पारण करते हैं। इसके अलावा, दान-पुण्य करना भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  • नारियल का महत्व : नारियल को भगवान विष्णु को प्रिय माना जाता है। इसलिए, इस दिन भगवान विष्णु को नारियल अर्पण करना विशेष रूप से शुभ होता है। पूजा के दौरान भक्त भगवान विष्णु को नारियल अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।
  • नए धागे धारण करने का रिवाज : नराली पूर्णिमा के दिन कई लोग अपने शरीर पर नए धागे भी पहनते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को बुरी नजर से बचाने में मदद मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

नराली पूर्णिमा की पूजा विधि (Narali Purnima Puja Vidhi)

नराली पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। आइए, नराली पूर्णिमा की पूजा विधि को क्रमवार रूप से जानते हैं:

  1. पूजा की तैयारी (Preparation for Puja): नराली पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद अपने पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और उसे सजाएं। आप रंगोली बना सकते हैं और दीपक जला सकते हैं।
  2. पूजा सामग्री (Puja सामग्री): नराली पूर्णिमा की पूजा के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
    • भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर
    • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
    • गंगाजल
    • फल, फूल और मिठाई
    • धूप, दीप
    • तुलसी की पत्तियां
    • नारियल
    • नए वस्त्र
  3. आसन एवं संकल्प : पूजा स्थान पर आसन बिछाकर उस पर बैठ जाएं। इसके बाद हाथ जोड़कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और संकल्प लें। संकल्प लेते समय यह बोलें कि “मैं आज श्रावण पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से पूजा करने का संकल्प लेता/लेती हूं। उनकी कृपा प्राप्त करने और कल्याण की कामना करता/करती हूं।”
  4. आवाहन एवं आसन : संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु का आवाहन करें। ऐसा माना जाता है कि आवाहन करने से देवता पूजा स्थल पर विराजमान होते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु को आसन अर्पित करें। आप आसन के रूप में आसन पर तुलसी की पत्तियां रख सकते हैं।
  5. पंचामृत स्नान एवं वस्त्र : भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
  6. अभिषेक एवं श्रृंगार : भगवान विष्णु का अभिषेक करना शुभ होता है। आप उन्हें जल, दूध, दही, शहद या गंगाजल से अभिषेक करा सकते हैं। इसके बाद भगवान का श्रृंगार करें। तिलक लगाएं, आभूषण पहनाएं और तुलसी की माला अर्पित करें।
  7. चन्दन एवं पुष्प अर्पण : भगवान विष्णु को चन्दन का टीका लगाएं और पुष्प अर्पित करें। आप विभिन्न प्रकार के सुगंधित पुष्प, जैसे कमल, गुलाब, चमेली आदि चढ़ा सकते हैं।
  8. धूप एवं दीप: भगवान विष्णु को धूप और दीप अर्पित करें। धूप की सुगंध से वातावरण शुद्ध होता है और दीप का प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  9. नैवेद्य एवं आरती : भगवान विष्णु को उनका प्रिय भोग या नैवेद्य अर्पित करें। आप उन्हें फल, मिठाई, पंचामृत या पंचगव्य का भोग लगा सकते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें। आरती के दौरान भक्तिभाव से भजन या मंत्र का जाप करें।
  10. पूजा का समापन : अंत में पूजा का समापन करें। भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद क्षमाप्रार्थना करें और उनका आशीर्वाद लें। पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और प्रसाद को परिवार के अन्य सदस्यों में भी बांटें।

नराली पूर्णिमा की परंपराएं (Narali Purnima Traditions)

नराली पूर्णिमा सिर्फ पूजा-पाठ का ही त्योहार नहीं है, बल्कि इस दिन कई तरह की परंपराएं भी निभाई जाती हैं। आइए, इन परंपराओं के बारे में विस्तार से जानते हैं:

  • नारियल का पेड़ लगाना: नराली पूर्णिमा के दिन कई जगहों पर लोग अपने घरों में नारियल का पेड़ लगाते हैं। नारियल को भगवान विष्णु को प्रिय माना जाता है और इस दिन नारियल का पेड़ लगाने का शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और पर्यावरण को भी लाभ होता है।
  • विशेष पकवान बनाना : नराली पूर्णिमा के पर्व पर लोग अपने घरों में तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं। इस दिन खासतौर पर भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए पंचामृत, पूरन पोली, खीर आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके अलावा, परिवार के लोगों के लिए भी लजीज पकवान तैयार किए जाते हैं। शाम के समय परिवार के सभी सदस्य मिलकर भोजन करते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं।
  • मेलों और उत्सवों का आयोजन : कई जगहों पर नराली पूर्णिमा के दिन मेले और उत्सवों का भी आयोजन किया जाता है। इन मेलों में लोग झूले लगाते हैं, खरीदारी करते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। मेले का वातावरण बहुत ही खुशनुमा होता है और लोग पूरे उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
  • पारंपरिक लोकगीत और नृत्य : नराली पूर्णिमा के अवसर पर कुछ क्षेत्रों में पारंपरिक लोकगीत और नृत्यों का आयोजन भी किया जाता है। ये लोकगीत और नृत्य उस क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाते हैं और त्योहार के उत्सव को बढ़ाते हैं।
  • पवित्र नदियों में दीपदान : कुछ जगहों पर लोग नराली पूर्णिमा की शाम को पवित्र नदियों में दीपदान करते हैं। दीपों की जगमगाहट से नदी का किनारा रोशन हो जाता है और वातावरण बहुत ही मनमोहक हो जाता है। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है।

उपसंहार (Conclusion)

नराली पूर्णिमा का पर्व आध्यात्मिकता, भक्ति और सांस्कृतिक उत्सव का संगम है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। साथ ही, इस त्योहार से जुड़ी परंपराएं आपसी प्रेम, सौहार्द और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती हैं। आइए, हम सब मिलकर नराली पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाएं और प्रकृति के साथ सद्भाव बनाए रखें।

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