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Jaya Partvati Vrat 2024 :जया पार्वती व्रत 2024 शुभ तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा और महत्व

जया पार्वती व्रत, जिसे गौरी तृतीया या त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह व्रत मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु, विशेष रूप से विवाहित महिलाएं, देवी पार्वती की पूजा कर सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. आइए इस लेख में हम जया पार्वती व्रत 2024 की तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा और महत्व के बारे में विस्तार से जानें।

जया पार्वती व्रत
Jaya Partvati Vrat 2024

जया पार्वती व्रत 2024 की तिथि (Jaya Partvati Vrat 2024 Tithi)

जया पार्वती व्रत हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में, यह शुभ तिथि 19 जुलाई, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से देवी पार्वती की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

जया पार्वती व्रत का महत्व

जया पार्वती व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानें इसके कुछ प्रमुख महत्वों के बारे में:

  • अखंड सौभाग्य: यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। ऐसा माना जाता है कि विधि-विधान से जया पार्वती व्रत करने वाली महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सुयोग्य वर प्राप्ति: अविवाहित कन्याएं भी जया पार्वती व्रत का पालन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहा सुयोग्य वर प्राप्त होता है और उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
  • मनोकामना पूर्ति: जया पार्वती व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है। यदि आप किसी खास इच्छा को लेकर परेशान हैं तो इस व्रत को करके आप देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
  • पारिवारिक सुख-शांति: जया पार्वती व्रत का पारिवारिक जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और पारिवारिक सदस्यों में आपसी प्रेम और स्नेह बढ़ता है।

जया पार्वती व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा (Jaya Partvati Vrat Katha)

जया पार्वती व्रत से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा है, जो इस व्रत के महत्व को और भी अधिक बढ़ा देती है। आइए इस कथा को विस्तार से जानें:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी पार्वती किसी बात को लेकर भगवान शिव से नाराज हो गईं। क्रोधवश उन्होंने कैलाश पर्वत छोड़ दिया और पृथ्वी पर चली गईं। वहां उन्हें गौरी नामक एक गरीब ब्राह्मणी के घर शरण मिली। गौरी को यह पता नहीं था कि उनके घर में साक्षात देवी पार्वती ही विराजमान हैं। फिर भी उसने पूरे श्रद्धा भाव से देवी पार्वती की अतिथि के रूप में सेवा की।

देवी पार्वती गौरी की भक्ति भावना से अत्यंत प्रसन्न हुईं। उन्होंने गौरी को दर्शन दिए और बताया कि वह कौन हैं। इसके बाद गौरी ने देवी पार्वती से अपनी इच्छा व्यक्त की। उसने देवी से कहा कि वह भी भगवान शिव जैसा पति पाना चाहती है। देवी पार्वती ने गौरी को आशीर्वाद दिया और कहा कि यदि वह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत करे तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी

जया पार्वती व्रत की विधि (Jaya Partvati Vrat Vidhi)

जया पार्वती व्रत को करने की एक खास विधि है। इस विधि का पालन करने से ही व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। आइए जानें जया पार्वती व्रत की विधि के बारे में विस्तार से:

  • व्रत प्रारंभ की तैयारी (पूर्व संध्या): जया पार्वती व्रत से एक दिन पहले यानी पूर्व संध्या पर सात्विक भोजन ग्रहण करें। मांस, मछली, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें। सात्विक भोजन करने से आपका मन और शरीर शुद्ध होता है और व्रत को करने में आपको कोई परेशानी नहीं होती है।
  • व्रत प्रारंभ (प्रातःकाल): जया पार्वती व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्धीकरण करें।
  • पूजा की सामग्री: जया पार्वती की पूजा के लिए निम्न सामग्री एकत्रित कर लें:
    • देवी पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर
    • चौकी
    • कलावा
    • दीपक
    • घी
    • अगरबत्ती
    • सिंदूर
    • हल्दी
    • कुमकुम
    • इत्र
    • पुष्प (गुलाब, कमल, जूही आदि)
    • फल (नारियल, आम, केला आदि)
    • मिठाई (पंचामृत, खीर आदि)
    • सुपारी
    • पान का पत्ता
    • दक्षिणा के लिए दक्षिणा सामग्री
  • पूजन विधि: पूजा स्थल पर चौकी रखें और उस पर देवी पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर कलावा बांधें। फिर दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। देवी पार्वती का ध्यान करें और उनका आवाहन करें। इसके बाद उन्हें स्नान कराएं (पंचामृत से) और वस्त्र एवं आभूषण अर्पित करें। सिंदूर, हल्दी, और कुमकुम का टीका लगाएं। इत्र अर्पित करें और पुष्प एवं फल चढ़ाएं। मिठाई, सुपारी, और पान का पत्ता भी अर्पित करें। जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद देवी पार्वती की आरती करें। अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें। उनका आशीर्वाद ग्रहण करें।
  • व्रत के नियम: जया पार्वती व्रत के दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों का पालन करने से ही व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है। आइए जानें जया पार्वती व्रत के कुछ प्रमुख नियमों के बारे में:
    • इस व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • फलों का सेवन किया जा सकता है, लेकिन खट्टे फलों का सेवन वर्जित माना जाता है।
    • व्रत के दौरान नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन करें और स्वाद के लिए सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते हैं।
    • व्रत के दौरान मसूर की दाल, लहसुन, प्याज और शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • जमीन पर आसन बिछाकर सोना चाहिए।
    • क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रहें और सकारात्मक विचार रखें।
  • व्रत का पारण (द्वितीय दिवस): अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। सबसे पहले भगवान गणेश और सूर्य देव की पूजा करें। इसके बाद जया पार्वती का ध्यान कर उन्हें व्रत पूर्ण करने की सूचना दें। फिर फलाहार ग्रहण करें और किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें। इसके बाद आप अपना सामान्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

जया पार्वती व्रत से जुड़े फायदे (Jaya Partvati Vrat Benefits)

जया पार्वती व्रत करने के कई धार्मिक और आध्यात्मिक फायदे हैं। इसके अलावा, इस व्रत के कुछ शारीरिक लाभ भी होते हैं। आइए जानें जया पार्वती व्रत से जुड़े कुछ फायदों के बारे में:

  • धार्मिक लाभ: जया पार्वती व्रत को करने से देवी पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
  • आध्यात्मिक लाभ: जया पार्वती व्रत करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक विकास होता है।
  • शारीरिक लाभ: जया पार्वती व्रत के दौरान सात्विक भोजन करने से शरीर शुद्ध होता है और पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। साथ ही, व्रत के दौरान शरीर को आराम मिलता है।

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