खरमास 2025 दिसंबर में कब से: सनातन धर्म में समय का बहुत गहरा स्थान है। प्रत्येक तिथि, माह, नक्षत्र और ग्रह-गोचर जीवन पर प्रभाव डालते हैं। इन्हीं समयचक्रों में एक विशेष कालखंड आता है जिसे खरमास कहा जाता है। यह अवधि साल में दो बार पड़ती है और इसे अशुभ माना जाता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन या किसी भी मांगलिक कार्य को स्थगित कर दिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में शुभ कार्यों की ऊर्जा कमजोर हो जाती है, इसलिए कोई भी नया कार्य प्रारंभ करना वर्जित माना गया है।
वर्ष 2025-26 में भी खरमास अपनी निर्धारित अवधि में प्रारंभ होगा और लगभग एक माह तक चलेगा। इस लेख में जानें कि खरमास कब से शुरू होगा, कब समाप्त होगा, इसके दौरान शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते, और इस काल का ज्योतिषीय तथा धार्मिक महत्व क्या है।
खरमास क्या है और इसकी अवधारणा कैसे बनी?
खरमास का उल्लेख अनेक पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इसे मल मास, पुरुषोत्तम मास और अशुभ मास भी कहा गया है। खरमास का नामकरण सूर्य के गुरु ग्रह के राशियों में प्रवेश से जुड़ा है। जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में गोचर करते हैं, तब यह विशेष अवधि प्रारंभ होती है।
खरमास को अशुभ माना जाने का प्रमुख कारण यह है कि इस समय सूर्य की गति धीमी होती है और बृहस्पति ग्रह की शक्ति भी प्रभावित होती है। सूर्य आत्मबल, ऊर्जा और तेज का प्रतीक है, जबकि बृहस्पति शुभता, ज्ञान और सौभाग्य का कारक माना जाता है। जब दोनों ही ग्रह अपनी पूर्ण प्रभावशीलता में नहीं रहते, तब जीवन के नए कार्य आरंभ करना वांछनीय नहीं माना जाता।
खरमास साल में दो बार क्यों लगता है?
भारतीय पंचांग के अनुसार सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ग्रहों की स्थिति और गति के आधार पर कई संक्रांतियाँ और परिवर्तन होते रहते हैं। इन्हीं परिवर्तनों के तहत सूर्य देव गुरु ग्रह के दोनों राशियों—धनु और मीन—में जब गोचर करते हैं, तो दो बार खरमास लगता है। धनु और मीन दोनों राशि बृहस्पति की हैं, इसलिए इन राशियों में सूर्य का प्रवेश शुभता को कमजोर कर देता है।
अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर देखें तो खरमास आमतौर पर नवंबर-दिसंबर और मार्च-अप्रैल में पड़ता है। इस प्रकार यह वर्ष में दो बार अपनी निश्चित अवधि में उपस्थित होता है और हर बार लगभग एक महीने तक चलता है।
खरमास 2025 कब से प्रारंभ होगा?
वर्ष 2025 में नवंबर महीने के बाद दिसंबर में सूर्य की स्थिति बदलने वाली है। पंचांग के अनुसार 2025 में सूर्य देव धनु राशि में 16 दिसंबर, मंगलवार, प्रातः 04:27 बजे प्रवेश करेंगे। जैसे ही सूर्य धनु राशि में गोचर करते हैं, खरमास प्रारंभ हो जाता है। इसलिए 2025 में खरमास 16 दिसंबर से शुरू होगा और लगभग एक पूरा चंद्र महीने तक चलेगा।
इस अवधि में सूर्य की गति धीमी मानी जाती है, जिससे धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुभ कार्य बाधित हो सकते हैं। सूर्य के धनु राशि में स्थित रहने तक खरमास प्रभावी रहेगा।
खरमास का समापन कब होगा?
खरमास तब समाप्त होता है जब सूर्य बृहस्पति की राशि से बाहर निकलकर किसी अन्य राशि में प्रवेश करते हैं। यह परिवर्तन 2026 की शुरुआत में होगा। पंचांग के अनुसार सूर्य देव धनु राशि से निकलकर 14 जनवरी 2026, बुधवार, दोपहर 03:13 बजे मकर राशि में गोचर करेंगे। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रांति कहलाता है।
मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। इस प्रकार 2025-26 का खरमास 16 दिसंबर 2025 से 14 जनवरी 2026 तक चलेगा। इस अवधि में लगभग एक पूरा माह कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाएगा।
खरमास की अवधि में सभी शुभ कार्य क्यों रुक जाते हैं?
धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय सिद्धांतों के अनुसार, शुभ कार्य तभी सफल और फलदायी होते हैं जब सूर्य और बृहस्पति दोनों ग्रह अपनी पूर्ण शक्ति में हों। सूर्य आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि बृहस्पति ज्ञान, विवाह, संतान, धन और शुभता के कारक ग्रह हैं।
खरमास के दौरान सूर्य गुरु की राशियों में प्रवेश करता है, जिससे दोनों ग्रहों का प्रभाव कमजोर हो जाता है। बृहस्पति की शुभ शक्ति कम हो जाती है और सूर्य की प्राणशक्ति भी पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं रहती।
यही कारण है कि विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नया व्यवसाय शुरू करना, नए भवन का निर्माण, या किसी भी प्रकार के नए शुभ कार्य इस समय में नहीं किए जाते। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में आरंभ किए गए कार्य सफल होने में बाधाएं उत्पन्न कर सकते हैं या अपेक्षित फल नहीं दे पाते।
खरमास को अशुभ क्यों कहा जाता है?
खरमास को अशुभ कहने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक मत भी बताए जाते हैं। प्रचलित कथाओं के अनुसार जब सूर्य बृहस्पति की राशियों में गोचर करते हैं तो सूर्य देव का वाहन तेज गति से नहीं चल पाता। सूर्य की यह मंद गति पृथ्वी पर ऊर्जा संतुलन को प्रभावित करती है।
कुछ मान्यताओं में बताया गया है कि जब सूर्य मीन और धनु राशि में रहते हैं, तब धन और धार्मिक कार्यों में गिरावट देखी जाती है। ग्रह-बल कमजोर होने के कारण शुभ परिणाम नहीं मिलते। इसलिए इसे अशुभ मास कहा गया है।
शुभ कार्यों पर रोक का आध्यात्मिक कारण
खरमास केवल ज्योतिषीय रूप से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी एक विशिष्ट काल माना जाता है। इस पूरे एक महीने को आत्म-चिंतन, साधना, दान-पुण्य और ईश्वर भक्ति के लिए उपयुक्त समय कहा गया है।
यह वह अवधि होती है जब व्यक्ति को बाहरी कार्यों के बजाय मन को शांत कर अंतर्मन की ऊर्जा विकसित करनी चाहिए। इसलिए मांगलिक तथा बाहरी गतिविधियों को रोककर साधना, मंत्र-जप, ध्यान और दान-
धर्म की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जाता है।
क्या खरमास में हर कार्य वर्जित है?
यह मानना गलत है कि खरमास में सभी कार्य वर्जित होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केवल नए शुभ कार्य स्थगित किए जाते हैं जो जीवन में नए आरंभ से जुड़े होते हैं।
खरमास में जो कार्य किए जा सकते हैं, वे हैं—
- पूजा-पाठ
- जप-तप
- दान-पुण्य
- यज्ञ
- उपवास
- आध्यात्मिक साधना
इन कार्यों को इस मास में अत्यंत फलदायी माना गया है क्योंकि इस समय आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और व्यक्ति का मन स्थिर होता है।
खरमास में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन क्यों नहीं होते?
वैवाहिक संबंध केवल दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है। इसलिए इसके लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त का चयन अनिवार्य माना जाता है।
खरमास में विवाह न करने का कारण यह है कि विवाह के कारक ग्रह बृहस्पति इस समय कमजोर होते हैं। ऐसे में विवाह के बाद कठिनाइयाँ, कलह, संतति समस्याएँ या आर्थिक अवरोध जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।
गृह प्रवेश और मुंडन जैसे संस्कार भी शुभ ग्रहों की शक्ति के बिना नहीं किए जाते। ग्रह कृपा के अभाव में ये कार्य शुभ फल नहीं देते। इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें रोक दिया जाता है।
खरमास में किए गए कार्यों के क्या परिणाम होते हैं?
धार्मिक ग्रंथों में यह उल्लेख है कि खरमास में किए गए शुभ कार्य अपेक्षित फल नहीं देते। कभी-कभी वे लाभ के बजाय हानि भी कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर:
- नवविवाह में वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ सकता है।
- गृह प्रवेश करने पर घर में शांति और स्थिरता नहीं बन पाती।
- व्यावसायिक शुरुआत तुरंत रुकावटों का सामना कर सकती है।
यहाँ तक कि मुंडन जैसे संस्कार भी इस दौरान बच्चे के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव नहीं डालते। यही कारण है कि इस काल में इन्हें स्थगित करने की सलाह दी जाती है।
खरमास समाप्त होने के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत
जैसे ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से खरमास समाप्त होकर शुभ समय का प्रारंभ होता है।
2026 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी, बुधवार, दोपहर 03:13 बजे होगा। इसी क्षण से खरमास समाप्त हो जाएगा और विवाह, गृह प्रवेश, निर्माण कार्य और अन्य सभी मांगलिक कार्य पुनः आरंभ किए जा सकेंगे।
खरमास एक प्राकृतिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण काल है। यह समय व्यक्ति को बाहरी भौतिक गतिविधियों से अलग होकर स्वयं के भीतर झांकने का अवसर देता है। यद्यपि इस अवधि में मांगलिक कार्यों पर रोक होती है, लेकिन यह समय साधना, भक्ति, दान-पुण्य और आध्यात्मिक प्रगति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
वर्ष 2025-26 का खरमास 16 दिसंबर 2025 से 14 जनवरी 2026 तक चलेगा। इस एक महीने के दौरान शुभ कार्य स्थगित रहेंगे और मकर संक्रांति के बाद पुनः शुरू हो सकेंगे।
खरमास का उद्देश्य जीवन को असंतुलित करना नहीं बल्कि आत्मिक शक्ति को बढ़ाना और शुभ कार्यों को उपयुक्त समय पर करने की प्रेरणा देना है। इसी दृष्टिकोण से इसे धर्म और ज्योतिष दोनों में विशेष स्थान दिया गया है।
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