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Ekadashi August 2024 : 2024 में अजा एकादशी कब है, जाने शुभ तिथि और पूजा विधि

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि आती है। इनमें से कृष्ण पक्ष की एकादशी को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से कुछ का विशेष महत्व होता है। अजा एकादशी भी उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण एकादशी है। यह वर्ष में दो बार आती है – एक बार फाल्गुन मास में और दूसरी बार भाद्रपद मास में। इस लेख में हम अगस्त 2024 में आने वाली अजा एकादशी के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसमें हम इसकी तिथि, महत्व, पूजा विधि, व्रत नियम और कुछ धार्मिक मान्यताओं पर चर्चा करेंगे।

Ekadashi August 2024

अजा एकादशी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi August 2024 date)

आने वाले वर्ष 2024 में अजा एकादशी का पर्व 29 अगस्त, गुरुवार को मनाया जाएगा। आइए अब इस दिन के शुभ मुहूर्तों को भी जान लेते हैं:

  • अजा एकादशी तिथि: 29 अगस्त 2024 (गुरुवार)
  • पारण का समय: 30 अगस्त 2024 (शुक्रवार), सूर्योदय से पहले
  • अभिव्यक्ति मुहूर्त: 29 अगस्त 2024 (गुरुवार), सुबह 6:13 बजे से 6:52 बजे तक
  • निर्णय मुहूर्त: 29 अगस्त 2024 (गुरुवार), दोपहर 1:27 बजे से 2:06 बजे तक

अजा एकादशी का महत्व (Aja Ekadashi Importance)

अजा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं अजा एकादशी के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को:

  • मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष हिंदू धर्म में जीवन का अंतिम लक्ष्य माना जाता है।
  • पापों का नाश और मन की शुद्धि: अजा एकादशी के व्रत से मनुष्य के पूर्वजन्म के पापों का नाश होता है और उसका मन शुद्ध होता है। शुद्ध मन से ही व्यक्ति सच्ची भक्ति कर पाता है।
  • पुण्य की प्राप्ति: इस पवित्र दिन दान-पुण्य करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है। दान का अर्थ जरूरतमंदों की सहायता करना और पुण्य का अर्थ है शुभ कर्म करना।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: अटूट श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

अजा एकादशी की पूजा विधि (Aja Ekadashi Puja Vidhi 2024)

अजा एकादशी के शुभ दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं अजा एकादशी की पूजा विधि को विस्तार से:

  1. पूजा की तैयारी: अजा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. वेदी निर्माण: एक चौकी या आसन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इस पर थोड़े से अक्षत (कुटे हुए चावल) रखें और उस पर कलश स्थापित करें। कलश को भी गंगाजल से भरकर उसमें आम के पत्ते और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) डाल दें। अब कलश के मुख पर नारियल रखें और मौली (पवित्र धागा) बांधें।
  3. आवाहन और आसन: भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनका आवाहन करें कि वे पूजा में विराजमान हों। इसके बाद आसन विधि करें। आसन विधि में यह संकल्प लिया जाता है कि इस आसन पर भगवान विष्णु विराजमान होंगे।
  4. षोडशोपचार पूजन: भगवान विष्णु कोषोडशोपचार पूजन अर्पित करें। इसमें स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य (भोजन का प्रसाद), आचमन, छत्र, चंवर, विजयनगर और आरती शामिल हैं। भगवान विष्णु को तुलसी की माला अवश्य चढ़ाएं। आप अपने इच्छानुसार फल, मिठाई आदि का भोग भी लगा सकते हैं।
  5. मंत्र जाप: अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विभिन्न मंत्रों का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है। आप “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप कर सकते हैं। इसके अलावा आप विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।
  6. कथा वाचन: अजा एकादशी की व्रत कथा का वाचन या श्रवण करना बहुत फलदायी होता है। इस कथा में बताया जाता है कि कैसे महाराजा इंद्रद्युम्न ने अजा एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त की थी।
  7. रात्रि जागरण: कुछ श्रद्धालु अजा एकादशी की रात में जागरण भी करते हैं। इस दौरान वे भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान विष्णु का ध्यान लगाते हैं।
  8. पारण: अजा एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन यानी 30 अगस्त (शुक्रवार) को सूर्योदय से पहले करना चाहिए। पारण से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें धन्यवाद दें। इसके बाद आप फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
  9. दान-पुण्य: अजा एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा दे सकते हैं। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और सामाजिक सद्भाव भी बढ़ता है।

अजा एकादशी के व्रत नियम

अजा एकादशी का व्रत रखते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं इन नियमों को:

  • भोजन संबंधी नियम: अजा एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मसूर, चना आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल, सब्जियां, दूध और दही का सेवन कर सकते हैं। कुछ लोग इस दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं, यानी पानी भी ग्रहण नहीं करते। हालांकि, निर्जला व्रत रखने से पहले अपने स्वास्थ्य की जांच अवश्य कर लें।
  • आचरण संबंधी नियम: अजा एकादशी के दिन सत्य बोलना चाहिए और क्रोध, लोभ, मोह आदि से बचना चाहिए। किसी का बुरा न सोचें और न ही किसी को कष्ट दें। इस दिन मन को शुद्ध रखना और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
  • पूजा संबंधी नियम: पूजा के दौरान साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें। पूजा विधि का विधिपूर्वक पालन करें।

अजा एकादशी से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं (Aja Ekadashi Significance)

अजा एकादशी से जुड़ी कुछ धार्मिक मान्यताएं भी प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इन मान्यताओं को:

  • अजा गाय की पूजा: ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की अजा नामक गाय की पूजा का फल प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। अजा गाय को सभी देवी-देवताओं की माता माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ ही साथ अजा गाय की भी पूजा की जाती है।
  • अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य: ग्रंथों में बताया गया है कि अजा एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। अश्वमेध यज्ञ प्राचीन काल में किया जाने वाला एक बहुत ही कठिन और वैभवशाली यज्ञ था।
  • पितृदोष से मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्म में पितरों का श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि किसी कारणवश पितरों का श्राद्ध करना संभव न हो या पितृदोष हो तो अजा एकादशी का व्रत रखने से लाभ मिलता है।
  • संतान प्राप्ति: अजा एकादशी की कथा में यह उल्लेख मिलता है कि महाराजा इंद्रद्युम्न को संतान प्राप्ति की इच्छा थी। उन्होंने अजा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान प्राप्त हुई। इसलिए, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भी अजा एकादशी का व्रत रख सकते हैं।
  • पुण्य तिथि के रूप में महत्व: अजा एकादशी को एक महत्वपूर्ण पुण्य तिथि के रूप में भी माना जाता है। इस दिन किए गए दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।

उपरोक्त जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अजा एकादशी का व्रत रखना और विधि-विधान से पूजा करना मनुष्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। इससे व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति, मन की शुद्धि, पुण्य की प्राप्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति आदि फल प्राप्त होते हैं।

अंत में, यह ध्यान रखना जरूरी है कि धार्मिक मान्यताओं और व्रतों को आस्था से जोड़ा जाता है। अपनी आस्था और शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें। यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं या आपको उपवास करने में परेशानी होती है, तो किसी विद्वान ब्राह्मण या डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही व्रत रखें।

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