Jagannath Rath Yatra 2025 :उड़ीसा के पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर न केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां होने वाले धार्मिक अनुष्ठान भी बेहद विशेष होते हैं। इस वर्ष 26 जून 2025 को भगवान जगन्नाथ के नेत्र दर्शन का आयोजन होगा, जो रथ यात्रा से पहले की सबसे महत्वपूर्ण परंपराओं में से एक है। यह दर्शन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है और इसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं।
पुरी का यह मंदिर हिंदू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन के लिए आते हैं। आषाढ़ मास में निकलने वाली रथ यात्रा यहां का सबसे भव्य उत्सव होता है, जो इस बार 26 जून से 27 जून 2025 के बीच संपन्न होगी।

रथ यात्रा से लगभग पंद्रह दिन पहले एक विशेष परंपरा निभाई जाती है, जिसे ‘अनवसर’ कहा जाता है। इस दौरान यह मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ हो जाते हैं और एकांत में विश्राम करते हैं। इसी कारण मंदिर के द्वार आम भक्तों के लिए बंद हो जाते हैं। इस अवधि में भगवान को विशेष जड़ी-बूटियों और औषधियों से उपचार दिया जाता है।
नेत्र दर्शन, रथ यात्रा से ठीक एक दिन पूर्व आयोजित किया जाता है। इस अनुष्ठान में भगवान के नेत्रों के दर्शन भक्तों को दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी गहरी आस्था से जुड़ी हुई है।
नेत्र उत्सव का महत्व
जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अनवसर काल के बाद भक्तों को पुनः दर्शन देते हैं, तो उस शुभ अवसर को नेत्र दर्शन कहा जाता है। इस विशेष आयोजन को नेत्र उत्सव या नवयौवन दर्शन के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन भगवान जगन्नाथ को विशेष रूप से श्रृंगारित किया जाता है और उनके नेत्रों को पुनः चित्रित किया जाता है, जिससे प्रतीकात्मक रूप से माना जाता है कि अब वे भक्तों को दर्शन देने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, इस अनुष्ठान का आयोजन तभी किया जाता है जब भगवान जगन्नाथ से रथ यात्रा के आयोजन की विधिवत अनुमति प्राप्त कर ली जाती है। इस परंपरा का उद्देश्य भगवान की दिव्य उपस्थिति का अनुभव कराना है, जो भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायक और भावविभोर करने वाला होता है।
नेत्र दर्शन किसका प्रतीक है?
नेत्र दर्शन को भगवान की पुनः दिव्य उपस्थिति और पूर्ण रूप से स्वस्थ होने का प्रतीक माना जाता है। यह विशेष दिन भक्तों के लिए न केवल आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर होता है, बल्कि यह एक नई आध्यात्मिक शुरुआत और आत्मिक जागृति का संदेश भी देता है।इस पावन अवसर को भगवान की कृपा और उनकी साक्षात उपस्थिति का संकेत माना जाता है, जिससे श्रद्धालुओं का मन आस्था और भक्ति से भर उठता है।
इस वर्ष महाप्रभु जगन्नाथ के नेत्र दर्शन 26 जून 2025 को आयोजित होंगे, जबकि रथ यात्रा 27 जून 2025 को पूरे भव्यता के साथ निकाली जाएगी।
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FAQs
नेत्र दर्शन क्या होता है और इसका क्या महत्व है?
नेत्र दर्शन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के उस दर्शन को कहा जाता है जो अनवसर काल के बाद होता है। यह भगवान की पुनः उपस्थिति और पूर्ण स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इसे नेत्र उत्सव या नवयौवन दर्शन भी कहा जाता है।
नेत्र दर्शन कब होगा और रथ यात्रा कब निकलेगी?
वर्ष 2025 में भगवान जगन्नाथ का नेत्र दर्शन 26 जून को होगा, जबकि भव्य रथ यात्रा 27 जून 2025 को निकाली जाएगी।
नेत्र दर्शन की परंपरा में क्या विशेष होता है?
नेत्र दर्शन के दिन भगवान जगन्नाथ को विशेष श्रृंगार में सजाया जाता है और उनके नेत्रों को पुनः चित्रित किया जाता है ताकि वे भक्तों को दर्शन दे सकें। यह आयोजन रथ यात्रा की अनुमति मिलने के बाद ही होता है।
नेत्र दर्शन का भक्तों के जीवन में क्या महत्व है?
नेत्र दर्शन भक्तों के लिए एक नई आध्यात्मिक शुरुआत, आत्मिक शुद्धता और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का अद्भुत अवसर होता है। इस दिन को भगवान की कृपा और सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण माना जाता है।