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Kali Chaudas 2024 :काली चौदस 2024 कब है, तिथि और महत्व

काली चौदस, जिसे नरक चतुर्दशी और भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है और इस दिन माता काली की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आइए इस लेख में हम काली चौदस 2024 की तिथि, महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और लोक मान्यताओं के बारे में विस्तार से जानें।

Kali Chaudas 2024

काली चौदस 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Kali Chaudas 2024 Date & Tithi)

  • तिथि: 30 अक्टूबर 2024 (बुधवार)
  • अभ्यंग स्नान मुहूर्त: सुबह 05:24 बजे से 06:46 बजे तक
  • दीपदान मुहूर्त: शाम 06:17 बजे से 08:25 बजे तक

काली चौदस का महत्व (Kali Chaudas Significance)

काली चौदस का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानें इसके पीछे की कुछ महत्वपूर्ण मान्यताओं के बारे में:

  • अंधकार पर प्रकाश की विजय: काली चौदस को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त माता काली की पूजा कर उनसे बुरी शक्तियों और अंधकार से रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। हिंदू धर्म में माता काली को शक्ति और विनाश की देवी माना जाता है, जो बुराई का अंत करती हैं।
  • पितृ स्मरण: काली चौदस के दिन लोग अपने पूर्वजों, यानी पितरों को याद करते हैं और उनका श्राद्ध करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
  • धनतेरस की तैयारी: काली चौदस, धनतेरस से ठीक एक दिन पहले पड़ता है। धनतेरस के दिन धन प्राप्ति और समृद्धि के लिए सोना, चांदी और धातु के अन्य सामान खरीदने की परंपरा है। इसलिए, काली चौदस के दिन लोग धनतेरस की तैयारियों में व्यस्त रहते हैं और खरीदारी के लिए बाजारों की रौनक देखने लायक होती है।
  • विक्रम संवत का आरंभ: कई क्षेत्रों में, विशेष रूप से पश्चिमी भारत में, काली चौदस को विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाते हैं।

काली चौदस की पूजा विधि (Kali Chaudas Puja Vidhi)

काली चौदस पर माता काली की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यहां हम आपको पूजा की सरल विधि बता रहे हैं:

  • पूजा की तैयारी: सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • आवाहन और आसन: इसके बाद माता काली का ध्यान करें और उनका आवाहन करके आसन दें।
  • षोडशोपचार पूजन: माता काली को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उन्हें वस्त्र, अलंकार, सिंदूर और महावर आदि अर्पित करें। इसके बाद पुष्पांजलि अर्पित करें और धूप, दीप और नैवेद्य का भोग लगाएं।
  • मंत्र जाप: माता काली की कृपा प्राप्त करने के लिए आप “ॐ क्रीं कालिकाये नमः” या “ॐ उग्रं उग्रं महागीरि योगेश्वरी सर्वभूतनिग्रहिणी स्वाहा” आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं।

काली चौदस से जुड़ी लोक मान्यताएं (Kali Chaudas Beliefs)

काली चौदस के साथ कई लोक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आइए इनके बारे में भी जानते हैं:

  • नरक चतुर्दशी: काली चौदस को कई जगहों पर नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस राजा नरकासुर का वध किया था। नरकासुर एक क्रूर राजा था, जिसने लोगों पर बहुत अत्याचार किए थे। भगवान कृष्ण ने उसका अंत करके लोगों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इसलिए, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में भी मनाया जाता है।
  • भूत चतुर्दशी: कुछ क्षेत्रों में काली चौदस को भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग भूत-प्रेत बाधा से बचने के लिए उपाय करते हैं। घर के बाहर दीप जलाने और मुख्य द्वार पर गोबर से गोमती चक्र बनाने जैसी परंपराएं प्रचलित हैं। माना जाता है कि इससे बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं।
  • दीपदान की परंपरा: काली चौदस के दिन शाम के समय दीप जलाने की परंपरा है। लोग अपने घरों के बाहर, छतों पर और पेड़ों पर दीप जलाते हैं। यह न केवल रोशनी फैलाता है बल्कि वातावरण को शुद्ध भी करता है। साथ ही, यह माना जाता है कि दीपों की रोशनी से अंधकार और बुरी शक्तियां दूर होती हैं।
  • अभ्यंग स्नान: काली चौदस के दिन सुबह सूर्योदय से पहले सरसों के तेल से अभ्यंग स्नान करने की परंपरा भी है। माना जाता है कि इससे शरीर से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कुछ लोग इस दिन उबटन भी लगाते हैं।
  • नए वस्त्र धारण करना: काली चौदस के दिन लोग नए वस्त्र धारण करना भी शुभ मानते हैं। यह नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस के ठीक एक दिन पहले होने के कारण भी कई लोग इस दिन नए कपड़े खरीदते हैं।

काली चौदस के दौरान किए जाने वाले अन्य कार्य

काली चौदस के दिन पूजा-पाठ के अलावा भी कुछ खास कार्य किए जाते हैं। आइए इनके बारे में भी जानें:

  • घर की साफ-सफाई: काली चौदस के दिन लोग अपने घरों की गहन सफाई करते हैं। यह माना जाता है कि दीपावली से पहले घर को पूरी तरह से साफ करना शुभ होता है।
  • रंगोली बनाना: घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना भी इस दिन की एक खास परंपरा है। आकर्षक रंगोली बनाकर माता लक्ष्मी का आगमन आमंत्रित किया जाता है।
  • मिठाई बनाना और बंटाना: काली चौदस के दिन लोग विभिन्न प्रकार की मिठाइयां बनाते हैं और उनका आदान-प्रदान करते हैं। यह त्योहार खुशियों को बांटने का भी अवसर होता है।

उपसंहार

काली चौदस हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है। इस दिन हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं, माता काली की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं और नए साल की शुरुआत का स्वागत करते हैं। काली चौदस के इन विविध आयामों को समझकर हम इस त्योहार को सार्थक रूप से मना सकते हैं।

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