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Masik Sankashti Chaturthi Vrat List 2024 :मासिक संकष्टी चतुर्थी व्रत सूची 2024, पूजा विधि और महत्व

संकष्टी चतुर्थी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह व्रत प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता और मंगल कार्यों के आरंभ में पूजे जाने वाले प्रथम देवता के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है, और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Sankashti Chaturthi 2024

2024 में संकष्टी चतुर्थी की तिथियां (Masik Sankashti Chaturthi Vrat Dates)

आने वाले वर्ष 2024 के लिए सभी मासिक संकष्टी चतुर्थी तिथियों को नीचे तालिका में दर्शाया गया है:

महीनातिथिदिन
जनवरी29सोमवार
फरवरी28बुधवार
मार्च28गुरुवार
अप्रैल27शनिवार
मई26रविवार
जून25मंगलवार
जुलाई24बुधवार
अगस्त22गुरुवार
सितंबर21शनिवार
अक्टूबर20रविवार
नवंबर18सोमवार
दिसंबर18बुधवार
Masik Sankashti Chaturthi Vrat List 2024

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि: पूजा का शुभ संकल्प (Masik Sankashti Chaturthi Vrat Vidhi)

संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने की विधि सरल है, लेकिन इसमें श्रद्धा और पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है। यहां विधि का विस्तृत विवरण दिया गया है:

  • व्रत प्रारंभ (पूर्व रात्रि): कुछ मान्यताओं के अनुसार, व्रत की तैयारी एक रात पहले ही शुरू हो जाती है। भक्त शाम को सात्विक भोजन कर सकते हैं और अगले दिन के व्रत के लिए संकल्प ले सकते हैं। संकल्प लेने का अर्थ है कि आप शुद्ध मन से व्रत करने का प्रण लेते हैं।
  • व्रत का प्रारंभ (प्रातः):
    • व्रत वाले दिन, सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर लें। स्वच्छ और धुले हुए वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी या वेदी बनाएं। इस पर गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें।
    • भगवान गणेश को आसन (वस्त्र), सिंदूर, वस्त्र, धूप, दीप, पुष्प, फल, मोदक या उनका प्रसाद अर्पित करें।
    • “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान गणेश का ध्यान करें।
    • “गणेश चतुर्थी व्रत कथा” का पाठ करें। आप किसी विद्वान या धर्मग्रंथ से कथा सुन सकते हैं या पढ़ सकते हैं। कथा सुनने या पढ़ने से व्रत के महत्व और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के बारे में ज्ञान मिलता है।
  • उपवास और पूजा का निरंतर क्रम:
    • पूरे दिन उपवास रखें। आप केवल निर्जल फलाहार का सेवन कर सकते हैं।
    • दिन के दौरान आप भगवान गणेश के भजनों का पाठ कर सकते हैं या उनकी आरती कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि

  • व्रत का पारण (सायं):
    • भगवान गणेश को भोग लगाने के बाद, आप स्वयं फल, दूध और घी का सेवन करके व्रत खोल सकते हैं। आप अपनी क्षमता और पारिवारिक परंपरा के अनुसार भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
  • पूजन सामग्री:
    • संकष्टी चतुर्थी पूजन के लिए आवश्यक सामग्री में शामिल हैं:
      • गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति
      • चौकी या वेदी
      • आसन (वस्त्र)
      • सिंदूर
      • वस्त्र
      • धूप
      • दीप
      • पुष्प (दूर्वा घास या गणेश जी को पसंद आने वाले अन्य फूल)
      • फल
      • मोदक या उनका प्रसाद
      • पान का पत्ता (कुछ परंपराओं में इस्तेमाल किया जाता है)
      • सुपारी (कुछ परंपराओं में इस्तेमाल किया जाता है)
      • जल
      • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण)
  • विशेष पूजन विधि ( वैकल्पिक ):
    • कुछ क्षेत्रों में, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को 21 दूर्वा के तिन (तीन तिन के सात गुच्छे) अर्पित करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
    • आप गणेश जी को इंद्रगोप यंत्र या श्री गणेश यंत्र भी अर्पित कर सकते हैं। इन यंत्रों की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और जीवन में बाधाएं दूर होती हैं। (ध्यान दें कि यंत्रों की स्थापना और पूजा के लिए किसी विद्वान से सलाह लेना उचित होता है।)

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व (Masik Sankashti Chaturthi Importance)

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिनमें शामिल हैं:

  • कष्टों का निवारण: ऐसा माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश भक्तों के जीवन से सभी कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं।
  • बुद्धि और विद्या प्राप्ति: भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है। उनका व्रत रखने से ज्ञान, विद्या और बुद्धि प्राप्त होती है। विद्यार्थी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए भी यह व्रत रखते हैं।
  • मनोकामना पूर्ति: भगवान गणेश को सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। शुद्ध मन से व्रत रखने और उनकी पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • व्यवसाय में सफलता: व्यापारी और उद्यमी भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे उन्हें अपने व्यवसाय में सफलता और वृद्धि प्राप्त होती है।
  • पारिवारिक सुख और शांति: संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से घर में सुख-शांति का वास होता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सद्भाव बना रहता है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत के कुछ नियम और सावधानियां

  • व्रत का संकल्प: व्रत प्रारंभ करने से पहले, भक्तों को शुद्ध मन से संकल्प लेना चाहिए।
  • निर्जल व्रत: यदि आप पूर्ण निर्जल व्रत रखना चाहते हैं, तो आपको पूरे दिन जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • सात्विक भोजन: यदि आप जल ग्रहण कर रहे हैं, तो आपको सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। मांसाहारी भोजन, मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • मन की शुद्धता: व्रत रखते समय मन को शुद्ध रखना बहुत महत्वपूर्ण है। नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए और भगवान गणेश का ध्यान करना चाहिए।
  • दान: व्रत खोलने के बाद, आप अपनी क्षमता अनुसार दान कर सकते हैं।

उपसंहार

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत रखने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी जीवन में सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति चाहते हैं, तो आपको संकष्टी चतुर्थी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।

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