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June Sankashti Chaturthi 2024 :जून 2024 में संकष्टी चतुर्थी व्रत कब है, तिथि शुभ मुहूर्त और भगवान गणेश की कृपा से सफलता प्राप्त करने के उपाय

संकष्टी चतुर्थी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार है, जो हर महीने में दो बार मनाया जाता है। यह भगवान गणेश, बुद्धि और सौभाग्य के देवता को समर्पित है। जून 2024 में, संकष्टी चतुर्थी मंगलवार, 25 जून को पड़ रही है, जो आषाढ़ मास में आती है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखा जाता है और उनकी पूजा की जाती है। आइए, इस लेख में हम जून 2024 की संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, लाभ, और सुख-समृद्धि के उपाय शामिल हैं।

June Sankashti Chaturthi 2024

जून 2024 में संकष्टी चतुर्थी: तिथि और शुभ मुहूर्त

जून 2024 में, संकष्टी चतुर्थी आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ रही है। तिथि और शुभ मुहूर्तों का विवरण इस प्रकार है:

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 25 जून 2024, सुबह 1:13 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 26 जून 2024, सुबह 11:11 बजे
  • अभ्यंग स्नान का मुहूर्त: 25 जून 2024, सुबह 5:45 बजे से 6:29 बजे तक
  • गणेश पूजा का मुहूर्त: 25 जून 2024, सुबह 11:11 बजे से 12:05 बजे तक

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तिथियों और मुहूर्तों में क्षेत्रीय भिन्नताएं हो सकती हैं। इसलिए, अपने क्षेत्र के किसी विश्वसनीय पंचांग या ज्योतिषी से सटीक जानकारी प्राप्त करना उचित है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि: भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पूजा विधि इस प्रकार है:

  1. पूजा की तैयारी:
    • संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातःकाल उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी या आसन बिछाएं।
    • भगवान गणेश की सुंदर मूर्ति स्थापित करें। आप धातु, मिट्टी या चित्र वाली मूर्ति का उपयोग कर सकते हैं।
  2. षोडशोपचार पूजन:
    • भगवान गणेश को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
    • उन्हें वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें।
    • चंदन, सिंदूर और हल्दी का तिलक लगाएं।
    • धूप, दीप जलाएं और सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
    • भोग के लिए गणेश जी को पान, मोदक, और उनका प्रिय भोजन (फल आदि) अर्पित करें।
    • जल का अर्घ्य दें और गणेश जी को मीठे का भोग लगाएं।
    • पूजा के दौरान “ॐ गणेशाय नमः” मंत्र का जाप करें। आप “संकष्टनाश गणेश स्तोत्र” या “गणेश चतुर्थी व्रत कथा” का पाठ भी कर सकते हैं।
    • भगवान गणेश की आरती गाएं।
    • पूजा के अंत में दक्षिणा अर्पित करें और व्रत का संकल्प लें।

संकष्टी चतुर्थी के लाभ: भगवान गणेश की कृपा से सफलता प्राप्त करें

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने के अनेक लाभ हैं। आइए, उनमें से कुछ महत्वपूर्ण लाभों पर चर्चा करें:

  • कष्टों का निवारण: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, संकष्टी चतुर्थी का व्रत जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है, इसलिए उनकी पूजा करने से बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।
  • बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति: भगवान गणेश ज्ञान और विद्या के देवता हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान प्राप्त करने में सहायता मिलती है। छात्रों के लिए यह व्रत विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है।
  • सुख, समृद्धि और वैभव: संकष्टी चतुर्थी का व्रत सुख, समृद्धि और वैभव प्रदान करता है। भगवान गणेश को लक्ष्मी (धन की देवी) का भाई माना जाता है, इसलिए उनकी कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से किया गया संकष्टी चतुर्थी का व्रत और भगवान गणेश की आराधना भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करने में सहायक होती है।
  • पारिवारिक कल्याण: संकष्टी चतुर्थी का व्रत पारिवारिक कल्याण के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इस व्रत को करने से घर में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है।

सुख-समृद्धि के उपाय: संकष्टी चतुर्थी के साथ शुभ फल प्राप्त करें

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ कुछ उपाय करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति और भी अधिक बढ़ जाती है। ये सरल उपाय आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं:

  • गाय को गुड़ और चना खिलाना: गाय को पवित्र माना जाता है और भगवान गणेश को गाय का सेवन प्रिय है। इसलिए, संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय को गुड़ और चना खिलाने से पुण्य लाभ मिलता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
  • पीपल के पेड़ की पूजा करना: पीपल का पेड़ भगवान शिव को समर्पित है और इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने और उसकी जड़ में जल चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • गणेश जी को मोदक का भोग लगाना: मोदक भगवान गणेश का प्रिय भोजन माना जाता है। इसलिए, संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में मिठास आती है।
  • दान-पुण्य करना: दान-पुण्य का कार्य करने से सकारात्मक कर्मफल प्राप्त होते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य लाभ मिलता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।
  • असत्य बोलने से बचना: सत्यवाणी और ईमानदारी का जीवन जीना सभी धर्मों में महत्वपूर्ण माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन और पूरे जीवन में असत्य बोलने से बचना चाहिए। इससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और सफलता प्राप्त होती है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा: भक्तों की आस्था का प्रतीक

संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, जो भगवान गणेश की महिमा और उनकी कृपा प्राप्त करने के महत्व को दर्शाती है।

कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने के लिए कहा और किसी को भी अंदर न आने देने को कहा। कुछ समय बाद, भगवान शिव जी द्वार पर आए। गणेश जी ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि माता पार्वती ने किसी को भी अंदर न आने देने को कहा है। भगवान शिव जी ने क्रोधित होकर गणेश जी से युद्ध किया। युद्ध में गणेश जी की एक दाँत टूट गई।

जब माता पार्वती स्नान करके बाहर आईं, तो उन्होंने देखा कि भगवान शिव जी द्वार पर खड़े हैं और गणेश जी घायल अवस्था में हैं। उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होंने भगवान शिव जी से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ। जब उन्हें पूरी बात पता चली, तो वह क्रोधित हो गईं। उन्होंने कहा कि गणेश जी ने अपने कर्तव्य का पालन किया है और किसी को भी अंदर नहीं आने दिया। इस घटना से क्रोधित होकर उन्होंने भगवान शिव जी को श्राप दिया कि जो भी उनके दर्शन करने से पहले गणेश जी की पूजा नहीं करेगा, उसका पूजन सफल नहीं होगा।

भगवान शिव जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने माता पार्वती को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि गणेश जी की बुद्धि और विवेक अद्भुत हैं। इसके बाद, भगवान शिव जी ने गणेश जी की मिट्टी की एक प्रतिमा बनाई और उसका पूजन किया। इसके बाद ही उन्होंने माता पार्वती के साथ दर्शन किया।

तभी से, यह परंपरा चली आ रही है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी इसी कथा से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व: हिंदू धर्म में एक पवित्र परंपरा

संकष्टी चतुर्थी का व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह व्रत न केवल भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और सकारात्मकता का भी प्रतीक है। संकष्टी चतुर्थी के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • भगवान गणेश की आराधना: संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की आराधना का एक पवित्र अवसर है। भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक, सौभाग्य और विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।
  • आत्मिक शुद्धि: संकष्टी चतुर्थी का व्रत आत्मिक शुद्धि का भी प्रतीक है। व्रत रखने से व्यक्ति का मन और शरीर शुद्ध होता है। साथ ही, व्रत के दौरान सत्य बोलने, दूसरों की मदद करने और सकारात्मक विचार रखने जैसे गुणों का पालन करने से आत्मिक विकास होता है।
  • इच्छा पूर्ति: माना जाता है कि सच्चे मन से किया गया संकष्टी चतुर्थी का व्रत और भगवान गणेश की आराधना भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने में सहायक होती है।
  • पारिवारिक सुख: संकष्टी चतुर्थी का व्रत पारिवारिक सुख के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इस व्रत को करने से घर में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ता है।

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