Kamada Ekadashi Vrat Katha : कामदा एकादशी का व्रत इस वर्ष 8 अप्रैल, मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत कथा का पाठ करना आवश्यक होता है, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इस बार कामदा एकादशी पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे दो शुभ संयोग बन रहे हैं, जो व्रत को और अधिक फलदायी बनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर भक्तों के समस्त पाप नष्ट होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि इस दिन भद्रा काल भी रहेगा, इसलिए उस समय शुभ कार्यों से परहेज करना चाहिए, लेकिन पूजा-पाठ पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

कामदा एकादशी व्रत की कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha 2025)
प्राचीन समय की बात है, जब धर्मराज युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से प्रश्न किया कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या महत्व है और इसकी पूजा कैसे करनी चाहिए। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया कि इस एकादशी को “कामदा एकादशी” के नाम से जाना जाता है। यह व्रत अत्यंत पुण्यदायी होता है और इसे करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है। भगवान ने आगे कहा कि इस व्रत की एक दिव्य कथा है, जिसे सुनने और समझने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
भोगीपुर नामक राज्य पर राजा पुंडरीक का शासन था, जो अपने वैभव और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध था। उसी राज्य में ललित नामक एक युवक और ललिता नाम की युवती निवास करती थीं। दोनों एक-दूसरे से अत्यंत प्रेम करते थे। ललित एक कुशल गायक था, जो अक्सर राजसभा में अपने गायन से सबको मोहित करता था। एक दिन जब वह राजा पुंडरीक की सभा में प्रस्तुति दे रहा था, तभी उसने सभा में ललिता को देख लिया। उसका ध्यान भंग हो गया और गायन में सुर व ताल का संतुलन बिगड़ गया।
जब राजा पुंडरीक को ललित के ध्यान भटकने की बात पता चली, तो उसने क्रोधित होकर उसे राक्षस होने का श्राप दे दिया। इस श्राप से ललित का शरीर आठ योजन तक फैल गया और वह एक भयावह रूप लेकर जंगल में रहने लगा। उसका जीवन अत्यंत दुखदायी हो गया, जिसे देखकर उसकी पत्नी ललिता बहुत व्यथित रहती थी। वह अक्सर अपने पति के पीछे-पीछे जंगल में भटकती रहती।
एक दिन वह भटकते हुए विंध्याचल पर्वत पर पहुंची, जहां श्रृंगी ऋषि का आश्रम स्थित था। ललिता ने आश्रम में प्रवेश कर ऋषि को प्रणाम किया और अपनी व्यथा सुनाई। उसकी बात सुनकर मुनि श्रृंगी ने उसे बताया कि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत रखकर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। ऋषि ने कहा कि व्रत के पुण्य को अपने पति को समर्पित कर देना, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्ति पा जाएगा।
उपाय जानकर ललिता अत्यंत प्रसन्न हुई और ऋषि श्रृंगी के आश्रम से लौटकर घर आ गई। चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी के दिन उसने ऋषि द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत रखा और श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की। व्रत के समापन पर ललिता ने भगवान विष्णु को साक्षी मानते हुए, व्रत का समस्त पुण्य अपने पति ललित को समर्पित कर दिया। भगवान विष्णु की कृपा से ललित राक्षस योनि से मुक्त हो गया और पुनः अपने पूर्व स्वरूप में लौट आया। अपने सामान्य रूप में लौटकर ललित ललिता के साथ अत्यंत प्रसन्न हुआ। इसके बाद दोनों ने मिलकर आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत किया और कालांतर में स्वर्ग लोक को प्रस्थान किया।
कामदा एकादशी 2025: मुहूर्त और विशेष योग (Kamada Ekadashi Vrat 2025 Muhurat aur Shubh Yog)
चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ सोमवार, 7 अप्रैल को रात 8:00 बजे से होगा और इसका समापन मंगलवार, 8 अप्रैल को रात 10:55 बजे तक होगा। इस दिन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रातः 6:03 बजे से 7:55 बजे तक रहेगा।
ब्रह्म मुहूर्त 4:32 बजे सुबह से 5:18 बजे तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:58 बजे से 12:48 बजे तक निर्धारित है।
इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी प्रातः 6:03 बजे से 7:55 बजे तक रहेगा, जो इसे और भी शुभ बनाता है। हालांकि भद्रा काल सुबह 8:32 बजे से रात 9:12 बजे तक रहेगा, इसलिए इस अवधि में शुभ कार्यों से परहेज करना चाहिए, हालांकि पूजा-पाठ किए जा सकते हैं।
कामदा एकादशी व्रत का पारण बुधवार, 9 अप्रैल को सुबह 6:02 बजे से 8:34 बजे के बीच करना उत्तम रहेगा। द्वादशी तिथि का समापन उसी दिन रात 10:55 बजे होगा।
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