Last Updated: 07 October 2025
Kartik Maas Puja 2025: हिंदू पंचांग में कार्तिक माह को अत्यंत पवित्र माना गया है। इस महीने का महत्व इतना अधिक है कि इसे “धर्म, दान और तपस्या का माह” कहा जाता है। कार्तिक मास में स्नान, ध्यान, व्रत और पूजा का विशेष फल मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में की गई साधना और उपासना से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Kartik Month 2025 Start Date and End Date: 2025 में कार्तिक मास की शुरुआत 7 अक्टूबर से होगी और इसका समापन 4 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन होगा। इस पावन माह में कई महत्वपूर्ण तिथियाँ आती हैं, जिनमें 31 अक्टूबर को अक्षय नवमी, 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी और 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से मनाया जाएगा। इस माह का हर एक दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन खासतौर से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी कहते हैं, से विवाह और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

इसी माह में आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आंवला नवमी या आंवला द्वादशी मनाई जाती है। इस दिन महिलाएँ और पुरुष दोनों आंवले के वृक्ष की पूजा करते हैं और इसके नीचे बैठकर भोजन करते हैं।
आंवले के पेड़ का धार्मिक महत्व
आंवले का वृक्ष आयुर्वेद और धर्म दोनों में ही समान रूप से पूजनीय है। इसे “धार्मिक औषधि” कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार आंवले का पेड़ स्वयं भगवान विष्णु को प्रिय है। कार्तिक माह में भगवान विष्णु शयनावस्था से जागते हैं और विवाह, दान व अन्य मंगल कार्यों की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस समय आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी आंवले के वृक्ष की महिमा का वर्णन मिलता है। कहा गया है कि आंवले के पेड़ की पूजा और इसके नीचे हवन या भोजन करने से यज्ञ, दान और तीर्थयात्रा जितना फल प्राप्त होता है।
कार्तिक माह में आंवले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है?
आंवले की पूजा कार्तिक माह में इसलिए की जाती है क्योंकि यह वृक्ष धार्मिक और आयुर्वेदिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं:
- भगवान विष्णु की प्रियता – आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। कार्तिक माह शुक्ल पक्ष में आंवले के वृक्ष की पूजा करने से विष्णुजी प्रसन्न होते हैं और भक्त को पुण्य प्राप्त होता है।
- देवताओं का निवास – मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में समस्त देवताओं का वास होता है। इसकी पूजा करके व्यक्ति सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करता है।
- धन और वैभव की प्राप्ति – आंवले की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास होता है। इसे धन वृद्धि और पारिवारिक कल्याण से जोड़ा गया है।
- संतान सुख – आंवले की पूजा विशेषकर महिलाएँ संतान सुख की प्राप्ति और परिवार के कल्याण हेतु करती हैं।
- स्वास्थ्य लाभ – आंवला आयुर्वेद में ‘रसायन’ कहा गया है। इसे अमृत फल भी माना जाता है। इसीलिए आंवले की पूजा कर इसके सेवन को दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का कारक माना गया है।
कार्तिक माह में आंवला नवमी या द्वादशी की पूजा विधि
कार्तिक माह में आंवले की पूजा करते समय विशेष विधि का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं इसकी संपूर्ण पूजा विधि:
1. स्नान और संकल्प
इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. आंवले के वृक्ष की स्थापना
यदि घर में आंवले का पेड़ है तो उसकी पूजा करें, अन्यथा मंदिर या बगीचे में जाकर आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। वृक्ष को जल, गंगाजल, रोली, अक्षत, पुष्प और दीप से सजाएँ।
3. पूजा सामग्री
- रोली, मौली और चंदन
- फूल और माला
- दीपक और अगरबत्ती
- आंवले के फल
- ताजे पत्ते
- तुलसी पत्र
- भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति
4. पूजा क्रम
- आंवले के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और हल्दी-रोली से तिलक करें।
- फूल और माला अर्पित करें।
- दीपक जलाएँ और आरती करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए मंत्र जाप करें।
- पेड़ के नीचे बैठकर परिवार सहित भोजन करने की परंपरा है। इसे विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है।
5. कथा श्रवण
इस दिन आंवला नवमी या द्वादशी की कथा सुनना भी अत्यंत आवश्यक है। कथा सुनने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
कार्तिक माह में आंवले की पूजा का महत्व
आंवले की पूजा केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति – शास्त्रों में कहा गया है कि आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- धन-धान्य की वृद्धि – इस पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है और कभी भी धन की कमी नहीं होती।
- संतान सुख – कई स्थानों पर मान्यता है कि आंवला नवमी पर पूजा करने से निःसंतान दंपतियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
- आरोग्य लाभ – आंवले के सेवन से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसे पूजा के साथ जोड़ने का अर्थ है कि धर्म और स्वास्थ्य दोनों का लाभ मिले।
- पारिवारिक एकता – आंवले के नीचे बैठकर भोजन करने से परिवार में एकता और प्रेम बढ़ता है।
आंवले का आयुर्वेदिक महत्व
आंवला केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आयुर्वेद में भी अमृत के समान माना जाता है। इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है।
- पाचन तंत्र के लिए लाभकारी – आंवला खाने से पाचन क्रिया मजबूत होती है।
- रक्त शुद्धि – यह खून को साफ करता है और त्वचा को चमकदार बनाता है।
- बालों के लिए उपयोगी – आंवला तेल बालों को काला, घना और मजबूत बनाता है।
- आंखों के लिए लाभकारी – इसके सेवन से आंखों की रोशनी तेज होती है।
- बुढ़ापा दूर करता है – आंवले को रसायन कहा जाता है क्योंकि यह बुढ़ापे को दूर रखता है और लंबे समय तक स्वास्थ्य बनाए रखता है।
पौराणिक कथाएँ और आंवले का वृक्ष
पौराणिक ग्रंथों में आंवले की पूजा से जुड़ी कई कथाएँ मिलती हैं।
- भगवान विष्णु और आंवला – एक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें अमृत निकला। उस अमृत के समान ही आंवले को माना गया। भगवान विष्णु ने इसे अपना प्रिय फल घोषित किया और कहा कि कार्तिक माह में इसकी पूजा करने से अमृत फल प्राप्त होगा।
- लक्ष्मीजी का वास – लक्ष्मी माता आंवले के वृक्ष में वास करती हैं। इसीलिए इसकी पूजा करने से घर में धन और वैभव की वृद्धि होती है।

कार्तिक माह में आंवले के पेड़ की पूजा से होने वाले लाभ
कार्तिक माह में आंवले के पेड़ की पूजा करने से भक्त को कई लाभ प्राप्त होते हैं:
- घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
- संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
- स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
- व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- परिवार में प्रेम और एकता बढ़ती है।
कार्तिक माह का महत्व स्वयं देवताओं ने बताया है। इस पवित्र माह में आंवले के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व है क्योंकि यह वृक्ष भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता दोनों को प्रिय है। इसके अलावा यह स्वास्थ्य और आयुर्वेद की दृष्टि से भी अमृत समान है।
कार्तिक माह शुक्ल नवमी या द्वादशी पर आंवले की पूजा करने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। यह पूजा न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी है बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य लाभों से भी भरपूर है। यही कारण है कि आज भी हर घर-परिवार में आंवले की पूजा परंपरा के रूप में निभाई जाती है।
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