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Masik Durga Ashtami 2024 June: मासिक दुर्गाष्टमी जून 2024 में कब है, जाने तिथि, पूजा विधि और महत्व

महिमाशाली देवी दुर्गा की कृपा पाने के लिए हर महीने आने वाली शुभ तिथियों में से एक है मासिक दुर्गाष्टमी। यह वह पवित्र दिन है, जिस पर भक्त पूजा-अर्चना कर शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. आइए, इस लेख में हम गहराई से जानें कि जून 2024 में दुर्गाष्टमी कब है, इसकी पूजा विधि क्या है, इसका क्या महत्व है और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां।

जून 2024 में दुर्गाष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त

जून 2024 में मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व 14 जून को मनाया जाएगा। आइए देखें इस दिन के शुभ मुहूर्तों को –

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 जून, सुबह 06:21 बजे से
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 15 जून, सुबह 04:54 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 14 जून, दोपहर 12:06 बजे से 12:55 बजे तक

इन शुभ मुहूर्तों में से अपनी सुविधा के अनुसार पूजा का समय निर्धारित कर सकते हैं।

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि

मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा विधि सरल है, जिसे आप घर पर ही श्रद्धापूर्वक संपन्न कर सकते हैं। आइए जानें विधि के चरणों को –

  1. पूर्व तैयारियां: दिन की शुरुआत स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनने से करें। इसके बाद अपने पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और उसे सजाएं। एक चौकी या आसन बिछाकर उस पर कलश स्थापित करें। कलश में शुद्ध जल भरें और उसके मुख पर आम या मौली का धागा बांधें। इसके ऊपर नारियल रखें और लाल कपड़ा से उसका मुख ढक दें। अब कलश पर पंचमी के पत्ते और सुपारी रखें।
  2. देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापना: कलश के पास ही देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। आप चाहें तो श्रीयंत्र की भी स्थापना कर सकते हैं।
  3. आवाहन और पूजन: देवी दुर्गा का ध्यान करें और उनका आवाहन करें। इसके बाद उन्हें दीप प्रज्वलित करें, पुष्प अर्पित करें, और फल तथा मिष्ठान का भोग लगाएं। धूप और अगरबत्ती जलाकर देवी की सुगंध से पूजा स्थल को भरें।
  4. मंत्र जाप और आरती: देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या फिर “ॐ दुर्गा देव्यै नमः” मंत्र का जप करें। इसके बाद श्रद्धापूर्वक देवी दुर्गा की आरती उतारें।
  5. व्रत का पालन: यदि आप व्रत रख रहे हैं तो सात्विक भोजन ग्रहण करें। दिन भर सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, लोभ, मोह जैसे नकारात्मक भावों से दूर रहें। जरूरतमंदों की सहायता करें और दूसरों की सेवा भाव से करें।
  6. व्रत का पारण: अगले दिन सुबह स्नान करके पूजा स्थान की साफ-सफाई करें। इसके बाद कलश का जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें। आप चाहें तो फलाहार ग्रहण करके भी व्रत का पारण कर सकते हैं।

मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व

  1. मनोकामना पूर्ति (ต่อ): जैसा कि हमने बताया, मासिक दुर्गाष्टमी को सच्चे मन से पूजा करने और व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  2. पापों का नाश और पुण्य प्राप्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र दिन पर देवी दुर्गा की उपासना करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे आत्मिक शुद्धि होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
  3. सुख-समृद्धि और आरोग्य: मासिक दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की आराधना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही, इस व्रत को करने से व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
  4. स्त्रियों के लिए विशेष फलदायी: मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत स्त्रियों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इससे उन्हें वैवाहिक जीवन में सुख, संतान प्राप्ति का आशीर्वाद और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  5. आत्मिक शक्ति और ज्ञान प्राप्ति का माध्यम: मासिक दुर्गाष्टमी पर व्रत रखने और पूजा करने से आत्मिक शक्ति का विकास होता है। साथ ही, देवी दुर्गा ज्ञान की भी प्रदाता हैं। इस दिन उनकी उपासना करने से ज्ञान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  6. शक्ति और सकारात्मकता का संचार: देवी दुर्गा शक्ति और सकारात्मकता की प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों में भी यही गुण विकसित होते हैं। इससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त करते हैं।
  7. नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि देवी दुर्गा बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। उनकी उपासना करने से भक्तों को इन नकारात्मक शक्तियों से रक्षा प्राप्त होती है और घर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है।

मासिक दुर्गाष्टमी से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

  1. नवरात्रि और मासिक दुर्गाष्टमी: शायद आप जानते होंगे कि हिन्दू धर्म में वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती हैं। इनमें से प्रत्येक नवरात्रि के दौरान आने वाली अष्टमी तिथि को भी मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, इन दोनों में थोड़ा अंतर होता है। मासिक दुर्गाष्टमी हर महीने आती है, जबकि नवरात्रि के दौरान आने वाली दुर्गाष्टमी को विशेष महत्व दिया जाता है।
  2. मासिक दुर्गाष्टमी व्रत नियम: यदि आप मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं, तो कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों में सात्विक भोजन ग्रहण करना, मांस, मदिरा और नशीले पदार्थों का त्याग करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, दिन भर सकारात्मक विचार रखना और दूसरों की सेवा करना शामिल है।
  3. विभिन्न क्षेत्रों में मासिक दुर्गाष्टमी: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मासिक दुर्गाष्टमी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के लिए, गुजरात में इसे “शेहरी अष्टमी” के नाम से जाना जाता है, तो वहीं बंगाल में इसे “अष्टमी” या “अष्टमी पूजा” के नाम से जाना जाता है।

उपसंहार

मासिक दुर्गाष्टमी आत्मिक शक्ति, सकारात्मकता और कल्याण का प्रतीक है। इस दिन देवी दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को शक्ति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। आप भी अपनी आस्था के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखें और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।

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