हिंदू धर्म में महानंदा नवमी का व्रत अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। यह व्रत माघ, भाद्रपद और मार्गशीर्ष महीनों में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानंदा नवमी का व्रत किया जाता है। खास बात यह है कि यह तिथि गुप्त नवरात्रि के दौरान पड़ने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसे ‘ताल नवमी’ के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं महानंदा नवमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
महानंदा नवमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Mahananda Navmi 2025 Date)
2025 में महानंदा नवमी 6 फरवरी को मनायी जायेगी।
महानंदा नवमी का महत्व (Mahananda Navmi Mahatva)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महानंदा नवमी पर मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
महानंदा नवमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्नान और पूजा करने से व्यक्ति को वर्तमान और पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही यह व्रत आत्मा को शुद्ध करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का एक माध्यम है।
महानंदा नवमी की कथा (Mahananda Navmi Katha)
श्री महानंदा नवमी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक साहूकार की बेटी नियमित रूप से पीपल के वृक्ष की पूजा करती थी। उस पीपल में मां लक्ष्मी का वास था। मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से मित्रता कर ली। एक दिन उन्होंने साहूकार की बेटी को अपने घर बुलाया और उसे तरह-तरह के व्यंजन खिलाए और कई उपहार दिए। जब साहूकार की बेटी घर लौटने लगी, तो मां लक्ष्मी ने उससे पूछा, “तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी?”
बेटी ने अनमने मन से उन्हें अपने घर आने का निमंत्रण तो दे दिया, लेकिन वह चिंतित और उदास हो गई। जब उसके पिता ने उसकी उदासी का कारण पूछा, तो उसने कहा, “मां लक्ष्मी के घर की तुलना में हमारे यहां तो कुछ भी नहीं है। मैं उनकी मेहमाननवाजी कैसे कर पाऊंगी?” इस पर साहूकार ने कहा, “हमारे पास जो कुछ भी है, उसी से हम उनका आदर-सत्कार करेंगे।”
इसके बाद साहूकार की बेटी ने घर को साफ किया, चौका लगाया, और चौमुख दीपक जलाकर मां लक्ष्मी का नाम लेते हुए उनके आने की प्रतीक्षा करने लगी। उसी समय, एक चील कहीं से नौलखा हार लेकर आया और वहां डाल गया। उस हार को बेचकर साहूकार की बेटी ने सोने का थाल, शाल-दुशाला, और अनेक प्रकार के व्यंजन तैयार किए। उसने मां लक्ष्मी के लिए सोने की चौकी भी मंगवाई।
थोड़ी देर बाद, मां लक्ष्मी गणेश जी के साथ वहां पधारीं। साहूकार की बेटी ने उनका बड़े आदर और प्रेम के साथ स्वागत किया। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उसे हर प्रकार की समृद्धि का वरदान दिया।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति महानंदा नवमी के दिन व्रत रखकर मां लक्ष्मी का श्रद्धापूर्वक पूजन-अर्चन करता है, उनके घर में स्थायी लक्ष्मी का वास होता है। इसके साथ ही दरिद्रता और दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं।
मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की पूजा का विधान (Mahananda Navmi Puja Vidhi)
महानंदा नवमी के दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ मां दुर्गा की पूजा का भी विशेष महत्व है। देवी दुर्गा को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, देवी दुर्गा की पूजा से सभी बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा पर विजय प्राप्त होती है। इसी कारण उन्हें ‘दुर्गतिनाशिनी’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है, “जो सभी कष्टों और संकटों को दूर करती हैं।”
इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने का विधान है। ये स्वरूप हैं:
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कुष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
इन सभी स्वरूपों की पूजा श्रद्धा और भक्तिभाव से करने से साधक को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। देवी दुर्गा की पूजा से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और संकटों का नाश होता है, और व्यक्ति को सुख, शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
स्नान और दान का महत्व (Mahananda Navmi Snan Mahatva)
महानंदा नवमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस दिन गंगा, यमुना या अन्य किसी पवित्र नदी में स्नान करने से न केवल शारीरिक बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है। इसके साथ ही इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है।
दान के अंतर्गत अनाज, वस्त्र, धन और अन्य जरूरी वस्तुएं जरूरतमंदों को दी जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान करने से व्यक्ति को कई गुणा पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
महानंदा नवमी के दिन करें ये उपाय (Mahananda Navmi Upay)
महानंदा नवमी के दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा, व्रत और मंत्र जाप करने से जीवन में दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस दिन व्रत रखने और पूजन करने से धन की कमी समाप्त होती है और धीरे-धीरे सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन छोटी कन्याओं या कुंवारी बालिकाओं का पूजन करना और उन्हें भोजन कराकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेना बहुत शुभ माना गया है। साथ ही, इस दिन घर से नकारात्मकता दूर करने के लिए अलक्ष्मी का विसर्जन किया जाता है। सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें, कूड़ा-कचरा इकट्ठा कर सूप में भरें और उसे घर से बाहर निकाल दें। इसके बाद स्नान कर मां लक्ष्मी का आवाहन और पूजन करें।
विशेष मंत्रों का जाप
- सुख-समृद्धि और सफलता के लिए
महानंदा नवमी के दिन ‘देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥’ मंत्र का 108 मखानों से हवन करने से सुख, सौभाग्य, आरोग्य और सुंदरता की प्राप्ति होती है। साथ ही चारों दिशाओं से सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। - विवाह योग्य जातकों के लिए
जो लोग एक आदर्श जीवनसंगिनी की तलाश में हैं, वे नवमी के दिन दुर्गा सप्तशती के इस मंत्र-
‘पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्।।’
का 21 बार जाप करें। यह उपाय विवाह योग्य जातकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। - शत्रु से छुटकारा पाने के लिए
अगर आप शत्रु बाधा से परेशान हैं, तो नवमी के दिन
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।’
मंत्र का जाप करें और धान को भूनकर उससे हवन करें।
आर्थिक समृद्धि के लिए
महानंदा नवमी के दिन सिद्धकुंजिका स्रोत का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन कन्या भोज कराकर उन्हें उपहार दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक रूप से संपन्नता का मार्ग खुलता है।
महानंदा नवमी के ये उपाय न केवल भौतिक सुख-समृद्धि लाते हैं, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता का भी अनुभव कराते हैं। इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा-अर्चना करें और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करें।
महानंदा नवमी का व्रत हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। इस दिन मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध कर सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
महानंदा नवमी केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह जीवन को नई दिशा देने और ईश्वर के प्रति समर्पण का एक अद्भुत माध्यम है। इस दिन का पालन श्रद्धा और भक्तिभाव से करने पर निश्चित रूप से जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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