Dev Diwali 2025 Upay| देव दीपावली के दिन करे ये उपाय | माँ लक्ष्मी होंगी प्रसन्न, शत्रुओं से मिलेगा छुटकारा

Dev Diwali 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व माना गया है, और इस मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है। इसे देवताओं की दिवाली कहा जाता है, क्योंकि इस दिन स्वर्ग के देवता स्वयं धरती पर आकर दीप जलाते हैं और गंगा तटों को प्रकाश से भर देते हैं। हर वर्ष की तरह, 2025 में भी यह दिव्य पर्व 4 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है, क्योंकि यह न केवल देवी-देवताओं की आराधना का समय है, बल्कि अपने जीवन की नकारात्मकताओं को दूर कर सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त करने का अवसर भी है।

Dev Diwali 2025 Upay

देव दीपावली का धार्मिक महत्व (Dev Deepawali Mahatva)

देव दीपावली कार्तिक अमावस्या के ठीक पंद्रह दिन बाद, यानी कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन को देवताओं की दीपावली कहा जाता है क्योंकि मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस विजय की खुशी में देवताओं ने गंगा के तट पर दीप जलाकर उत्सव मनाया था। तब से यह परंपरा निरंतर चलती आ रही है, और आज भी वाराणसी में गंगा घाटों पर हजारों दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। यह दृश्य अद्भुत और अलौकिक होता है, मानो स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो।

मां लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर

देव दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना गया है। इस दिन विधिपूर्वक पूजन, दीपदान और दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर धन और सुख की वर्षा करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसके जीवन में दरिद्रता और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। यह पर्व व्यक्ति के भीतर के अंधकार को मिटाकर प्रकाश, ज्ञान और समृद्धि का संचार करता है।

शत्रुओं से मुक्ति का उपाय

देव दीपावली के दिन हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन हनुमान जी को सिंदूर, चमेली का तेल और गुड़ अर्पित करने से शत्रुओं का भय समाप्त होता है और जीवन में साहस तथा आत्मविश्वास बढ़ता है। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के चारों ओर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और उसे आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है।

राहु-केतु दोष से मुक्ति का उपाय

इस शुभ दिन भगवान शिव की आराधना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। शिवलिंग पर गंगाजल और दूध से अभिषेक करने से मन की शुद्धि होती है और राहु-केतु जैसे ग्रहदोष शांत होते हैं। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करने से कुंडली में उपस्थित शनि, राहु और केतु दोषों का प्रभाव कम होता है। यह उपाय मानसिक शांति और जीवन में स्थिरता लाने में भी सहायक है।

शनि दोष से राहत का उपाय

कार्तिक पूर्णिमा के दिन काले तिल का दान करने की परंपरा बहुत प्राचीन है। ऐसा करने से शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति के जीवन में आने वाले अवरोधों का निवारण होता है। काले तिल का दान न केवल ग्रहदोषों को दूर करता है, बल्कि यह पितरों की तृप्ति और आत्मिक संतोष का भी प्रतीक है।

घर से वास्तु दोष हटाने का

देव दीपावली के दिन घर को पवित्र करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करना अत्यंत लाभदायक माना जाता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मकता का प्रवाह बढ़ता है। जब घर में गंगाजल के साथ दीपक जलाए जाते हैं, तो वातावरण शुद्ध और शांत होता है। इस दिन भगवान विष्णु, महालक्ष्मी और शिव जी की संयुक्त आराधना करने से घर में शांति और समृद्धि का स्थायी वास होता है।

मंगल दोष से मुक्ति का उपाय

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष है, तो देव दीपावली का दिन उसे शांत करने के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन लाल कपड़े में गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करने से मंगल दोष शांत होता है। यह उपाय वैवाहिक जीवन में सुख-संतुलन लाता है और क्रोध, विवाद तथा मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। दान के साथ की गई सच्ची भावना व्यक्ति के कर्मों को शुद्ध करती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है।

गंगा तटों पर देव दीपावली का अद्भुत नजारा

वाराणसी, प्रयागराज और हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थस्थलों पर देव दीपावली का दृश्य अनुपम होता है। गंगा के दोनों किनारों पर लाखों दीपों की रौशनी से पूरा वातावरण आलोकित हो उठता है। भक्तजन “हर-हर गंगे” और “जय मां गंगे” के जयकारे लगाते हुए गंगा आरती में सम्मिलित होते हैं। यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मिक जागृति का भी प्रतीक है। इस दिन को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु वाराणसी पहुंचते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि देव दीपावली के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देव दीपावली 2025 न केवल रोशनी का पर्व है, बल्कि यह आत्मा के जागरण का भी प्रतीक है। यह दिन हमें सिखाता है कि जब हम अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर भक्ति का दीप जलाते हैं, तभी सच्चे अर्थों में दिव्यता हमारे जीवन में प्रवेश करती है। मां लक्ष्मी, भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति, सफलता और समृद्धि आती है। देव दीपावली का यह पावन अवसर हर व्यक्ति के जीवन में प्रकाश और आध्यात्मिक उत्थान का संदेश लेकर आता है।

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