Ekadashi May 2025: मोहिनी और अपरा एकादशी 2025 की तिथि, कथा, व्रत विधि, पारण समय व महत्व (Ekadashi May 2025 Katha in Hindi, Date and Time)

Last Updated: 18th May 2025

Ekadashi May 2025: जानिए मई 2025 में कब हैं मोहिनी और अपरा एकादशी, व्रत की कथा, समय, पूजा विधि व पारण मुहूर्त

Ekadashi May 2025 का विशेष महत्व है क्योंकि इस महीने दो प्रमुख एकादशियाँ पड़ती हैं—मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2025) और अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2025)। इन दोनों व्रतों की कथा, पूजा विधि और व्रत के लाभों के बारे में जानना हर श्रद्धालु के लिए आवश्यक है। Ekadashi May 2025 Katha in Hindi और व्रत की तिथि एवं समय (Ekadashi May 2025 Date and Time) की जानकारी नीचे दी जा रही है।

Ekadashi May 2025 | मोहिनी और अपरा एकादशी 2025
May Ekadashi 2025 Date

Table of Contents

Mohini Ekadashi May 2025: तिथि, व्रत कथा, पूजा विधि व पारण समय

मोहिनी एकादशी 2025 तिथि और समय (Mohini Ekadashi May 2025 Date and Time)

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 मई 2025, सुबह 10:19 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 8 मई 2025, दोपहर 12:29 बजे
  • व्रत रखने की तिथि: 8 मई 2025, बुधवार

मोहिनी एकादशी व्रत पारण समय (Mohini Ekadashi 2025 Paran Time)

  • पारण की तिथि: 9 मई 2025, गुरुवार
  • व्रत तोड़ने का शुभ मुहूर्त: सुबह 05:34 से 08:16 बजे तक

मोहिनी एकादशी पूजा विधि (Mohini Ekadashi 2025 Puja Vidhi)

  • प्रातः स्नान कर श्रीहरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर पीले वस्त्र पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
  • देसी घी का दीपक जलाएं, विष्णु चालीसा एवं मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान को फल, मिठाई व पंचामृत का भोग लगाएं।
  • अंत में प्रसाद वितरण करें।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi May 2025 Katha in Hindi)

मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi May 2025 Katha in Hindi)
समुद्र मंथन की पृष्ठभूमि में भगवान विष्णु मोहिनी रूप में, हाथ में अमृत कलश लिए, देवताओ को अमृत बांटते हुए

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। यह तिथि भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखने से समस्त पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी विशेष रूप से भ्रम, मोह, पाप और अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।

इस एकादशी से जुड़ी जो पौराणिक कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha) है, वह अत्यंत रोचक और धर्मप्रेरक है।

मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत की पौराणिक कथा:

प्राचीन समय की बात है। युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा,

“हे भगवन्! वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? इसकी क्या महिमा है और यह व्रत कैसे किया जाता है?”

तब भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी एकादशी की महिमा बताते हुए कहा:

“हे राजन! यह एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है। इसका नाम मोहिनी एकादशी है और इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य जीवन के सभी मोह, पाप और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्त हो जाता है।”

भगवान श्रीकृष्ण ने आगे रामायण काल की एक कथा सुनाई—

राजा धृतिमान की कथा:

एक बार चंद्रवँश में धृतिमान नामक एक पराक्रमी राजा राज्य करता था। वह अत्यंत धर्मनिष्ठ और ब्राह्मणों का आदर करने वाला था, लेकिन कुछ वर्षों के बाद उसके जीवन में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो गईं। उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, राज्य में अकाल पड़ गया, और प्रजा में अशांति फैल गई।

राजा ने इन समस्याओं का कारण जानने के लिए एक सिद्ध ऋषि के पास जाकर अपनी व्यथा सुनाई। ऋषि ने ध्यान लगाकर कहा—

“हे राजन! तुम्हारे पूर्व जन्म के कुछ कर्म ऐसे हैं जिनके कारण आज तुम्हें यह कष्ट भोगना पड़ रहा है। यदि तुम वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी व्रत करोगे, तो समस्त दोषों का नाश होगा और जीवन में फिर से शांति और समृद्धि का आगमन होगा।”

राजा धृतिमान ने ऋषि की बात मानी और पूरे नियमों के साथ मोहिनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसके सभी कष्ट दूर हो गए, राज्य में पुनः सुख-शांति आ गई, और अंत में राजा को विष्णु लोक की प्राप्ति हुई।

समुद्र मंथन और मोहिनी रूप की कथा:

मोहिनी एकादशी का नाम “मोहिनी” इसलिए पड़ा क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था।

जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब मंथन से अमृत कलश निकला। असुरों ने उसे जबरन हड़पने की कोशिश की। यह देखकर भगवान विष्णु ने एक सुंदर और मोहक स्त्री रूप—मोहिनी रूप—धारण किया। उनकी रूप-माधुरी देखकर सभी असुर भ्रमित हो गए। तब भगवान ने चालाकी से अमृत देवताओं को पिला दिया और असुर अमृत से वंचित रह गए।

इस घटना के कारण ही इस एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी पड़ा और यह विश्वास किया गया कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना से सभी मोह, माया और भ्रम का नाश होता है।

मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) व्रत करने से मिलने वाले लाभ:
  • मानसिक शांति की प्राप्ति होती है
  • पापों का नाश होता है
  • पूर्व जन्मों के दोष समाप्त होते हैं
  • स्वास्थ्य में सुधार होता है
  • धन, यश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है
  • मृत्यु के उपरांत विष्णु धाम (वैकुण्ठ) की प्राप्ति होती है

Apara Ekadashi May 2025: तिथि, कथा, व्रत विधि व पारण समय

Apara Ekadashi May 2025: तिथि, कथा, व्रत विधि व पारण समय
भगवान विष्णु की पूजा करते हुए भक्त, पीले कपड़े पहने हुए, पूजा की चौकी पर दीपक, तुलसी पत्र, फल, पंचामृत, पूजा सामग्री के साथ

अपरा एकादशी 2025 तिथि और समय (Apara Ekadashi 2025 Date and Time)

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 22 मई 2025, रात 01:12 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई 2025, रात 10:29 बजे
  • व्रत रखने की तिथि: 23 मई 2025, शुक्रवार

अपरा एकादशी व्रत पारण समय (Apara Ekadashi 2025 Paran Time)

  • पारण की तिथि: 24 मई 2025, शनिवार
  • शुभ पारण मुहूर्त: सुबह 06:01 से 08:39 बजे तक

अपरा एकादशी पूजा विधि (Apara Ekadashi Puja Vidhi)

  • प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • पीले वस्त्र पहनें, दीपक जलाकर भगवान को फल, तुलसी और मेवा अर्पित करें।
  • विष्णु मंत्रों का जाप करें:
    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:
    • ॐ विष्णवे नमः
    • हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे…

अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi 2025 Katha in Hindi)

Apara Ekadashi May 2025 Katha के अनुसार, इस व्रत को रखने से व्यक्ति को अपने समस्त दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धा से व्रत और दान करने से जीवन में अपार सफलता प्राप्त होती है। यह व्रत जीवन में रुके हुए कार्यों को गति देने वाला माना गया है।

प्राचीन समय की बात है, महर्षि वेदव्यास ने भगवान श्रीकृष्ण से इस एकादशी के महत्व और कथा के बारे में पूछा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें इस व्रत की कथा सुनाई—

प्राचीन काल में महिष्मती नामक नगरी में महोदय नामक एक राजा राज्य करता था। वह बहुत ही न्यायप्रिय, धर्मात्मा और प्रजावत्सल था। राजा सत्य और धर्म के मार्ग पर चलता था और हमेशा दीन-दुखियों की सेवा करता था।

एक दिन राज्य में एक साधु आया और राजा से बोला, “हे राजन्! आप तो अत्यंत पुण्यात्मा और परोपकारी हैं, लेकिन क्या आप जानना चाहेंगे कि इस जीवन के बाद आपकी आत्मा को मुक्ति कैसे मिलेगी?” राजा ने हाथ जोड़कर कहा, “हे महात्मा! कृपया मुझे ऐसा मार्ग बताइए जिससे मैं इस जीवन के बाद भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त कर सकूं।”

तब साधु ने कहा, “हे राजन! आप ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे अपरा एकादशी कहा जाता है, का विधिपूर्वक व्रत कीजिए। यह व्रत समस्त पापों का नाश करता है और मोक्ष की प्राप्ति कराता है। जो भी इस एकादशी का व्रत करता है, वह ब्रह्महत्या, भ्रूण हत्या, परनिंदा, झूठ बोलना, धन की चोरी करना जैसे गंभीर पापों से मुक्त हो जाता है।”

राजा ने साधु की बातों को श्रद्धा पूर्वक स्वीकार किया और उसी वर्ष अपरा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया। इसके प्रभाव से राजा को पुण्य की प्राप्ति हुई और अंत समय में भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ की प्राप्ति हुई।

Also Read: Apara Ekadashi Vrat Katha:अपरा एकादशी की पौराणिक कथा| भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया वह रहस्य जो हर पाप से दिलाए मुक्ति

अपरा एकादशी 2025 (Apara Ekadashi 2025) का आध्यात्मिक महत्व:

इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि अपरा एकादशी व्रत से व्यक्ति अपने जीवन के समस्त पापों से मुक्त हो सकता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए कल्याणकारी है जिन्होंने जाने-अनजाने में पाप कर्म किए हों। इस व्रत से न केवल सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि मोक्ष भी मिलता है।

Ekadashi May 2025 Timings, Significance & Overview

  • मई 2025 में दो एकादशियाँ होंगी:
    • मोहिनी एकादशी – 8 मई
    • अपरा एकादशी – 23 मई
  • दोनों व्रतों का पारण समय, पूजा विधि व कथा धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  • Ekadashi May 2025 timings, व्रत नियम और Ekadashi May 2025 Katha in Hindi की जानकारी ऊपर दी गई है जो आपको सही दिन व समय पर पूजा संपन्न करने में सहायक होगी।

निष्कर्ष (Conclusion)

मई 2025 की एकादशी व्रत—चाहे वह मोहिनी एकादशी हो या अपरा एकादशी, दोनों का सनातन धर्म में अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। ये व्रत न केवल पापों के विनाश और पुण्य की प्राप्ति का माध्यम हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मिक शांति भी प्रदान करते हैं।

7 से 9 मई के बीच मनाई जाने वाली मोहिनी एकादशी भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की याद दिलाती है, वहीं 23 और 24 मई को आने वाली अपरा एकादशी व्रतधारियों को अपार पुण्य, यश और सफलता प्रदान करती है।

इन पावन तिथियों पर विधिपूर्वक व्रत, पूजन, कथा श्रवण और दान-पुण्य करने से व्यक्ति को मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होने का अवसर प्राप्त होता है। अतः सभी श्रद्धालु इन दोनों व्रतों का पालन श्रद्धा और नियमपूर्वक करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।

नोट: यह लेख केवल धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य लोगों को जानकारी देना है।

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