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Hariyali Amavasya 2024: हरियाली अमावस्या 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि और महत्व

हरियाली अमावस्या, जिसे श्रावण अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में शुमार है। यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है, जो मानसून ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस वर्ष 2024 में हरियाली अमावस्या रविवार, 4 अगस्त को मनाई जाएगी। आइए, इस लेख में हरियाली अमावस्या के महत्व, तिथि, पूजा विधि और कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

हरियाली अमावस्या
Hariyali Amavasya 2024

हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व (Hariyali Amavasya Significance)

हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व बहुआयामी है। आइए, इसके कुछ प्रमुख पहलुओं को समझते हैं:

  • पवित्र नदियों में स्नान: हरियाली अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, सरस्वती आदि में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन इन नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। साथ ही, यह माना जाता है कि इस दिन नदियों का जल औषधीय गुणों से युक्त होता है।
  • पितरों का तर्पण: हरियाली अमावस्या का दिन अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का भी अवसर है। लोग इस दिन अपने पितरों का तर्पण करते हैं और उन्हें जल, भोजन और वस्त्र आदि अर्पित करते हैं। ऐसा करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • भगवान शिव की आराधना: श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है। अतः हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है। लोग इस दिन भगवान शिव को जल, बेलपत्र, धतूरा, दूध आदि अर्पित करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्रों का जाप करते हैं।
  • वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण: हरियाली अमावस्या को पर्यावरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन वृक्षारोपण करने और पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेना अत्यंत शुभ माना जाता है। पेड़-पौधे पर्यावरण को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए हरियाली अमावस्या का यह पहलू पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  • दान-पुण्य का महत्व: हरियाली अमावस्या दान-पुण्य करने का भी उत्तम दिन है। गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान से समाज में समता बनाए रखने में भी सहायता मिलती है।

हरियाली अमावस्या की पूजा विधि (Hariyali Amavasya Importance)

हरियाली अमावस्या के धार्मिक महत्व को प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक पूजा करना आवश्यक है। आइए, अब हरियाली अमावस्या की पूजा विधि को विस्तार से जानते हैं:

  1. पूजा की तैयारी: हरियाली अमावस्या के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. आसन और मंडप: पूजा स्थल पर आसन बिछाकर उस पर बैठ जाएं। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। इसके बाद मिट्टी से बने चौकोर मंडप का निर्माण करें और उसमें अष्ट दल कमल का चित्र बनाएं।
  3. देव प्रतिमाओं की स्थापना (continued): स्थापना के बाद इन देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं और वस्त्र एवं आभूषण अर्पित करें। इसके पश्चात, इन्हें सुगंधित पुष्प, धूप और दीप अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप और पूजा: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करना और भगवान शिव के स्त्रोत का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है। साथ ही, आप गणेश चालीसा, पार्वती चालीसा और कार्तिकेय स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं। पूजा के दौरान शंख बजाना और भजन गाना भी शुभ माना जाता है।
  5. आरती और भोग: पूजा के उपरांत भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की आरती उतारें। इसके पश्चात, उन्हें भोग अर्पित करें। आप उन्हें फल, मिठाई, पंचामृत आदि का भोग लगा सकते हैं।
  6. गाय को भोजन: पूजा के पश्चात गाय को हरे चारे या रोटी खिलाना शुभ माना जाता है। गाय को पवित्र माना जाता है और उनका सेवा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  7. दान-पुण्य: हरियाली अमावस्या के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देकर पुण्य लाभ प्राप्त करें। आप वस्त्र, अनाज, दक्षिणा आदि का दान कर सकते हैं।
  8. वृक्षारोपण: हरियाली अमावस्या को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन वृक्षारोपण करना अत्यंत शुभ होता है। आप अपने घर के आंगन, आस-पड़ोस या किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई पौधा लगा सकते हैं। वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।

हरियाली अमावस्या के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू

हरियाली अमावस्या से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू भी हैं, जिनके बारे में जानना आवश्यक है:

  • व्रत रखने का विधान: हरियाली अमावस्या के दिन व्रत रखना भी शुभ माना जाता है। आप इस दिन केवल सात्विक भोजन कर सकते हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण कर सकते हैं।
  • पवित्र जल से कलश स्थापना: कुछ लोग हरियाली अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना आदि के जल से भरे हुए कलश को अपने घर में लाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। इस कलश के जल को पूरे महीने शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
  • विवाहित महिलाओं द्वारा श्रृंगार का सामान बाटना: कुछ क्षेत्रों में हरियाली अमावस्या के दिन विवाहित महिलाएं आपस में श्रृंगार का सामान बाटती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • कथा-वाचन का महत्व: हरियाली अमावस्या के दिन कथा-वाचन का भी विशेष महत्व है। आप इस दिन शिव पुराण, स्कंद पुराण या हरियाली अमावस्या से जुड़ी अन्य कथाओं का वाचन कर सकते हैं। इससे आपको धार्मिक लाभ प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

हरियाली अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं (Hariyali Amavasya Beliefs)

हरियाली अमावस्या से जुड़ी कुछ लोक मान्यताएं भी प्रचलित हैं, जिन्हें जानना रोचक हो सकता है:

  • सौभाग्य और संतान प्राप्ति: कुछ क्षेत्रों में यह मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के दिन विवाहित महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
  • वृक्षों से जुड़ी मान्यताएं: हरियाली अमावस्या के दिन पीपल, बरगद और आंवले के वृक्षों की पूजा करना शुभ माना जाता है। इन वृक्षों को पवित्र माना जाता है और इनकी पूजा करने से पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी मिलता है।
  • नदियों का पवित्र जल: कुछ क्षेत्रों में यह मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के दिन पवित्र नदियों का जल घर में लाकर रखना शुभ होता है। इस जल का उपयोग पूरे श्रावण मास में पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्यों में किया जाता है।

उपसंहार

हरियाली अमावस्या हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो धार्मिक और पर्यावरणीय दोनों ही दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, पितरों का तर्पण करना, दान-पुण्य करना और वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने और उसे बचाने के लिए प्रेरित करती है। उम्मीद है कि इस लेख से आपको हरियाली अमावस्या 2024 के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई होगी।

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