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Masik Shivratri June 2024 :जून 2024 में मासिक शिवरात्रि कब है? जाने तिथि, महत्व और पूजा विधि

हिंदू धर्म में भगवान शिव को शिव शंभू, महादेव, नीलकंठ जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इस पवित्र दिन भगवान शिव कैलाश पर्वत से धरती लोक पर आते हैं और अपने भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं. आइए, इस लेख में हम जून 2024 में पहली मासिक शिवरात्रि की तिथि, महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

Masik Shivratri June 2024

जून 2024 मासिक शिवरात्रि की तिथि (Masik Shivratri June 2024 Tithi)

जून 2024 में मासिक शिवरात्रि 4 जून 2024 को पड़ रही है। यह दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ेगा। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 4 जून की सुबह 4 बजकर 14 मिनट पर होगा और समापन 9 जून की सुबह 5 बजकर 27 मिनट पर होगा।

मासिक शिवरात्रि का धार्मिक महत्व (Masik Shivratri Dharmik Mahatva)

मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  • पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
  • मनोवांछित फल की प्राप्ति: विश्वास किया जाता है कि इस पवित्र दिन भगवान शिव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यदि आप सच्चे मन से कोई इच्छा रखते हुए भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो आपकी वह इच्छा अवश्य ही पूरी होगी।
  • मोक्ष की प्राप्ति: मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से मासिक शिवरात्रि का व्रत रखते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं, उन्हें जीवनमुक्ति का वरदान मिलता है।
  • कल्याणकारी जीवन: मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और वैभव आता है। भगवान शिव का आशीर्वाद मिलने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और वह सफलता की ऊंचाइयों को प्राप्त करता है।

मासिक शिवरात्रि की विधि-विधान (Masik Shivratri Puja Vidhi 2024)

मासिक शिवरात्रि को धूमधाम से मनाया जाता है। इस पवित्र दिन भगवान शिव की आराधना करने के लिए कुछ खास विधि-विधान बताए गए हैं, जिनका पालन करना शुभ माना जाता है। आइए, उन विधियों के बारे में विस्तार से जानें:

  • प्रातः स्नान और संकल्प: मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात, पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • शिव मंदिर दर्शन: पूजा के पश्चात भक्तों को किसी भी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि अर्पित करें। इसके साथ ही भांग, धतुरा और इत्र भी चढ़ाए जा सकते हैं।
  • व्रत का पालन: मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने का विधान है। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। आप फल, दूध, दही और फलाहार का सेवन कर सकते हैं। मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन इस दिन वर्जित माना जाता है।
  • प्रदोष काल पूजा: प्रदोष काल को भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन शाम के समय प्रदोष काल में पुनः भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग पर दीप प्रज्वलित करें और उनका जलाभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव को भोग अर्पित करें। भोग में आप उन्हें फल, मिठाई या पंचामृत चढ़ा सकते हैं।
  • शिव स्त्रोत पाठ और मंत्र जाप: मासिक शिवरात्रि के दिन शिव स्त्रोत का पाठ करना और शिव मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। आप “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप कर सकते हैं। इसके अलावा “शिव तांडव स्त्रोत”, “लिंगाष्टकम” या “महामृत्युंजय मंत्र” का भी पाठ किया जा सकता है।
  • रात्रि जागरण: मासिक शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। रात में भगवान शिव की भक्ति में लीन रहें। आप भजन-कीर्तन कर सकते हैं, धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकते हैं या फिर भगवान शिव के ध्यान में लीन रह सकते हैं।
  • दान-पुण्य का महत्व: मासिक शिवरात्रि के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को दान दे सकते हैं। अन्नदान, वस्त्रदान या धन दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कुछ खास बातें (Masik Shivratri June 2024 Important Notes)

मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कुछ खास बातें भी हैं, जिन्हें जानना आपके लिए लाभदायक हो सकता है:

  • कथारूप महत्व: मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला था, जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था। इसी कारण उन्हें नीलकंठ कहा जाता है।
  • ज्योतिषीय महत्व: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन चंद्रमा बहुत कमजोर स्थिति में होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से चंद्र ग्रह के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में मासिक शिवरात्रि: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मासिक शिवरात्रि को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, गुजरात में इसे “महाशिवरात्रि” के रूप में मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में इसे ” प्रदोष व्रत” के नाम से जाना जाता है।

उपसंहार

मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का एक पवित्र अवसर है। इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने से आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। उम्मीद है, इस लेख में दी गई जानकारी आपको मासिक शिवरात्रि को मनाने और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायता करेगी।

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