नरक चतुर्दशी का पर्व, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। इस दिन मां काली, भगवान कृष्ण, और यमराज की पूजा का विधान है, साथ ही यमराज के लिए दीप जलाने की परंपरा भी है। मान्यता है कि इस दिन चौमुखी दीपक जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार की सुरक्षा एवं सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं इस पावन दिन यम का दीपक जलाने का सही तरीका और इससे जुड़े सभी महत्वपूर्ण नियम।
यम दीपक जलाने का धार्मिक महत्व (Yam Dipak Mahatva)
नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाने से यमराज, भगवान कृष्ण, और मां काली की कृपा प्राप्त होती है। चौमुखी दीपक को विशेष रूप से यमराज को समर्पित किया जाता है, जो अकाल मृत्यु, रोगों और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दीपक को जलाने से परिवार पर आने वाली विपत्तियाँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
चौमुखी यम दीपक जलाने की विधि (Yam Dipak Jalane ki Vidhi)
- दीपक तैयार करना: नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय मिट्टी का दीपक लें और उसमें सरसों का तेल डालें। सरसों का तेल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और शुद्धता बनाए रखने में सहायक होता है।
- चार दिशाओं के लिए बत्तियाँ बनाएं: दीपक में चार बत्तियाँ डालें, जिनका मुख चारों दिशाओं की ओर होना चाहिए। ये चारों बत्तियाँ चार दिशाओं से रक्षा का प्रतीक मानी जाती हैं। इस प्रकार, दीपक को जलाने से हर दिशा से घर की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- कपूर और लौंग का उपयोग: दीपक में कपूर और लौंग डालें, जो शुद्धिकरण और सकारात्मकता का प्रतीक हैं। यह दीपक यमराज को समर्पित होने के साथ घर को पवित्रता और सुरक्षा प्रदान करता है।
- पूजन विधि: दीपक को घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें। इसके अलावा, एक चौमुखी दीपक पीपल के पेड़ के नीचे भी जलाना शुभ माना गया है। दीपक को जलाने के बाद पूरे श्रद्धा भाव के साथ यमराज से प्रार्थना करें और परिवार की खुशहाली, दीर्घायु एवं समृद्धि की कामना करें।
शुभ मुहूर्त और समय (Narak Chaturdashi 2024 Par Yam Dipak Jalane ka Samay)
इस वर्ष नरक चतुर्दशी 2024 पर पूजा और यम दीपक जलाने का शुभ मुहूर्त शाम 4:36 से 6:15 बजे तक है। इस समय में पूजा कर यम का दीपक जलाना अधिक लाभकारी माना जाता है। पूजा के बाद ही यम का दीपक जलाएं और इसे घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखें।
यम दीपक बनाने की विधि (Yam Dipak Banane ki Vidhi)
यम दीपक बनाने की विधि में विशेष महत्व दिया गया है, खासकर नरक चतुर्दशी के दिन इसे जलाने का विधान है। इस दीपक को बनाने के लिए मिट्टी का चौमुखी दीपक लें और उसमें सरसों का तेल डालें। अब दीपक में चार दिशाओं में चार बत्तियां रखें और उसमें लौंग तथा कपूर डालें।इसमे 7 प्रकार के अनाज रखे। इस दीपक को दक्षिण दिशा में घर के बाहर रखें। यह माना जाता है कि यम दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा मिलती है। यमराज की कृपा पाने के लिए दीपक जलाते समय सभी परिवारजनों की लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करनी चाहिए।
यम दीपक जलाने के बाद रखें ध्यान
- दक्षिण दिशा में रखें दीपक: दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है, इसलिए यम का दीपक इसी दिशा में रखा जाना चाहिए।
- रात को जलाएं दीपक: घर के सभी सदस्यों के सो जाने के बाद यम दीपक को जलाना अधिक शुभ माना जाता है।
- दीपक के पास न जाएं: यम दीपक को जलाने के बाद उसके पास नहीं जाना चाहिए। इसे सम्मान और श्रद्धा के साथ जलाकर एक दूरी पर रखें।
नरक चतुर्दशी पर क्यों जलते हैं यम दीपक? (Narak Chaturdashi Par Kyu Jalate Yam Dipak)
- मुख्य द्वार पर दीपक: यम दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और बुरी शक्तियाँ प्रवेश नहीं करतीं।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक: पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है। नरक चतुर्दशी के दिन पीपल के नीचे दीपक जलाने से भी घर में शांति और समृद्धि आती है।
- छत पर दीपक: छत पर दीपक जलाने से घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
यम दीपक जलाने के लाभ (Yam Dipak Jalane ke Laabh)
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: यम दीपक जलाने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियाँ दूर हो जाती हैं।
- परिवार की सुरक्षा: यम दीपक के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा होती है।
- सुख-समृद्धि का आगमन: यम दीपक जलाने से घर में धन-धान्य का आगमन होता है और सभी सदस्य शांति और संतोष के साथ जीवन व्यतीत करते हैं।
नरक चतुर्दशी का पर्व अपने आप में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। यम दीपक जलाने की परंपरा न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके प्रभाव से घर और परिवार की सुरक्षा, सुख-समृद्धि और शांति सुनिश्चित होती है। इसलिए इस पर्व को पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से मनाना चाहिए ताकि मां काली, भगवान कृष्ण और यमराज का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।