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Nag Panchami 2024 :अगस्त 2024 में नाग पंचमी किस दिन पड़ेगी, तिथि और क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी

नाग पंचमी, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में, नाग पंचमी शुक्रवार, 9 अगस्त को पड़ रही है। यह दिन नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जिनको हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। आइए, इस लेख में हम नाग पंचमी के महत्व, पूजा विधि, व्रत नियमों, कथा और इससे जुड़ी अन्य जानकारियों को विस्तार से जानें।

Nag Panchami 2024

नाग पंचमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व (Nag Panchami Significance)

नाग पंचमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व कई आयामों में फैला हुआ है।

  • नाग देवता की उपासना: नागों को हिंदू धर्म में देवताओं के रूप में पूजा जाता है। उन्हें भूमिगत जल के संरक्षक और संपत्ति के रक्षक के रूप में माना जाता है। नाग पंचमी के दिन उनकी पूजा करने से सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति और रक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
  • सर्पदंश से रक्षा: भारत कृषि प्रधान देश है, जहां खेतों और जंगलों में सांपों का पाया जाना आम बात है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्प भय से मुक्ति और सर्पदंश से बचाव की मान्यता है।
  • पौराणिक कथाओं से संबंध: समुद्र मंथन की कथा में, जब अमृत निकलने के साथ ही विष (हलाहल) भी प्रकट हुआ, तो भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। माना जाता है कि विष के प्रभाव को कम करने के लिए वासुकी नाग सहित अन्य नागों ने भगवान शिव का दूध से अभिषेक किया था। इसी घटना से जुड़ाव के कारण नाग पंचमी पर नागों को दूध चढ़ाने की परंपरा प्रचलित है।
  • प्रकृति के प्रति आदर: नाग पंचमी का पर्व हमें प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने का संदेश देता है। सांप पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और खेतों में कीट नियंत्रण में अहम भूमिका निभाते हैं। उनकी पूजा के माध्यम से हम प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

नाग पंचमी की पूजा विधि: श्रद्धापूर्वक करें आराधना (Nag Panchami 2024 Puja Vidhi)

नाग पंचमी के दिन पूजा विधि सरल है, लेकिन श्रद्धापूर्वक की जानी चाहिए। यहां विधि के कुछ मुख्य चरण दिए गए हैं:

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें। पूजा स्थान को साफ-सुथरा कर लें। तत्पश्चात, पूजा का संकल्प लें, यानी यह निश्चय करें कि आप नाग पंचमी की पूजा श्रद्धापूर्वक कर रहे हैं।
  2. पूजा सामग्री तैयार करना: पूजा के लिए निम्न सामग्री एकत्रित कर लें:
    • नाग देवता की प्रतिमा या तस्वीर
    • दूध
    • जल
    • रोली, मौली और चंदन
    • पुष्प (गुड़हल के फूल विशेष रूप से चढ़ाए जाते हैं)
    • फल और मिठाई
    • धूप और दीप
    • अगरबत्ती
  3. आसन ग्रहण करें: पूजा स्थान पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है।
  4. आवाहन और स्नान: नाग देवता का ध्यान करें और उनका आवाहन करें। इसके बाद, उन्हें जल और दूध से स्नान कराएं।
  5. अभिषेक और श्रृंगार: नाग देवता को दूध, जल, रोली, मौली और चंदन से अभिषेक करें। इसके पश्चात, उन्हें पुष्प अर्पित करें। गुड़हल के फूल विशेष रूप से नाग देवता को प्रिय माने जाते हैं। साथ ही, फल और मिठाई का भोग भी लगाएं।
  6. धूप, दीप और आरती: नाग देवता की आरती करें। धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। आरती के समय मंत्रों का जाप करना शुभ होता है।
  7. मंत्र जाप: नाग देवता के कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
  8. ॐ नागेन्द्राय विद्याधराय सर्वाधाराय सर्वभूताय तस्मै श्री नागाय नमः।
  9. ॐ नागकुलकुलेभ्यो नमः।
  10. या भुजंगी च सर्पिणी च तस्याः सदा नमोस्तु नः।
  11. कथा वाचन: नाग पंचमी से जुड़ी कथा का वाचन या श्रवण करें। इससे आपको इस पर्व के महत्व को समझने में सहायता मिलेगी।
  12. भोग का प्रसाद ग्रहण करें: पूजा के बाद भगवान को लगाए गए भोग का प्रसाद ग्रहण करें। प्रसाद को ग्रहण करने से पहले भगवान का धन्यवाद करें।
  13. ब्राह्मण भोजन और दान: अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। दान में दूध, दही, मिठाई, वस्त्र आदि शामिल किए जा सकते हैं।

नाग पंचमी के व्रत नियम

नाग पंचमी के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना शुभ माना जाता है। ये नियम इस प्रकार हैं:

  • सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
  • साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  • पूरे दिन व्रत रखें।
  • इस दिन मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • घर की साफ-सफाई करके उसे सजाएं।
  • क्रोध और हिंसा से बचें।
  • यदि संभव हो तो चींटियों को आटा या शक्कर खिलाएं।
  • सांपों को दूध पिलाएं या उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ दें, लेकिन सावधानी बरतें।

यह ध्यान रखना चाहिए कि व्रत रखना व्यक्ति की श्रद्धा पर निर्भर करता है। आप अपनी इच्छानुसार व्रत रख सकते हैं या केवल पूजा ही कर सकते हैं।

नाग पंचमी की कथा: नाग और गरुड़ का संबंध (Nag Panchami Katha)

नाग पंचमी से जुड़ी एक प्रचलित कथा नाग और गरुड़ के संबंध को दर्शाती है। कथा के अनुसार, गरुड़, विष्णु भगवान का वाहन है, जबकि नाग, वासुकि सहित अन्य सर्प, शिव भगवान के आभूषण हैं। गरुड़ को सर्पों को भोजन के रूप में खाना पसंद था। इससे नागों में भय व्याप्त हो गया। तब कश्यप ऋषि के पुत्र और नागों के राजा तक्षक ने अपनी बहन कद्रू से गरुड़ को जन्म दिया। गरुड़ बड़ा होकर विष्णु भगवान का वाहन बना। लेकिन गरुड़ को नागों को खाना बंद नहीं किया। इससे तक्षक और गरुड़ के बीच युद्ध छिड़ गया। भगवान विष्णु ने दोनों के बीच मध्यस्थता की और समझौता करवाया। समझौते के तहत, गरुड़ को वर्ष में एक बार ही नाग खाना स्वीकार करना पड़ा। इसके बदले में, नागों को हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को दूध और अन्य भोजन चढ़ाने का विधान बना।

नाग पंचमी के विभिन्न रूप और क्षेत्रीय विविधताएं

नाग पंचमी का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है, हालांकि क्षेत्रीय विविधताओं के कारण इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जा सकता है। आइए, भारत के कुछ क्षेत्रों में मनाए जाने वाले नाग पंचमी के विभिन्न स्वरूपों को जानें:

  • दक्षिण भारत: दक्षिण भारत में, विशेष रूप से कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में, नाग पंचमी को “नागार पंचमी” के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं नागों की मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं और उनकी पूजा करती हैं। पूजा के बाद, इन मूर्तियों को दूध से स्नान कराकर उनकी परिक्रमा की जाती है।
  • महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में, नाग पंचमी के दिन “नागपूजा” का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग नागों के बिलों पर दूध चढ़ाते हैं और उनकी मिट्टी से बनी मूर्तियों की पूजा करते हैं। साथ ही, इस दिन “नागपंचमी कोळी” नामक विशेष व्यंजन बनाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
  • उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में, नाग पंचमी के दिन कुछ लोग सांपों को दूध पिलाने की परंपरा का पालन करते हैं। साथ ही, इस दिन खेतों में काम करने वाले किसान नाग देवता की पूजा करके फसलों की रक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इन क्षेत्रीय विविधताओं के अलावा, नाग पंचमी के पर्व से जुड़े कुछ खास लोक नृत्य भी देखने को मिलते हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में “नाग मंडला” नामक नृत्य का आयोजन किया जाता है, जिसमें कलाकार नागों की वेशभूषा धारण कर नाचते हैं।

नाग पंचमी का वैज्ञानिक महत्व (Nag Panchami Importance)

नाग पंचमी का पर्व सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी रखता है।

  • पर्यावरण संरक्षण: नाग पंचमी के माध्यम से लोगों में सांपों के प्रति आदर और भय का संतुलन बना रहता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि सांप पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्हें संरक्षित करना आवश्यक है।
  • जीव जंतुओं के प्रति दया: नाग पंचमी का पर्व हमें सभी जीव जंतुओं के प्रति दयाभाव रखने का संदेश देता है। यह पर्व प्रकृति के साथ सद्भाव बनाए रखने की सीख भी प्रदान करता है।

निष्कर्ष रूप में, नाग पंचमी का पर्व सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व से भरपूर है। यह पर्व हमें नाग देवता की पूजा के साथ-साथ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और जीव जंतुओं के संरक्षण का संदेश देता है।

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