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February Amavasya 2025: दर्श अमावस्या 2025 कब है, जाने तिथि और महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन कई लोग पितरों के निमित्त पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, दर्श अमावस्या का प्रभाव पितृ अमावस्या की तरह ही माना गया है। मान्यता है कि दर्श अमावस्या के दिन पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त पूजा का विधान होता है।

दर्श अमावस्या
Darsh Amavasya Feb 2025

दर्श अमावस्या का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का विशेष महत्व होता है, इसे पितरों को समर्पित माना जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और दान किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितर लोक से पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान का इस दिन बहुत महत्व होता है। पितरों की शांति के लिए कुछ उपाय करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। पितृ दोष होने पर इस दिन विशेष पूजा करने से दोष दूर होता है और इस दिन किए गए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है।

दर्श अमावस्या फरवरी तिथि 2025

साल 2025 में फ़रवरी महीने में दर्श अमावस्या 27 फ़रवरी को मनाई जाएगी। यह फ़ाल्गुन अमावस्या होगी। इस दिन अमावस्या की शुरुआत सुबह 8:54 बजे होगी और इसका समापन 28 फ़रवरी को सुबह 6:14 बजे होगा।

इन कार्यों से पितृ होंगे प्रसन्न

  • दर्श अमावस्या के दिन कौओं को भोजन खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
  • शास्त्रों के अनुसार, दर्श अमावस्या के दिन सुबह स्नान-ध्यान अवश्य करना चाहिए और तर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन पितरों की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और जीवन में समृद्धि का वास होता है।
  • इस दिन धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजा-अर्चना करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पूजा के बाद गौ माता की सेवा करनी चाहिए। इससे देवी-देवताओं के साथ पितृ देव भी प्रसन्न होते हैं। गाय को चारा खिलाना शुभ होता है।
  • दर्श अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण व पिंडदान करने से वे संतुष्ट होते हैं। इस दिन दान का भी महत्व होता है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को शांति मिलती है।
  • दर्श अमावस्या पर शिव मंदिर जाकर भगवान शिव की पूजा करें और पितरों के आशीर्वाद की प्रार्थना करें। इस दिन शिव की आराधना करने से पितरों को शांति मिलेगी और आपका जीवन सुखमय होगा। दर्श अमावस्या के दिन इस विधि से पूजा करने का विशेष महत्व है।

दर्श अमावस्या पूजा विधि

दर्श अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और ताजगी प्राप्त करें। इसके बाद पवित्र वस्त्र धारण करके पूजा स्थल को स्वच्छ करें। भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं और चंदन, फूल, और धूप अर्पित करें। पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करें। इसके बाद भगवान शिव की आराधना करें और विशेष मंत्रों का जाप करें। पूजा समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों को दान करें और पितरों के आशीर्वाद की प्रार्थना करें। इस विधि से पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

अमावस्या पर भूल से भी न करें ये कार्य

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए, क्योंकि इससे पितृ नाराज हो सकते हैं और पितृ दोष लग सकता है। इस दिन बाल धोना भी वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बाल धोने से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इन नियमों का पालन करने से पितृ प्रसन्न रहते हैं और जीवन में शांति बनी रहती है।

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