Tuesday Vrat Katha: मंगलवार व्रत को हिंदू धर्म में विशेष रूप से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से मंगलवार के दिन रखा जाता है और इसका उद्देश्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करना होता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से मंगलवार व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
यह व्रत विशेष रूप से संतान सुख की प्राप्ति, पारिवारिक कलह से छुटकारा पाने और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है। साथ ही, मंगल दोष, मांगलिक दोष और अन्य ग्रह दोषों के निवारण के लिए भी मंगलवार व्रत करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

मंगलवार व्रत के लाभ (Mangalwar Vrat Ke Labh)
- जो व्यक्ति श्रद्धा से मंगलवार व्रत करता है, उसे हनुमान जी की कृपा से बल, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- इस व्रत से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान से जुड़े कष्ट समाप्त होते हैं।
- जीवन में आर्थिक कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
- शत्रुओं पर विजय और भय से मुक्ति मिलती है।
- मांगलिक दोष से पीड़ित जातकों को इससे लाभ मिलता है और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
मंगलवार व्रत का महत्व (Mangalwar Vrat Katha Mahatva)
मंगलवार व्रत का धार्मिक दृष्टि से बहुत बड़ा महत्व है। यह व्रत साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल को बढ़ाता है। भगवान हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है और मंगल व्रत उनके आशीर्वाद को पाने का सशक्त माध्यम है। यह व्रत व्यक्ति को साहस, धैर्य और समर्पण की शक्ति प्रदान करता है।
जो भक्त नियमित रूप से मंगलवार व्रत रखते हैं, उन्हें न केवल भौतिक सुख-सुविधाएं मिलती हैं बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इस व्रत का पालन करने से जीवन में आने वाली विपत्तियां टलती हैं और व्यक्ति भयमुक्त, स्वस्थ और सुखी जीवन जीता है। इसलिए मंगल व्रत को विशेष रूप से हनुमान भक्तों और संकटों से मुक्ति चाहने वालों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।
मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha)
बहुत समय पहले की बात है, एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी संतान सुख से वंचित थे। संतान की इच्छा में दोनों ही अत्यंत दुखी रहते थे। ब्राह्मण ने संतान प्राप्ति की कामना से वन में जाकर भगवान हनुमान जी की श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना की। पूजा करते समय उसने महावीर हनुमान जी से एक योग्य पुत्र प्रदान करने की प्रार्थना की। उसी तरह घर पर उसकी पत्नी भी अपनी ओर से प्रयास कर रही थी। वह प्रत्येक मंगलवार को विधि-विधान से उपवास करती और व्रत का समापन हनुमान जी को भोग अर्पित करने के पश्चात ही भोजन करती थी।
एक मंगलवार ऐसा आया जब किसी कारणवश ब्राह्मणी न तो भोजन तैयार कर पाई और न ही भगवान हनुमान जी को भोग अर्पित कर सकी। उसने यह संकल्प लिया कि वह अगले मंगलवार को अवश्य हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी। इस संकल्प को निभाने की दृढ़ इच्छा से वह अगले छह दिन तक भूखी-प्यासी रही और अत्यंत कमजोर हो गई। मंगलवार के दिन वह इतनी दुर्बल हो गई कि बेहोश होकर गिर पड़ी। उसकी इस निष्ठा और तपस्या से भगवान हनुमान जी अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने प्रकट होकर ब्राह्मणी को एक पुत्र का आशीर्वाद दिया और कहा कि यह पुत्र तुम्हारी सेवा करेगा और तुम्हारे कुल का गौरव बढ़ाएगा।
पुत्र को पाकर ब्राह्मणी अत्यंत आनंदित हुई और उसने उसका नाम ‘मंगल’ रखा। कुछ समय पश्चात जब ब्राह्मण घर लौटा और उसने उस बालक को देखा तो आश्चर्यचकित रह गया। जब पत्नी ने उसे सारी कथा बताई कि यह पुत्र हनुमान जी की कृपा से प्राप्त हुआ है, तो वह इस पर विश्वास नहीं कर सका। संदेहवश एक दिन ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया। परंतु कुछ ही समय बाद मंगल बालक हंसता-मुस्कुराता वापस घर लौट आया। यह देखकर ब्राह्मण स्तब्ध रह गया। उसी रात हनुमान जी ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और बताया कि यह बालक उनकी ही कृपा से उसे प्राप्त हुआ है।
सच्चाई जानकर ब्राह्मण बहुत प्रसन्न हुआ और उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर नियमित रूप से प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का व्रत करना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धापूर्वक मंगलवार व्रत की कथा सुनता या पढ़ता है और नियमपूर्वक व्रत करता है, उसे हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं।
ALSO READ:-
Mythology| श्रीकृष्ण ने क्यों बताया कर्ण को सबसे बड़ा दानी| जाने इसके पीछे की कथा
FAQs
मंगल व्रत क्यों रखा जाता है?
मंगलवार व्रत भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने और जीवन में सुख-शांति, संतान सुख, शत्रु बाधा से मुक्ति तथा ग्रह दोषों के निवारण के लिए रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से मांगलिक दोष से मुक्ति और वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
मंगल व्रत करने से क्या लाभ होते हैं?
मंगल व्रत करने से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। इससे शारीरिक बल, बुद्धि और साहस बढ़ता है। शत्रुओं पर विजय, संतान सुख, आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही मंगल ग्रह से संबंधित दोषों का प्रभाव भी कम हो जाता है।
मंगल व्रत की पूजा विधि क्या है?
मंगल व्रत में प्रातः स्नान करके हनुमान जी का सिंदूर, चमेली का तेल और लाल पुष्पों से पूजन करें। हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें। दिनभर उपवास रखें और शाम को हनुमान जी को गुड़-चने या बेसन के लड्डू का भोग लगाकर व्रत खोलें।
मंगल व्रत कथा सुनना क्यों आवश्यक है?
मंगल व्रत कथा सुनना व्रत की पूर्णता और पुण्य प्राप्ति के लिए अनिवार्य माना गया है। मान्यता है कि मंगल व्रत कथा को श्रद्धा से सुनने या पढ़ने से भगवान हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।