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Karwa Chauth 2024 :करवा चौथ 2024 में कब है,जाने तिथि, चाँद निकलने का समय और पौराणिक कथा

करवा चौथ, सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह व्रत पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और मंगल कामना के लिए रखा जाता है। आइए, इस वर्ष 2024 में करवा चौथ के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें तिथि, महत्व, व्रत नियम, पूजा विधि, आवश्यक सामग्री और पौराणिक कथाएं शामिल हैं।

Karwa Chauth 2024

करवा चौथ 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2024 Date/Karwa chauth moon rise time)

इस वर्ष 2024 में करवा चौथ का पर्व रविवार, 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

  • व्रत प्रारंभ का शुभ मुहूर्त: सूर्योदय से पहले (अनुमानित रूप से प्रातः 4:52 बजे से)
  • सरगी ग्रहण का समय: प्रातः 03:10 से 03:40 बजे तक
  • चंद्रोदय का समय: रात 07:54 बजे (अनुमानित)
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त: रात 07:54 बजे से 09:07 बजे तक

ध्यान दें: चंद्रोदय का समय प्रति वर्ष बदलता रहता है। यह सलाह दी जाती है कि आप अपने क्षेत्र के अनुसार शुभ मुहूर्त का निर्धारण किसी पंचांग या ज्योतिषी से कर लें।

करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth Importance)

करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और अटूट बंधन का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है। करवा चौथ का व्रत संयम, आत्मबल और त्याग का भी प्रतीक माना जाता है।

करवा चौथ के व्रत नियम (Karva Chauth fasting rules)

करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए कुछ नियम निर्धारित हैं, जिनका पालन करना आवश्यक माना जाता है। ये नियम इस प्रकार हैं:

  • व्रत संकल्प: करवा चौथ के एक या दो दिन पहले महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं। पूजा के स्थान पर बैठकर वे ईश्वर का ध्यान कर व्रत को सफलतापूर्वक पूरा करने की प्रार्थना करती हैं।
  • सरगी ग्रहण: व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले सास या पति द्वारा दिए गए भोजन (सरगी) को ग्रहण किया जाता है। सरगी में मीठे पदार्थ, फल और दूध आदि का सेवन किया जाता है।
  • निर्जला व्रत: पूरे दिन महिलाएं जल, भोजन और किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ का सेवन नहीं करती हैं। दिनभर में वे ईश्वर का ध्यान करती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं।

करवा चौथ की पूजा विधि और सामग्री (Karva Chauth puja method and material)

करवा चौथ की पूजा के लिए कुछ आवश्यक सामग्री की आवश्यकता होती है, जिनकी व्यवस्था व्रत से पहले ही कर लेनी चाहिए। पूजा विधि निम्न प्रकार से है:

पूजा सामग्री:

  • करवा (मिट्टी का एक छोटा घड़ा)
  • गणेश जी की मूर्ति
  • शिव-पार्वती जी की तस्वीर
  • चावल
  • रोली
  • मौली (पवित्र सूत)
  • मेहंदी
  • बिंदी
  • दीपक
  • अगरबत्ती
  • कपूर
  • मिठाई
  • छलनी
  • चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए जल

पूजा विधि:

  • सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान को साफ करके चौकी या आसन बिछाएं।
  • इस आसन पर करवे को स्थापित करें और उस पर कलावा बांधकर रोली और चावल का टीका लगाएं।
  • गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और उनका भी पूजन करें।
  • इसके बाद शिव-पार्वती जी की तस्वीर रखें और उनका ध्यान करते हुए उनकी पूजा करें।
  • थाली में थोड़े से चावल, सिंदूर, मौली, मेहंदी, बिंदी, मिठाई आदि रखें।
  • दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। कपूर जलाकर आरती करें।
  • करवा चौथ की व्रत कथा सुनें। कथा सुनने के बाद करवा माता की पूजा करें और उन्हें सुहाग का सामान अर्पित करें।
  • शाम को चंद्रमा के निकलने का इंतजार करें। चंद्रमा निकलने पर छलनी से चंद्रमा को अर्घ्य दें और फिर अपने पति को छलनी से देखें।
  • पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें। इसके बाद भोजन ग्रहण करें।

ध्यान दें: यह एक सामान्य पूजा विधि है। क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार पूजा विधि में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। आप चाहें तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेकर विधि को विस्तार से जान सकते हैं।

करवा चौथ से जुड़ी पौराणिक कथाएं (Karwa Chauth Katha)

करवा चौथ के उत्सव से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से दो प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं:

1. करवा माता की कथा:

यह सबसे प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार, राजा सावंत सिंह की पत्नी करवा एक सतী-साध्वी स्त्री थीं। उनके भाई गौतम ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। करवा ने बिना पति की अनुमति के ही व्रत रख लिया। व्रत के दिन उन्हें बहुत प्यास लगी, उन्होंने अपने भाई से पानी मांगा, लेकिन चंद्रमा उस दिन देर से निकला। प्यास के कारण करवा बेहोश हो गईं। उनके पति उन्हें मृत समझ कर शोक मनाने लगे। उसी समय भगवान शिव और पार्वती प्रकट हुए और उन्होंने बताया कि करवा सौभाग्यवती हैं और उन्हें पति का प्यार जल्द ही वापस मिल जाएगा। जैसे ही आकाश में चंद्रमा निकला, करवा को होश आया और उन्होंने चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया। इस तरह से करवा माता की कथा पति-पत्नी के प्रेम और अटूट विश्वास का प्रतीक बन गई।

2. महाभारत काल की कहानी:

महाभारत काल में पाँचों पांडव द्रौपदी के पति थे। द्रौपदी भी करवा चौथ का व्रत रखती थीं। एक वर्ष, युद्ध के कारण चंद्रमा देरी से निकला। पाँचों पंडवों को लगा कि द्रौपदी का व्रत भंग हो गया है। इसलिए उन्होंने द्रौपदी को भोजन करने के लिए कहा। द्रौपदी ने युधिष्ठिर के हाथ से ही जल ग्रहण किया। इसी कारण युधिष्ठिर को ही 14 वर्ष का वनवास भोगना पड़ा। यह कथा इस बात का प्रतीक है कि व्रत का पारण सिर्फ पति के हाथ से ही करना चाहिए।

करवा चौथ के समय मनाए जाने वाले अन्य रिवाज

  • मेहंदी लगाना: करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं। यह सुहाग का प्रतीक माना जाता है। मेहंदी का गहरा रंग पति-पत्नी के प्रेम की गहराई को दर्शाता है।
  • सजना-संवरना: करवा चौथ के दिन महिलाएं श्रृंगार कर साज-सज्जा करती हैं। सुंदर वस्त्र पहनकर और आभूषण धारण कर वे इस विशेष अवसर को मनाती हैं।
  • उपहारों का आदान-प्रदान: करवा चौथ के अवसर पर पति अपनी पत्नी को उपहार देते हैं। यह उपहार पत्नी के प्रति उनके प्रेम और सम्मान का प्रतीक होता है। वहीं, कुछ जगहों पर महिलाएं भी अपने पति को उपहार देती हैं।
  • सास-बहू का रिश्ता: करवा चौथ के व्रत में सास का विशेष महत्व होता है। अक्सर सास ही अपनी बहू को व्रत के लिए सरगी तैयार करती हैं और उनका मार्गदर्शन करती हैं। यह पर्व सास-बहू के रिश्ते को मजबूत बनाने में भी सहायक होता है।
  • सहेलियों का मिलना-जुलना: करवा चौथ के दिन कुछ क्षेत्रों में महिलाएं आपस में मिलकर सामूहिक रूप से पूजा-पाठ करती हैं और व्रत का पारण करती हैं। यह मिलन-जुलन का अवसर उन्हें खुशियां बांटने और एक-दूसरे के अनुभवों को साझा करने का मौका देता है।

करवा चौथ का पर्व सिर्फ एक व्रत ही नहीं, बल्कि पति-पत्नी के प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। यह दिन महिलाओं को अपनी पतिव्रता धर्म का निर्वाह करने और पति के सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

उपसंहार

करवा चौथ का पर्व भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व न सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि सास-बहू के रिश्ते और महिलाओं के आपसी बंधन को भी मजबूत करता है। इस लेख में हमने करवा चौथ 2024 की तिथि, महत्व, व्रत नियम, पूजा विधि, सामग्री और पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जाना। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। करवा चौथ का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाएं और अपने प्रियजनों के साथ खुशियां बांटें।

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