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Ekadashi May 2024: मोहिनी एकादशी कब है? जाने तिथि, पौराणिक कथा और एकादशी के उपाय

मोहिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसका पालन वैशाख मास (मई-जून) के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे मनाने के पीछे एक रोचक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। आइए, इस लेख में हम मोहिनी एकादशी 2024 की तिथि, महत्व, पौराणिक कथा, पूजा विधि और इससे जुड़े लाभों के बारे में विस्तार से जानें।

May Ekadashi 2024

मोहिनी एकादशी 2024 की तिथि और समय (Mohini Ekadashi 2024 Date & Time)

मोहिनी एकादशी 2024 में शुक्रवार, 19 मई को मनाई जाएगी।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 19 मई, 2024 को सुबह 5:33 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 20 मई, 2024 को सुबह 8:21 बजे

मोहिनी एकादशी का महत्व (Mohini Ekadashi Importance)

मोहिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पापों का नाश: माना जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्वजन्म और वर्तमान जन्म के सभी पापों का नाश होता है।
  • मोक्ष की प्राप्ति: इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा: मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया मोहिनी एकादशी व्रत व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करने में सहायक होता है।
  • ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचाव: मोहिनी एकादशी का व्रत व्यक्ति को ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचाता है।
  • धन-धान्य में वृद्धि: इस व्रत को करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

मोहिनी एकादशी का महत्व केवल भौतिक लाभों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह व्रत आत्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी खोलता है।

मोहिनी एकादशी की पौराणिक कथा (Mohini Ekadashi Katha)

मोहिनी एकादशी की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकलने वाला था, तब देवताओं और दानवों के बीच अमृत को लेकर विवाद हो गया। दानव अमृत को हथियाना चाहते थे। इस संकट को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। मोहिनी का रूप अत्यंत मनमोहक था। मोहिनी ने मायावी छल से दानवों को मोहित कर लिया और उनसे अमृत छीनकर देवताओं को पिला दिया। इस प्रकार, देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ।

पौराणिक कथा के अनुसार, मोहिनी रूप में भगवान विष्णु ने इसी दिन देवी पार्वती को भी मोहित किया था और उन्हें मृत्युंजय मंत्र प्रदान किया था। यही कारण है कि इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

मोहिनी एकादशी की पूजा विधि (Mohini Ekadashi Puja Vidhi 2024)

मोहिनी एकादशी के व्रत को विधि-विधान से करने से ही इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए, अब हम मोहिनी एकादशी की पूजा विधि को विस्तार से जानें:

  • व्रत का संकल्प: एकादशी तिथि से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को शाम के समय व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें और शुद्ध मन से मोहिनी एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लें।
  • स्नान और साफ-सफाई: एकादशी तिथि के सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्नान के जल में गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है।
  • पूजा की वेदी तैयार करना: स्नान के बाद एक चौकी या आसन पर साफ कपड़ा बिछाकर पूजा की वेदी तैयार करें। इस वेदी पर गंगाजल छिड़कें और फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • पंचामृत स्नान: भगवान विष्णु की प्रतिमा का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें साफ जल से स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं।
  • षोडशोपचार पूजन: भगवान विष्णु का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। इसमें उन्हें तिलक लगाना, पुष्प अर्पित करना, धूप और दीप दिखाना, भोग लगाना, और आरती करना शामिल है। भगवान विष्णु को तुलसी की माला अवश्य चढ़ाएं।
  • मंत्र जाप: पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें या “विष्णु सहस्रनाम” का पाठ करें।
  • कथा वाचन: मोहिनी एकादशी की कथा का श्रद्धापूर्वक वाचन करें।
  • व्रत का पालन: पूरे दिन सात्विक भोजन का सेवन करें। व्रत के दौरान अन्न, जल, नमक, चावल, दाल, मसूर, मूंग आदि का सेवन न करें। फलाहार ग्रहण करना शुभ माना जाता है।
  • रात्रि जागरण: यदि संभव हो तो रात में भगवान विष्णु का जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
  • व्रत का पारण: अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। पारण करने से पहले ब्राह्मण को भोजन कराना या दान देना शुभ माना जाता है। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

ध्यान देने योग्य बातें:

  • मोहिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को एकाग्रता और भक्ति भाव बनाए रखना चाहिए।
  • झूठ न बोलें और दूसरों को कष्ट न दें।
  • दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें।

मोहिनी एकादशी के उपाय (Mohini Ekadashi Upaay)

मोहिनी एकादशी के व्रत के साथ कुछ विशेष उपाय करने से भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आइए, उन उपायों के बारे में जानें:

  • आर्थिक समस्याओं के लिए: मोहिनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और उसकी जड़ में दूध और घी चढ़ाएं। ऐसा करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
  • संतान प्राप्ति के लिए: निःसंतान दंपत्ति मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करें। पूजा के बाद उन्हें पीले वस्त्र और पीले फल अर्पित करें। संतान प्राप्ति के लिए यह उपाय बहुत लाभदायक माना जाता है।
  • शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए: मोहिनी एकादशी के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और उसकी जड़ में सरसों का तेल चढ़ाएं। ऐसा करने से शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

मोहिनी एकादशी के व्रत के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

मोहिनी एकादशी का व्रत करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, तभी व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। आइए, अब हम उन बातों को विस्तार से जानें:

  • भोजन संबंधी नियम: मोहिनी एकादशी के व्रत के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित होता है। इनमें शामिल हैं:
    • अन्न: एकादशी तिथि के दौरान किसी भी प्रकार का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
    • जल: कुछ लोग केवल फलाहार ग्रहण करते हैं और जल का सेवन भी नहीं करते। हालांकि, स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए थोड़ा मात्रा में जल ग्रहण किया जा सकता है।
    • मांस, मछली और अंडा: मांसाहारी भोजन का सेवन इस व्रत में पूरी तरह से वर्जित होता है।
    • लहसुन, प्याज और हींग: इनका सेवन भी इस व्रत में नहीं करना चाहिए।
    • शहद: कुछ मतों के अनुसार, एकादशी के व्रत में शहद का सेवन भी वर्जित होता है।
  • आचरण संबंधी नियम: मोहिनी एकादशी के व्रत के दौरान न केवल खानपान, बल्कि आचरण पर भी ध्यान देना चाहिए। इस दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
    • क्रोध और लोभ का त्याग करें। शांत और सकारात्मक चित्त रखें।
    • किसी की बुराई न करें और झूठ न बोलें।
    • चोरी, हिंसा और व्यभिचार जैसे कर्मों से दूर रहें।
    • घर में सकारात्मक वातावरण बनाए रखें।
  • स्वास्थ्य संबंधी सावधानी: यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं, गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। निर्जलीकरण से बचने के लिए थोड़ा मात्रा में जल पीते रहें।

मोहिनी एकादशी के व्रत से जुड़ी मान्यताएं

मोहिनी एकादशी के व्रत से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मान्यताओं के बारे में नीचे बताया गया है:

  • यह माना जाता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्वजन्मों के पापों का नाश होता है।
  • इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है।
  • सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया यह व्रत व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करने में सहायक होता है।
  • मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
  • इस व्रत को करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
  • मोहिनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति को आत्मिक शांति और सद्गति प्राप्त होती है।

मोहिनी एकादशी का व्रत किन दिनों में नहीं रखना चाहिए?

मोहिनी एकादशी का व्रत कुछ खास तिथियों में रखना वर्जित माना जाता है। ये तिथियां इस प्रकार हैं:

  • रविवार
  • बुधवार
  • एकादशी तिथि
  • पूर्णिमा तिथि

यदि मोहिनी एकादशी इनमें से किसी तिथि पर पड़ती है, तो व्रत को अगले दिन रखा जा सकता है।

उपसंहार

मोहिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-शांति का मार्ग प्रशस्त करने का एक उत्तम उपाय है।

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