Feb Amavasya 2026| फाल्गुन अमावस्या 2026 में कब| जाने मुहूर्त और महत्व

Falgun Amavasya 2026 Date: फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह न केवल पितृ तृप्ति का विशेष अवसर प्रदान करती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति का भी मार्ग खोलती है। मान्यता है कि इस दिन किया गया प्रत्येक पुण्य कर्म शीघ्र फल देने वाला होता है। इसलिए श्रद्धालु इस दिन व्रत, स्नान, दान और तर्पण जैसे धार्मिक कार्यों में विशेष रुचि लेते हैं।

फाल्गुन अमावस्या
Falgun Amavasya 2026

फाल्गुन अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

फाल्गुन अमावस्या को पितरों की शांति के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि अमावस्या के दिन पितृलोक और पृथ्वीलोक के बीच का संबंध अधिक प्रबल हो जाता है। ऐसे में पितरों को किया गया तर्पण उन्हें संतुष्टि प्रदान करता है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि अमावस्या सोमवार, मंगलवार, गुरुवार या शनिवार के दिन पड़ती है तो इसका पुण्य सूर्यग्रहण से भी अधिक माना जाता है। इस दिन किए गए धार्मिक कर्म जीवन के अनेक कष्टों को दूर करने में सहायक होते हैं।

फाल्गुन अमावस्या 2026 की तिथि और समय

वर्ष 2026 में फाल्गुन अमावस्या का विशेष महत्व रहेगा। पंचांग के अनुसार फाल्गुन अमावस्या की तिथि 16 फरवरी 2026 को सायं 17 बजकर 36 मिनट 52 सेकंड से प्रारंभ होगी। यह तिथि 17 फरवरी 2026 को सायं 17 बजकर 33 मिनट 20 सेकंड पर समाप्त होगी। इस अवधि में श्रद्धालु व्रत, स्नान, दान और पितृ तर्पण जैसे धार्मिक कार्य कर सकते हैं और पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं।

फाल्गुन अमावस्या पर व्रत का महत्व

फाल्गुन अमावस्या के दिन व्रत रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह व्रत केवल शारीरिक शुद्धि के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति के लिए भी रखा जाता है। व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर संयम, श्रद्धा और भक्ति का विकास करता है। माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से जीवन में चल रही बाधाएं दूर होती हैं और सौभाग्य में वृद्धि होती है। विशेष रूप से जिन लोगों को पारिवारिक अशांति, आर्थिक समस्या या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा हो, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

पितरों के तर्पण और श्राद्ध का महत्व

फाल्गुन अमावस्या पितृ कार्यों के लिए सर्वोत्तम तिथियों में से एक मानी जाती है। इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध और दान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक विश्वास के अनुसार जिन पितरों की आत्मा असंतुष्ट रहती है, उनके कारण जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। फाल्गुन अमावस्या पर श्रद्धापूर्वक किया गया तर्पण उन आत्माओं को शांति प्रदान करता है और परिवार में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।

फाल्गुन अमावस्या पर स्नान और दान का महत्व

इस पावन तिथि पर प्रातःकाल पवित्र नदियों, सरोवरों या जलाशयों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देकर पितरों का स्मरण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल प्रदान करता है। अन्न, वस्त्र, धन या आवश्यक वस्तुओं का दान करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।

पीपल पूजन और दीपदान का महत्व

फाल्गुन अमावस्या की संध्या में पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी गई है। पीपल को देवताओं और पितरों का वास स्थल माना जाता है। इस दिन सरसों के तेल का दीपक जलाकर पीपल की परिक्रमा करने से पितृ दोष शांत होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। यह साधना व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में सहायक मानी जाती है।

शिव पूजा और शनिदेव आराधना का विशेष योग

फाल्गुन अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन शिवलिंग का दूध, दही और शहद से अभिषेक करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही काले तिल अर्पित करने से पापों का शमन होता है। चूंकि अमावस्या को शनिदेव से भी जोड़ा जाता है, इसलिए इस दिन उनकी आराधना करने से शनि दोष और ढैय्या के प्रभाव में कमी आती है। श्रद्धालु शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन विशेष पूजन करते हैं।

फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। यदि यह अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो इसे महाकुंभ स्नान के समान फलदायी माना गया है। ऐसा स्नान व्यक्ति के सभी पापों का नाश कर आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

फाल्गुन अमावस्या केवल एक तिथि नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, पितृ तृप्ति और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का दिव्य अवसर है। इस दिन श्रद्धा और विश्वास के साथ किए गए धार्मिक कर्म न केवल वर्तमान जीवन को सुखमय बनाते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी शुभ फल प्रदान करते हैं। इसलिए फाल्गुन अमावस्या का पालन पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।

ALSO READ:-

Feb Ekadashi 2026| विजया एकादशी 2026 फरवरी में कब|जाने तिथि और भगवान श्री राम से जुड़ी पौराणिक कथा

Leave a Comment