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Kartik Snan 2025: कार्तिक स्नान 2025 में कब से शुरू होगी, तिथि, महत्व और पौराणिक कथा

Last Updated: 15 April 2025

Kartik Snan 2025:कार्तिक मास को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है. इस महीने में भगवान विष्णु की आराधना का विशेष विधान होता है. कार्तिक स्नान भी उसी का एक हिस्सा है, जो भगवान विष्णु और पवित्र नदियों, खासकर गंगा जी की पूजा का एक पवित्र अनुष्ठान है. आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि कार्तिक स्नान 2025 में कब से शुरू होगा, इसका क्या महत्व है और इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है.

कार्तिक स्नान
Kartik Snan 2025

कार्तिक स्नान 2025: तिथियां (Kartik Snan 2025 Start Date)

वर्ष 2025 में पवित्र कार्तिक स्नान की शुरुआत 7 अक्टूबर, मंगलवार से होगी और इसका समापन 5 नवंबर, बुधवार को होगा।

पूर्णिमा तिथि का समय:
6 अक्टूबर को दोपहर 12:24 बजे से शुरू होकर 7 अक्टूबर की सुबह 9:17 बजे तक प्रभावी रहेगी।

कार्तिक मास में किया गया स्नान, व्रत और दान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है और इसे मोक्ष प्रदान करने वाला मास कहा गया है।

इस पूरे महीने के दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके और भगवान विष्णु की पूजा करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं.

कार्तिक स्नान का महत्व (Kartik Snan Mahatva)

कार्तिक स्नान का हिंदू धर्म में बहुत गहरा महत्व है. आइए जानते हैं इसके कुछ प्रमुख कारण:

  • आध्यात्मिक शुद्धि: ऐसा माना जाता है कि कार्तिक स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है. पवित्र नदियों का जल पापों को हर लेता है और व्यक्ति को नया जीवन आरंभ करने की प्रेरणा देता है.
  • मोक्ष की प्राप्ति: कार्तिक स्नान को मोक्ष प्राप्ति का द्वार भी माना जाता है. इस महीने में किए गए स्नान, दान और पूजा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है. हिंदू धर्म में मोक्ष जीवन का अंतिम लक्ष्य माना जाता है.
  • सुख-समृद्धि का आगमन: कार्तिक मास में किए गए स्नान, दान और पुण्य के फलों से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु इस दौरान अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं.
  • पारिवारिक कल्याण: कार्तिक स्नान न केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए किया जाता है बल्कि पूरे परिवार के कल्याण के लिए भी किया जाता है. इस दौरान किए गए अनुष्ठानों से परिवार में शांति और सद्भाव स्थापित होता है.
  • भगवान विष्णु की कृपा: कार्तिक स्नान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक उत्तम तरीका है. भक्त इस महीने में उनकी पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. भगवान विष्णु के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.

कार्तिक स्नान की विधि (Kartik Snan Vidhi)

कार्तिक स्नान एक सरल अनुष्ठान है, जिसे कोई भी श्रद्धालु अपने घर में कर सकता है. इसकी विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह जल्दी उठें: कार्तिक स्नान करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना शुभ माना जाता है.
  2. स्नान करें: सबसे पहले स्नान करके स्वयं को स्वच्छ करें.
  3. साफ कपड़े पहनें: पूजा के समय साफ और धुले हुए वस्त्र पहनना चाहिए.
  4. पूजा स्थान को साफ करें: पूजा करने से पहले पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें.
  5. भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें: पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की धातु या पत्थर से बनी प्रतिमा स्थापित करें या उनकी तस्वीर लगाएं. प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर उन्हें पुष्पों और माला से सजाएं.
  6. दीपक, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें: भगवान विष्णु के सामने एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाकर उनकी आरती करें. इसके बाद उन्हें तुलसी दल, फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं. आप अपनी श्रद्धानुसार भगवान विष्णु को उनका प्रिय भोग, पंचामृत भी अर्पित कर सकते हैं.
  7. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें: भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ विष्णवे नमः” जैसे मंत्रों का जप करें. आप अपनी इच्छानुसार अन्य वैष्णव मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं.
  8. गंगा जल से स्नान करें: पूजा के बाद यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी, खासकर गंगा नदी में स्नान करें. यदि नदी के पास जाना संभव नहीं है तो घर पर ही स्नान के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
  9. दान करें: कार्तिक स्नान के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें. दान में अनाज, वस्त्र, धन आदि कुछ भी दिया जा सकता है. दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं.
  10. शांति पाठ करें: आप चाहें तो कार्तिक स्नान के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ या किसी अन्य वैष्णव स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं. ऐसा करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है.

कार्तिक स्नान से जुड़ी पौराणिक कथा (Kartik Snan Katha)

कार्तिक स्नान से जुड़ी एक प्रचलित पौराणिक कथा है, जो भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप और राजा बलि से जुड़ी है. कथा इस प्रकार है:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने कार्तिक मास में कश्यप ऋषि के आश्रम में निवास किया था। उस समय भगवान विष्णु अपने त्रिविक्रम रूप में थे। कश्यप ऋषि के पुत्र भृगु को जब भगवान विष्णु के वामन रूप का पता चला, तो उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने भगवान विष्णु को शाप दिया।

शाप के प्रभाव से भगवान विष्णु को बौने का रूप धारण करना पड़ा। भगवान विष्णु ने बौने का रूप धारण कर राजा बलि से तीन पग भूमि दान मांगी। राजा बलि ने भगवान विष्णु को दान दे दिया।

अपने दो पगों में भगवान विष्णु ने स्वर्ग और पृथ्वी को नाप लिया। तीसरे पैर से उन्होंने पाताल लोक को नापना शुरू किया। राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य को डर हुआ कि भगवान विष्णु पाताल लोक को भी नाप लेंगे, इसलिए उन्होंने राजा बलि को अपना पैर वापस खींचने के लिए कहा।

भगवान विष्णु ने अपना पैर रोक लिया और राजा बलि को स्वर्ग का राजा बना दिया। इसी दिन से कार्तिक मास की शुरुआत हुई और कार्तिक स्नान का महत्व स्थापित हुआ.

कार्तिक स्नान से जुड़े महत्वपूर्ण नियम (Kartik Snan Niyam)

कार्तिक स्नान करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है:

  • श्रद्धा और भक्ति: कार्तिक स्नान का सबसे महत्वपूर्ण नियम है कि इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए.
  • नियमित स्नान: कोशिश करें कि कार्तिक मास के पूरे महीने में नियमित रूप से स्नान करें. यदि संभव हो तो हर दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें.
  • सात्विक भोजन: इस महीने में सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • ब्रह्मचर्य का पालन: यदि संभव हो तो कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन करें. इससे मन को शुद्ध रखने में सहायता मिलती है.
  • दान का महत्व: दान का कार्य कार्तिक स्नान का एक महत्वपूर्ण अंग है. इस महीने में गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें.

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