कामदा सप्तमी व्रत हिंदू धर्म में एक विशिष्ट महत्व रखता है और इसे ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान प्राप्त है। यह व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है और कामना पूर्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। कामनाओं को पूरा करने वाला यह व्रत पूरे वर्ष हर शुक्ल सप्तमी को किया जाता है और हर चार माह में इसका पारण होता है। इस व्रत को करने से स्वास्थ्य, धन, संतान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा जी ने इस व्रत की महिमा और महत्व को भगवान विष्णु जी के समक्ष प्रस्तुत किया था।

कामदा सप्तमी का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्यदेव को समर्पित होता है। भक्त इस व्रत को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु करते हैं। यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता है और हर चौमासे (चार माह) में इसका पारण होता है। कामदा सप्तमी का व्रत इस बार 6 मार्च 2025 को रखा जाएगा। इसकी महिमा स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को बताई थी। इस व्रत से संतानहीनता और धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। भगवान सूर्यदेव का आशीर्वाद जीवन की सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
कामदा सप्तमी महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति का जीवन उसकी जन्म कुण्डली पर निर्भर करता है। जिनकी कुण्डली में सूर्य नीच स्थान पर होता है, उनके जीवन में कई परेशानियां और धन हानि होती है। कामदा सप्तमी व्रत करने से इन समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस व्रत से सूर्य बलवान होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। कामदा सप्तमी व्रत करने से स्वास्थ्य, धन, संतान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कामदा सप्तमी व्रत के दिन इन मंत्रों का करें जाप
कामदा सप्तमी व्रत के दिन विशेष रूप से भगवान सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इनमें से एक प्रमुख मंत्र है: “सहस्रकिरणोज्ज्वल, लोकदीप नमस्तेस्तु, नमस्ते कोणवल्लभ।” प्रत्येक सुबह भगवान सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, सूर्य नमस्कार मंत्र का भी जाप करें। यह व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है और इन मंत्रों का जाप करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यह व्रत स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि के लिए विशेष लाभकारी होता है।
कामदा सप्तमी व्रत लाभ
कामदा सप्तमी व्रत में पंडितों के अनुसार निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। प्रातःकाल स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा के दौरान घी, गुड़ आदि का दान करना शुभ माना जाता है। पूरे दिन “सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करके भगवान सूर्य का स्मरण करें। व्रत के दिन मंदिर के पुजारी को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। अगले दिन, यानी अष्टमी तिथि को, स्नान के बाद सूर्य देव के हवन-पूजन का विधान है। व्रत के अंत में ब्राह्मणों का पूजन कर उन्हें खीर खिलाने से व्रती को विशेष पुण्य और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
कामदा सप्तमी व्रत में पूजा विधि
कामदा सप्तमी व्रत का दिन विशेष पूजा के लिए जाना जाता है। इसके लिए षष्ठी को एक समय भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, “खखोल्काय नमः” मंत्र से सूर्य भगवान की पूजा करें। प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा करें और सारा दिन “सूर्याय नमः” मंत्र से उनका स्मरण करें। अष्टमी को तुलसी दल के समान अर्क के पत्तों का सेवन करें। स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन करें। इस दिन घी, गुड़ आदि का दान करें और अगले दिन ब्राह्मणों का पूजन करके खीर खिलाएं। इस विधि से पूजा करने से भगवान सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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