धनतेरस का पर्व दीपावली के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो दीपावली की शुरुआत को चिह्नित करता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा के लिए समर्पित है। धनतेरस का महत्व सनातन धर्म में अत्यधिक माना जाता है और इसे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती और समृद्धि का वास होता है।
धनतेरस का महत्व (Dhanteras Significance)
धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है और वे स्वास्थ्य और समृद्धि के देवता हैं। इसी कारण से इस दिन का नाम ‘धनतेरस’ पड़ा।
भगवान धन्वंतरि की पूजा के साथ-साथ माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा भी की जाती है। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, जबकि कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
धनतेरस पर पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)
धनतेरस के दिन पूजा की विशेष विधि होती है। इसे सुबह ब्रह्म मुहूर्त में शुरू करना सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन की शुरुआत स्वच्छता और पूजा-पाठ से होती है।
पूजन की तैयारी:
- स्नान और वस्त्र धारण: धनतेरस के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मंदिर की सफाई: घर के मंदिर की सफाई करें और वहां दीप जलाएं।
- भगवान सूर्य को जल अर्पण: इसके बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- प्रतिमा स्थापना: एक चौकी पर माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर महाराज की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीप जलाएं और तिलक लगाएं: दीप जलाकर भगवान की प्रतिमाओं पर चंदन का तिलक लगाएं।
पूजा का क्रम:
- भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज की विधिपूर्वक पूजा करें।
- आरती करें और मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं।
- इसके बाद प्रसाद को सभी में बांटें और श्रद्धानुसार दान करें।
- पूजा के अंत में धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना भी लाभकारी माना जाता है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Puja Muhurat)
धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा, क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 29 अक्टूबर को सुबह 10:31 बजे से हो रहा है, और इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 बजे पर होगा।
पूजा के मुख्य मुहूर्त:
- शाम का शुभ मुहूर्त: पूजा का शुभ समय शाम 6:31 बजे से लेकर रात 8:13 बजे तक है।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:48 बजे से 5:40 बजे तक रहेगा, जो विशेष रूप से पूजा के लिए उत्तम माना गया है।
- प्रदोष काल: शाम 5:38 बजे से लेकर रात 8:13 बजे तक रहेगा। इस समय में भगवान की आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताएँ और लाभ
धनतेरस पर पूजा करने के पीछे अनेक धार्मिक मान्यताएँ हैं। इस दिन भगवान धन्वंतरि और अन्य देवताओं की पूजा करने से धन और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। मान्यता है कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर महाराज की आराधना करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और व्यक्ति को कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता।
यह भी माना जाता है कि इस दिन धातु, विशेषकर सोना या चांदी खरीदना बहुत शुभ होता है। इससे घर में समृद्धि और सौभाग्य का प्रवेश होता है। धनतेरस पर बर्तन खरीदना भी अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक है।
धनतेरस और आरोग्य का संबंध
धनतेरस का संबंध केवल धन से ही नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और आरोग्य से भी जुड़ा हुआ है। चूंकि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के प्रवर्तक हैं, इसलिए इस दिन उनके आराधना से रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन करता है, उसे जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
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