Feb Ekadashi 2026| विजया एकादशी 2026 फरवरी में कब|जाने तिथि और भगवान श्री राम से जुड़ी पौराणिक कथा

Vijaya Ekadashi 2026 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। (February Ekadashi 2026 Date) यह पवित्र तिथि समस्त सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होती है। शास्त्रों में विजया एकादशी को विशेष रूप से विजय प्रदान करने वाली एकादशी कहा गया है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस व्रत को पूर्ण निष्ठा, नियम और सच्चे मन से करता है, उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और विजय प्राप्त होती है। इस एकादशी का नाम ही इसके प्रभाव को दर्शाता है, क्योंकि यह मनुष्य को मानसिक, आध्यात्मिक और सांसारिक संघर्षों में जीत दिलाने वाली मानी जाती है।

February Ekadashi 2026 Date

विजया एकादशी का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व

विजया एकादशी का महत्व केवल व्रत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और कर्मशुद्धि का भी प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की श्रद्धापूर्वक आराधना करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी का व्रत तभी पूर्ण फलदायी माना जाता है, जब इसके साथ व्रत कथा का श्रवण भी किया जाए। इस दिन भक्त अपने जीवन में आ रही बाधाओं, असफलताओं और मानसिक अशांति से मुक्ति पाने की कामना करते हैं। कई श्रद्धालु इस पावन तिथि पर अपने भविष्य के संकेत समझने के लिए ज्योतिषीय परामर्श भी लेते हैं, जिससे वे सही दिशा में अपने प्रयास कर सकें।

विजया एकादशी व्रत कथा का पौराणिक प्रसंग

विजया एकादशी की व्रत कथा त्रेता युग से जुड़ी हुई है और भगवान श्रीराम के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना का वर्णन करती है। यह वह समय था जब माता सीता के हरण के पश्चात भगवान श्रीराम, वानरराज सुग्रीव और उनकी विशाल सेना के साथ रावण से युद्ध करने के लिए लंका की ओर प्रस्थान कर रहे थे। मार्ग में एक विशाल समुद्र उनके सामने आ गया, जिसे पार करना अत्यंत कठिन प्रतीत हो रहा था। भगवान श्रीराम उस समय मानव रूप में थे, इसलिए वे इस समस्या का समाधान भी मानवीय मार्ग से ही खोजना चाहते थे।

समुद्र के सामने खड़े होकर भगवान श्रीराम ने अपने भ्राता लक्ष्मण से उपाय पूछा। लक्ष्मण ने विनम्रता से कहा कि यद्यपि आप स्वयं आदिपुरुष हैं, फिर भी इस क्षेत्र से कुछ दूरी पर कुमारी द्वीप में वकदालभ्य नामक एक तपस्वी मुनि निवास करते हैं, जिनके पास इस समस्या का समाधान अवश्य होगा। लक्ष्मण की बात मानकर भगवान श्रीराम मुनि वकदालभ्य के आश्रम पहुंचे और उन्हें प्रणाम कर अपनी कठिनाई बताई। मुनि ने भगवान श्रीराम को बताया कि यदि वे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपनी पूरी सेना सहित विधिपूर्वक उपवास रखें, तो न केवल समुद्र पार करने में सफल होंगे, बल्कि लंका पर विजय भी अवश्य प्राप्त करेंगे।

मुनि के वचनों को सत्य मानकर भगवान श्रीराम ने समय आने पर विजया एकादशी का व्रत पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ किया। उनकी पूरी सेना ने भी इस पवित्र उपवास का पालन किया। व्रत के प्रभाव से समुद्र ने मार्ग दिया और रामसेतु का निर्माण संभव हुआ। इसके पश्चात भगवान श्रीराम ने लंका पहुंचकर रावण का वध किया और धर्म की स्थापना की। इसी कारण विजया एकादशी को विजय दिलाने वाली तिथि कहा गया है। इस कथा का आध्यात्मिक संदेश यह है कि सच्ची श्रद्धा, संयम और ईश्वर भक्ति से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।

विजया एकादशी व्रत की पारंपरिक विधि

विजया एकादशी के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के पश्चात भगवान विष्णु का स्मरण कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद पूजा स्थल को शुद्ध कर भगवान श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। भक्त पीले पुष्प अर्पित करते हैं और भगवान को प्रिय भोग अर्पित कर आरती करते हैं। संध्या समय तुलसी के पौधे के समक्ष दीप प्रज्वलित कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा की कामना की जाती है। अगले दिन द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण किया जाता है, जिससे व्रत पूर्ण माना जाता है।

विजया एकादशी 2026 की तिथि और पारण समय

वर्ष 2026 में विजया एकादशी का व्रत शुक्रवार, 13 फरवरी को रखा जाएगा और द्वादशी तिथि 14 फरवरी को होगी। पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 12 फरवरी 2026 को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी और 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत का पारण 14 फरवरी 2026 को प्रातः 10 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के बीच करना शुभ माना गया है। हरि वासर का समापन प्रातः 8 बजकर 1 मिनट पर होगा, जिसके बाद पारण किया जा सकता है।

विजया एकादशी से प्राप्त होने वाले फल

विजया एकादशी का व्रत करने से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यह व्रत आत्मबल को बढ़ाने वाला और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने वाला माना गया है। जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसके जीवन में स्थिरता, शांति और विजय का संचार होता है।

विजया एकादशी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, धैर्य और विश्वास का प्रतीक है। यह तिथि सिखाती है कि जब मनुष्य ईश्वर पर पूर्ण भरोसा रखता है और नियमपूर्वक साधना करता है, तब जीवन की हर चुनौती पर विजय संभव है। विजया एकादशी 2026 का व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन को सफल एवं सकारात्मक बनाने का एक उत्तम अवसर है।

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