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Ekadashi July 2024 :योगिनी एकादशी 2024 व्रत कब है, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा के लाभ

हिंदू धर्म में, एकादशी का विशेष महत्व है। साल में चौबीस एकादशियां आती हैं, जिनमें से प्रत्येक भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत दिवस होता है। इन चौबीस एकादशियों में से दो – योगिनी एकादशी और मोक्षदा एकादशी – को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

योगिनी एकादशी

योगिनी एकादशी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Yogini Ekadashi 2024 Date)

इस वर्ष 2024 में योगिनी एकादशी 2 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। यह आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। आइए, इस दिन से जुड़े शुभ मुहूर्तों को विस्तार से जानते हैं:

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 जुलाई, 2024 को सुबह 10:26 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 2 जुलाई, 2024 को शाम 07:13 बजे
  • पारण का समय: 3 जुलाई, 2024 को सुबह 06:08 बजे से 07:10 बजे तक
  • हरि वासर समाप्ति का समय: 3 जुलाई, 2024 को सुबह 07:10 बजे

योगिनी एकादशी की पूजा विधि (Yogini Ekadashi 2024 Puja Vidhi)

योगिनी एकादशी के व्रत को विधि-विधान से करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और मनोवांछित फल मिलते हैं। आइए, जानते हैं इस व्रत को करने की सरल पूजा विधि:

  1. सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और अपने आसन पर बैठ जाएं।
  3. एक चौकी या आसन पर धातु या मिट्टी का पात्र रखें और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें।
  4. प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और वस्त्र, चंदन, पुष्प, तुलसी आदि से उनका श्रृंगार करें।
  5. दीप प्रज्वलित करें और धूप, अगरबत्ती आदि जलाएं।
  6. भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें।
  7. यदि संभव हो तो “विष्णु सहस्रनाम” का पाठ करें।
  8. दिन भर सात्विक भोजन ग्रहण करें अथवा फलाहार करें।
  9. रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करें और कथा सुनें।
  10. सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण न करें।
  11. अगले दिन, पारण तिथि के निर्धारित समय पर व्रत का पारण करें।
  12. पारण से पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

योगिनी एकादशी व्रत के लाभ (Yogini Ekadashi 2024 Fasting Benefits)

योगिनी एकादशी का व्रत रखने के अनेक लाभ हैं। इस व्रत को करने से भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। आइए, जानते हैं योगिनी एकादशी व्रत के कुछ प्रमुख लाभों के बारे में:

  • मोक्ष की प्राप्ति: योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस व्रत के प्रभाव से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
  • मन और शरीर का शुद्धिकरण: योगिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति का मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं। सात्विक आहार और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति की इंद्रियों पर नियंत्रण होता है और मन को शांति मिलती है।
  • अध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि: योगिनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की भक्ति करने से व्यक्ति में अध्यात्मिक ज्ञान और चेतना का विकास होता है। ईश्वर के प्रति श्रद्धा बढ़ती है और जीवन का लक्ष्य स्पष्ट होता है।
  • मनोकामना पूर्ति: योगिनी एकादशी का व्रत सच्चे मन से और पूर्ण श्रद्धा के साथ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
  • आरोग्य और समृद्धि: योगिनी एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। सात्विक आहार और व्रत के नियमों का पालन करने से शरीर निरोग रहता है। साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • पारिवारिक कल्याण: योगिनी एकादशी का व्रत पूरे परिवार के साथ मिलकर करने से पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है। घर में सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है और कलह-क्लेश दूर होते हैं।

योगिनी एकादशी की कथा (Yogini Ekadashi 2024 Story)

योगिनी एकादशी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, जिसका वर्णन पुराणों में मिलता है। आइए, इस कथा को विस्तार से जानते हैं:

एक समय की बात है, हेम माली नाम का एक धर्मात्मा राजा था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और सदैव उनकी आराधना करता था। राजा हेम माली के राज्य में प्रजा सुखी थी।

लेकिन एक दिन, योगिनी नामक राक्षसी ने राजा हेम माली पर अपना मायाजाल फैला दिया। राजा योगिनी के वशीभूत हो गया और उसका दास बन गया। योगिनी ने राजा को श्राप दिया कि वह हमेशा के लिए उसका दास रहेगा।

राजा हेम माली इस श्राप से बहुत दुखी हुआ। उसने राज्य-सुख त्याग दिए और भटकते हुए कई ऋषियों और संतों से मुक्ति का मार्ग पूछा। अंततः, एक दयालु ऋषि ने राजा को योगिनी एकादशी का व्रत रखने का उपदेश दिया।

राजा हेम माली ने पूरे विधि-विधान से योगिनी एकादशी का व्रत रखा। उसने भगवान विष्णु की सच्चे मन से आराधना की। व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और योगिनी के श्राप से राजा हेम माली को मुक्ति दिलाई।

योगिनी एकादशी की कथा हमें यह सीख देती है कि भगवान विष्णु की सच्ची भक्ति से कोई भी कठिन परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। दृढ़ इच्छाशक्ति और भक्ति भाव से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता मिलती है।

योगिनी एकादशी के महत्व का वर्णन (शास्त्रों में उल्लेख) (Yogini Ekadashi 2024 Importance)

योगिनी एकादशी के महत्व का वर्णन कई हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है। स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में इस व्रत के फलदायी होने का उल्लेख है।

  • स्कन्द पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति योगिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसे अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होते हैं। साथ ही, वह व्यक्ति मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम में स्थान प्राप्त करता है।
  • पद्म पुराण में भी योगिनी एकादशी के महत्व को बताया गया है। इस ग्रंथ के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस व्रत के प्रभाव से पूर्वजों को भी शांति मिलती है।

योगिनी एकादशी के समय ध्यान देने योग्य बातें

योगिनी एकादशी का व्रत रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए, जानते हैं इन सावधानियों के बारे में:

  • एकादशी तिथि का निर्धारण: योगिनी एकादशी का व्रत हमेशा एकादशी तिथि पर ही रखना चाहिए। तिथि के शुभारंभ और समापन का सही समय जानकर ही व्रत का आरंभ और पारण करना चाहिए।
  • सात्विक भोजन: व्रत के दौरान सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए। मांस, मछली, अंडा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शारीरिक क्षमता का ध्यान: यदि किसी व्यक्ति की शारीरिक क्षमता कमजोर है या किसी बीमारी से ग्रसित है, तो उसे पूर्ण व्रत रखने की बजाय फलाहार का सेवन करना चाहिए। अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार ही व्रत का पालन करना चाहिए।
  • मानसिक शुद्धता: व्रत रखते समय मन को शुद्ध रखना भी आवश्यक है। किसी के प्रति द्वेष या ईर्ष्या का भाव मन में नहीं रखना चाहिए। सकारात्मक भाव रखते हुए ही व्रत का पालन करना चाहिए।

उपसंहार

योगिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम अवसर है। इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। साथ ही, इस व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

हालाँकि, यह आवश्यक नहीं है कि हर कोई पूर्ण रूप से व्रत का पालन ही करे। अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार आप उपवास या फलाहार का सेवन कर सकते हैं। लेकिन, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना अवश्य करें और कथा का श्रवण करें। इससे भी आपको व्रत का पुण्य प्राप्त होगा।

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