June Ekadashi 2025| योगिनी एकादशी 2025 जून में कब मनाई जाएगी | जाने तिथि, पूजा विधि और लाभ

Yogini Ekadashi 2025 Date: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी और महत्वपूर्ण माना जाता है। देशभर में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह एकादशी प्रमुख व्रतों में से एक मानी जाती है, जो भक्तों को शारीरिक रोगों से राहत दिलाने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होती है।

योगिनी एकादशी
Yogini Ekadashi 2025 Date

साल भर में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं, लेकिन अधिकमास आने पर इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। एकादशी का व्रत और आषाढ़ का महीना, दोनों ही भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं, इसी कारण आषाढ़ मास की एकादशी का विशेष महत्व होता है। योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा और व्रत करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। यह एकादशी, निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और पूजा तथा पारण का शुभ मुहूर्त क्या होगा।

योगिनी एकादशी 2025 तिथि (Yogini Ekadashi 2025 Date)

June Ekadashi 2025 Date and Time : 2025 में योगिनी एकादशी का व्रत शुक्रवार, 20 जून को रखा जाएगा। एकादशी तिथि की शुरुआत 19 जून को प्रातः 9 बजकर 50 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 जून को सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर होगा। व्रत खोलने का शुभ समय यानी पारणा 21 जून को सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

योगिनी एकादशी की पूजा विधि (Yogini Ekadashi Puja Vidhi)

योगिनी एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ और preferably पीले रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। पूजा के लिए एक साफ चौकी पर भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा में भगवान को पीले पुष्पों की माला अर्पित करें, तिलक लगाएं और तुलसी दल, फल, मिठाई, फूल आदि पूजा सामग्री में शामिल करें। इस दिन योगिनी एकादशी की व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए और अगले दिन पारण कर व्रत का समापन करना चाहिए।

योगिनी एकादशी व्रत नियम

यह व्रत केवल भोजन न करने का नहीं, बल्कि एक संपूर्ण आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक है। व्रत को सही रूप से निभाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

दशमी तिथि की तैयारी

  • सूर्यास्त से पहले हल्का, सात्विक भोजन करें।
  • लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि तामसिक वस्तुओं से परहेज करें।

एकादशी तिथि (व्रत का मुख्य दिन):

  • ब्रह्मचर्य और मानसिक पवित्रता का पालन करें।
  • भगवान विष्णु की तुलसी पत्र से पूजा करें।
  • विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
  • अन्न, चावल, दाल आदि से दूर रहें।
  • फल, दूध अथवा जल का सेवन करें, और यदि निर्जला व्रत कर रहे हैं तो पूरी तरह उपवास रखें।

योगिनी एकादशी व्रत कथा (Yogini Ekadashi Vrat Katha)

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब हेममाली नामक एक माली राजा कुबेर की सेवा में नियुक्त था। उसका कार्य प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा के लिए पुष्प संग्रह करना था। एक दिन वह अपनी सुंदर पत्नी के प्रेम में इतना लीन हो गया कि अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल गया। उसकी इस लापरवाही से क्रोधित होकर राजा कुबेर ने उसे कुष्ठ रोग का श्राप दे दिया और राज्य से निष्कासित कर दिया।

दुखी और रोगग्रस्त हेममाली जंगलों में भटकने लगा। उसी दौरान उसकी भेंट महर्षि मार्कंडेय से हुई। ऋषि ने उसकी दयनीय स्थिति जानकर उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। हेममाली ने श्रद्धा और निष्ठा के साथ यह व्रत किया, जिसके फलस्वरूप वह न केवल अपने रोग से मुक्त हुआ बल्कि अपने पूर्व पापों से भी छुटकारा पा सका।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे मन से करने पर व्यक्ति को रोग, पाप और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

योगिनी एकादशी के आध्यात्मिक और ज्योतिषीय लाभ

योगिनी एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ज्योतिषीय और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इस व्रत का प्रभाव हमारे ग्रहों की स्थिति और मानसिक संतुलन पर सकारात्मक असर डालता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लाभ:

  • यह व्रत बुध ग्रह से जुड़ी समस्याओं—जैसे तनाव, त्वचा विकार और संवाद में गलतफहमियों—को शांत करने में सहायक माना जाता है।
  • शुक्र ग्रह के सकारात्मक गुणों—जैसे प्रेम, वैभव और भावनात्मक स्थिरता—को बढ़ावा देता है।
  • एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है, जिससे यह विद्यार्थियों और प्रोफेशनल्स के लिए भी उपयोगी बन जाता है।
  • चंद्रमा की पीड़ित स्थिति या कुंडली के छठे और बारहवें भाव में दोष होने पर यह व्रत विशेष फलदायी होता है।
  • माना जाता है कि इस दिन की आध्यात्मिक ऊर्जा व्यक्ति के इरादों को सशक्त बनाती है और उसे नकारात्मक ग्रह प्रभावों से रक्षा प्रदान करती है।

कौन करें योगिनी एकादशी का व्रत?
यह व्रत सभी के लिए खुला है, लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में यह अत्यधिक फलदायक हो सकता है:

  • जो व्यक्ति लंबे समय से किसी शारीरिक रोग से जूझ रहे हों।
  • मानसिक तनाव, पारिवारिक असंतुलन या घरेलू कलह से परेशान लोग।
  • वे श्रद्धालु जो अपने पूर्व पापों का प्रायश्चित करना चाहते हों।
  • दांपत्य जीवन में तालमेल की कमी झेल रहे जोड़े।
  • आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति की तलाश करने वाले साधक।

योगिनी एकादशी पर किए जाने वाले सरल अनुष्ठान:
यदि आप 2025 में यह व्रत कर रहे हैं, तो निम्नलिखित साधारण लेकिन प्रभावी अनुष्ठानों को अपनाकर इसका पूर्ण लाभ पा सकते हैं:

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पंचामृत और पीले फूल अर्पित करें।
  • पूजा स्थान में घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • योगिनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें।
  • कुछ समय मौन साधना या ध्यान में व्यतीत करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें।

इस प्रकार, योगिनी एकादशी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जीवन को संतुलित करने वाला आध्यात्मिक अवसर है, जो शारीरिक, मानसिक और ज्योतिषीय लाभ एक साथ प्रदान करता है।

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FAQs

योगिनी एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?

यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों का नाश होता है और मानसिक व शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

योगिनी एकादशी व्रत का पालन कैसे किया जाता है?

इस दिन प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें, भगवान विष्णु की पूजा तुलसी, पीले पुष्प और पंचामृत से करें, व्रत कथा पढ़ें और शाम को दीपक जलाकर ध्यान या जप करें। अगले दिन पारण कर व्रत पूर्ण करें।

योगिनी एकादशी व्रत किसे करना चाहिए?

यह व्रत सभी कर सकते हैं, लेकिन यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो लंबे समय से बीमार हैं, मानसिक तनाव में हैं, पारिवारिक कलह से परेशान हैं या आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं।

योगिनी एकादशी का ज्योतिषीय लाभ क्या है?

यह व्रत बुध और शुक्र ग्रह से संबंधित दोषों को शांत करता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है और नकारात्मक ग्रह प्रभावों से रक्षा करता है। यह छात्रों और पेशेवरों के लिए भी लाभदायक माना जाता है।

योगिनी एकादशी की व्रत कथा क्या है?

पद्म पुराण के अनुसार, हेममाली नामक माली को राजा कुबेर द्वारा श्रापित किया गया था। ऋषि मार्कंडेय के सुझाव पर उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया और अपने सभी पापों और रोग से मुक्ति पाई।

व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

व्रत के दिन सात्विक आहार लें या फलाहार करें, अनाज, चावल, दाल और मांसाहारी भोजन से परहेज करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और दिनभर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।

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