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Ekadashi September 2024: परिवर्तनी एकादशी 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि और कथा

परिवर्तनी एकादशी हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह वर्ष में दो बार आती है – एक बार ज्येष्ठ मास में जिसे मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और दूसरी बार कार्तिक मास में जिसे परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। इस लेख में हम परिवर्तनी एकादशी 2024 के महत्व, तिथि, पूजा विधि, कथा और कुछ विशेष बातों पर चर्चा करेंगे।

परिवर्तनी एकादशी
Ekadashi September 2024

2024 में परिवर्तिनी एकादशी कब है? तिथि और शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi 2024 Date)

2024 में परिवर्तनी एकादशी शनिवार, 14 सितंबर को पड़ रही है। यह कृष्ण पक्ष में आएगी। आइए शुभ मुहूर्त और तिथियों को थोड़ा और विस्तार से देखें:

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 13 सितंबर 2024, शाम 06:03 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 14 सितंबर 2024, शाम 05:33 बजे
  • निर्जला एकादशी व्रत का पारण: 15 सितंबर 2024, सुबह 06:16 बजे से 08:54 बजे तक

परिवर्तनी एकादशी की पूजा विधि (Parivartini Ekadashi Puja Vidhi)

परिवर्तनी एकादशी के व्रत का पालन करने के लिए विधिवत पूजा आवश्यक है। यहाँ विधि के बारे में बताया गया है:

  • दशमी तिथि (एकादशी से एक दिन पहले): इस दिन स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें। आप उन्हें फल, फूल और तुलसी अर्पित कर सकते हैं।
  • एकादशी तिथि:
    • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
    • व्रत का संकल्प लें।
    • पूजा स्थान को साफ करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
    • भगवान विष्णु को फल, फूल, तुलसी, पंचामृत, धूप और दीप अर्पित करें।
    • आप भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
    • इस दिन अन्न का सेवन न करें। जल या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है।
  • द्वादशी तिथि (एकादशी के अगले दिन):
    • सूर्योदय के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें।
    • व्रत का पारण करें। पारण का समय ऊपर दिया गया है। आप अपने पंडित या धर्मग्रंथों से सटीक पारण समय की पुष्टि कर सकते हैं।
    • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान करें।

ध्यान दें कि यह एक सामान्य पूजा विधि है। आप अपने क्षेत्र के अनुसार या अपने गुरु के मार्गदर्शन में पूजा विधि में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं।

परिवर्तनी एकादशी का महत्व (Parivartini Ekadashi Importance)

परिवर्तनी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। आइए इसके कुछ प्रमुख महत्वों को जानें:

  • भगवान विष्णु की उपासना: परिवर्तनी एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
  • पापों का नाश: परिवर्तनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • पुण्य की प्राप्ति: इस दिन किए गए दान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से असीम पुण्य प्राप्त होता है।
  • मन की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति: परिवर्तनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और आध्यात्मिक विकास होता है। इस दिन ध्यान और मंत्र जप करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
  • दाम्पत्य सुख: परिवर्तनी एकादशी का व्रत दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। विवाहित जोड़े इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त रूप से पूजा करके वैवाहिक जीवन में मधुरता लाने का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। संतान प्राप्ति: निःसंतान दंपत्तियों के लिए परिवर्तनी एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने और संतान प्राप्ति की कामना करने से भगवान विष्णु की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है।

परिवर्तनी एकादशी से जुड़ी कथा (Parivartini Ekadashi Katha)

परिवर्तनी एकादशी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अटूट प्रेम को दर्शाती है। कथा इस प्रकार है:

एक बार भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर लेटे हुए थे। तभी माता लक्ष्मी उनके पास आईं और उनसे वर मांगा कि वे सदैव उनके साथ रहें। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को यह वरदान दिया।

कुछ समय बाद, कार्तिक मास में भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की पूजा करने के लिए गए। माता लक्ष्मी उनके साथ नहीं जा सकीं, क्योंकि कैलाश स्त्रियों के लिए निषिद्ध माना जाता था।

ज्येष्ठ मास में जब भगवान विष्णु वापस लौटे, तो माता लक्ष्मी उनका स्वागत करने के लिए द्वारका पहुंचीं। भगवान विष्णु उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उनसे बोले कि अब वे हमेशा उनके साथ रह सकती हैं।

इस घटना के बाद से ज्येष्ठ मास में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी और कार्तिक मास में आने वाली एकादशी को परिवर्तनी एकादशी के नाम से जाना जाने लगा। परिवर्तनी एकादशी का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ रहने का माता लक्ष्मी का वरदान परिवर्तित हो गया।

परिवर्तनी एकादशी के कुछ विशेष पहलू

परिवर्तनी एकादशी से जुड़े कुछ विशेष पहलुओं को जानना भी जरूरी है:

  • तुलसी पूजा: परिवर्तनी एकादशी के दिन तुलसी की विशेष पूजा की जाती है। तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस दिन तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है और घर के मंदिर में भी रखा जाता है। तुलसी की पूजा करने और उसके पत्तों का सेवन करने से अनेक लाभ होते हैं, जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ना और मन को शांति मिलना।
  • दान का महत्व: परिवर्तनी एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। आप गरीबों को भोजन करा सकते हैं, जरूरतमंदों को दक्षिणा दे सकते हैं या वस्त्र दान कर सकते हैं। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • व्रत का प्रकार: परिवर्तनी एकादशी को कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं। निर्जला व्रत में जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। वहीं, कुछ लोग केवल फलाहार का सेवन करते हैं। आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत रख सकते हैं।

परिवर्तनी एकादशी का पर्व भगवान विष्णु की भक्ति और कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने, व्रत रखने और दान करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

परिवर्तनी एकादशी के व्रत के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

परिवर्तनी एकादशी के व्रत का पालन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

  • स्वच्छता: पूजा और व्रत से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को भी साफ-सुथरा रखें।
  • सात्विक भोजन (यदि फलाहार ग्रहण कर रहे हैं): यदि आप निर्जला व्रत नहीं रख रहे हैं और फलाहार ले रहे हैं, तो सात्विक भोजन का ही सेवन करें। सात्विक भोजन में फल, दूध, दही, मेवे आदि शामिल हैं। मांस, मदिरा और तमसिक भोजन का त्याग करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इसका अर्थ है वैवाहिक जीवन से दूर रहना और मन को शुद्ध रखना।
  • सकारात्मक विचार: व्रत के दौरान सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से दूर रहें।
  • ईश्वर भक्ति: पूजा के समय भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और उनकी कथा सुनें। इससे आपकी भक्ति भावना बढ़ेगी।
  • शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें: यदि आप बीमार हैं या गर्भवती हैं, तो अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। निर्जला व्रत कठिन होता है, इसलिए अपनी क्षमता से अधिक जोर न लगाएं।

उपसंहार

परिवर्तनी एकादशी का पर्व हमें भगवान विष्णु के प्रति आस्था रखने और सत्कर्म करने की प्रेरणा देता है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से न केवल हमें आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का भी आगमन होता है। आशा है कि यह लेख आपको परिवर्तनी एकादशी के महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी मान्यताओं को समझने में मदद करेगा।

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