मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर, को पड़ रही है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व (Margashirsha Purnima Significance)
- भगवान विष्णु की कृपा: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- देवी लक्ष्मी का वरण: पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी का वरण किया था। इसलिए, यह दिन धन-धान्य और समृद्धि के लिए भी शुभ माना जाता है।
- पाप मोचन और पुण्य लाभ: मार्गशीर्ष पूर्णिमा के व्रत को करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की आशा: इस व्रत को नियमित रूप से करने से मोक्ष की प्राप्ति की आशा होती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Margashirsha Purnima Tithi 2024)
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 14 दिसंबर 2024, शाम 04:55 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024, दोपहर 02:30 बजे
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि (Margashirsha Purnima Puja Vidhi)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। दीपक जलाएं और धूप-बत्ती का प्रयोग करें। फल, फूल, मिठाई आदि भगवान को अर्पित करें।
“ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें। संभव हो तो विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा सुनें या सुनाएं। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें। अगले दिन व्रत का पारण करें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की कथा (Margashirsha Purnima Katha)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर शयन कर रहे थे। देवी लक्ष्मी उनके चरणों की मालिश कर रही थीं। अचानक उनका हाथ हट गया जिससे भगवान विष्णु क्रोधित हो गए और उन्होंने देवी लक्ष्मी को श्राप दिया कि वे पृथ्वी पर एक गरीब स्त्री के रूप में जन्म लेंगी।
देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से क्षमा मांगी और कहा कि वे भी उनके साथ पृथ्वी पर जन्म लेंगी। भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उन्होंने भी पृथ्वी पर राजा राम के रूप में जन्म लिया। देवी लक्ष्मी सीता के रूप में उनकी पत्नी बनीं। इस प्रकार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुनर्मिलन का प्रतीक है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा की विशेष साधनाएं और उपाय (Margashirsha Purnima Remedies)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन विशेष साधनाओं और उपायों के द्वारा जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। कुछ प्रमुख साधनाएं और उपाय निम्नलिखित हैं:
- गुरु पूजन: इस दिन अपने गुरु का पूजन करें और उनका आशीर्वाद लें। गुरु के मार्गदर्शन से जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
- मंत्र जाप: “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का नियमित जाप करने से मन शांत होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- दान पुण्य: इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- व्रत रखना: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- चंद्रमा का दर्शन: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का दर्शन करने से मन प्रसन्न होता है और मानसिक शांति मिलती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अन्य नाम और महत्व (Margashirsha Purnima Other Names and Significances)
- गुरु पूर्णिमा: मार्गशीर्ष पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गुरुजनों का सम्मान किया जाता है और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
- त्रिपुरारी पूर्णिमा: कुछ स्थानों पर इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव की त्रिपुरांतक रूप की पूजा की जाती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, व्रत और कथा सुनने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। साथ ही, इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता है।
उपसंहार
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का त्योहार हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठान और उपाय व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखना और पूजा-पाठ करना शुभ माना जाता है।
हालांकि धर्म और विज्ञान अलग-अलग क्षेत्र हैं, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताओं के पीछे कई वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हो सकते हैं। इस दिन किए जाने वाले योग, ध्यान और सकारात्मक कार्यों से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। दान पुण्य करने से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।