माघ मास की पूर्णिमा, जिसे माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हर पूर्णिमा का अपना महत्व होता है, लेकिन माघ पूर्णिमा की अपनी अनोखी विशेषता होती है। इस दिन स्नान और ध्यान करने से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। माघी पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी अमृतमयी रश्मियों से पृथ्वी के जल को विशिष्ट तत्वों से भर देता है, जिससे आम लोगों के कष्ट दूर होते हैं। मान्यताओं के अनुसार, माघी पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान का तेज मौजूद रहता है, जो पापों का शमन करता है।
इस दिन सूर्योदय से पहले नदी में स्नान करने से गंभीर पाप भी धुल जाते हैं। कहा जाता है कि जो लोग तारों के छिपने से पहले स्नान करते हैं, उन्हें उत्तम फल प्राप्त होते हैं, और जो लोग तारों के छिपने के बाद लेकिन सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं, उन्हें मध्यम फल मिलते हैं। इसलिए इस दिन तारों के छिपने से पहले स्नान करना शास्त्रानुकूल माना गया है।
माघी पूर्णिमा 2025 तिथि (Magh Purnima 2025 Date and Time)
माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पवित्र मानी जाती है। इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है। माघ मास की पूर्णिमा को स्नान, दान और भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। 2025 में माघ पूर्णिमा का व्रत बुधवार, 12 फरवरी को रखा जाएगा। इस दिन धार्मिक कार्यों और साधना का फल कई गुना बढ़कर मिलता है।
माघ पूर्णिमा तिथि:
- तारीख: 12 फरवरी 2025, बुधवार
- प्रारंभ: 11 फरवरी शाम 6:55 बजे
- समाप्ति: 12 फरवरी शाम 7:22 बजे
- नक्षत्र:
माघी पूर्णिमा पूजा विधि (Magh Purnima Puja Vidhi)
माघी पूर्णिमा की सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद पितरों का श्राद्ध कर ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, फल, अन्न आदि का दान करें। इस दिन गौ दान का विशेष महत्व है। संयमपूर्वक आचरण कर व्रत रखें और दिन भर निराहार रहें, यदि संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। इस दिन किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए और गरीबों एवं जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए।
माघी पूर्णिमा महत्व (Magh Purnima Mahatva)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से सूर्य और चंद्रमा से जुड़े दोषों से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा, गंगाजल का आचमन करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त हो जाते हैं।
माघी पूर्णिमा के दिन स्नान का महत्व (Magh Purnima Snan Mahatva)
मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के दिन देवता भी रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयाग आते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि तीर्थराज प्रयाग में एक मास तक कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं का व्रत माघी पूर्णिमा पर ही समाप्त होता है। इस दिन सभी कल्पवासी माता गंगा की आरती पूजन करके साधु-संन्यासियों और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। बचे हुए सामग्री का दान करके देवी गंगा से फिर बुलाने का निवेदन करके अपने घर लौट जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से रोग दूर हो जाते हैं।
पितरों के श्राद्ध कर्म का दिन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघी पूर्णिमा के दिन स्नान करने से व्यक्ति नर्क गमन से मुक्त हो जाता है और इस पुण्य के प्रभाव से भवसागर को पार कर विष्णु धाम में स्थान प्राप्त करता है। तीर्थ स्नानार्थी को पहले “त्रिवेण्ये नमः” कहकर पुष्पांजलि अर्पित करनी चाहिए, फिर ओमकार का उच्चारण करते हुए जल को स्पर्श करना चाहिए। माघ पूर्णिमा की सुबह स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध कर्म, और असमर्थों को भोजन और वस्त्र दान करें। ब्राह्मणों को तिल, वस्त्र, कंबल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, स्वर्ण, रजत आदि का दान करें।
पूरे दिन व्रत पालन कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद कथा-कीर्तन करें। माघ पूर्णिमा को गंगा स्नान के लिए फलदायिनी कहा गया है। ब्राह्मणों को भोजन कराना व्रत का मुख्य महात्म्य है। माघ पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा व्रत भी कहा जाता है और इस दिन तिल से स्नान करने से पापों का शमन होता है।
माघी पूर्णिमा पितरों के तर्पण का दिन
पितरों के तर्पण के लिए माघी पूर्णिमा का दिन विशेष माना गया है। इस दिन काले तिल से हवन और तर्पण करने से पितरों की अतृप्त आत्मा को शांति मिलती है। तिल और कंबल का दान करने से मृत्युलोक से मुक्ति प्राप्त होती है। मकर संक्रांति की तरह ही माघी पूर्णिमा पर तिल के दान और तिल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन महत्वपूर्ण होता है। माघी पूर्णिमा का व्रत करने से सुख, सौभाग्य, धन-संतान और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।
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