दत्तात्रेय जयंती हिंदू धर्म के एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय, जो त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) के अवतार हैं, की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके जीवन से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
दत्तात्रेय जयंती कब मनाई जाती है? (When is Dattatreya Jayanti Celebrated?)
दत्तात्रेय जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में, दत्तात्रेय जयंती शनिवार, 14 दिसंबर को पड़ रही है।
दत्तात्रेय जयंती का महत्व (Dattatreya Jayanti Significance)
दत्तात्रेय जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह दिन न केवल भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाने का अवसर है, बल्कि उनके आदर्श जीवन से सीखने और प्रेरणा लेने का भी अवसर है। भगवान दत्तात्रेय ने अपने जीवन के माध्यम से ज्ञान, वैराग्य और समर्पण का मार्ग दिखाया है। उन्होंने त्याग, दान, क्षमा और सदाचार जैसे जीवन मूल्यों का भी पालन किया।
दत्तात्रेय जयंती मनाने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, भक्तों में वैराग्य की भावना उत्पन्न होती है, जिससे उन्हें सांसारिक मोह से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, दत्तात्रेय जयंती समर्पण का संदेश देती है, जिससे भक्त ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखना सीखते हैं।
दत्तात्रेय जयंती पर्यावरण चेतना जगाने का भी अवसर है। भगवान दत्तात्रेय को प्रकृति का प्रेमी माना जाता है। इस दिन वृक्षारोपण करने और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेने से दत्तात्रेय जी को प्रसन्न किया जा सकता है।
दत्तात्रेय जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dattatreya Jayanti 2024 Date)
दत्तात्रेय जयंती वर्ष 2024 में निम्नलिखित तिथि और समय पर मनाई जाएगी:
- दिन: शनिवार, 14 दिसंबर 2024
- तिथि: मार्गशीर्ष पूर्णिमा
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 05:28 AM, 14 दिसंबर 2024
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 06:21 AM, 15 दिसंबर 2024
दुर्लभ संयोग के रूप में इस वर्ष दत्तात्रेय जयंती शनिवार के दिन पड़ रही है, जो भगवान शनिदेव का प्रिय दिन माना जाता है। इस शुभ संयोग में दत्तात्रेय जी की पूजा करने से शनिदेव की कृपा भी प्राप्त हो सकती है।
दत्तात्रेय जयंती की पूजा विधि (Rituals of Dattatreya Jayanti Puja)
दत्तात्रेय जयंती के पावन अवसर पर भगवान दत्तात्रेय की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा करने की विधि इस प्रकार है:
- पूर्व तैयारियां (Preparations): दत्तात्रेय जयंती से एक दिन पहले स्नान करके घर की साफ-सफाई करें। पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें और चौकी पर आसन बिछाएं। भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- स्नान और आचमन : स्नान के बाद शुद्ध आसन पर बैठ जाएं। संकल्प लें कि मैं भगवान दत्तात्रेय की पूजा विधिपूर्वक कर रहा/रही हूं। फिर मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान दत्तात्रेय का आवाहन करें।
- आवाहन और आसन (Invocation and Offering Seat): स्नान के बाद शुद्ध आसन पर बैठ जाएं। संकल्प लें कि मैं भगवान दत्तात्रेय की पूजा विधिपूर्वक कर रहा/रही हूं। फिर मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान दत्तात्रेय का आवाहन करें।मंत्र:“ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय सर्वभूत आत्मने तत्त्वज्ञानाय महायोगिने योधानां च गुरवे सर्वलोकैक दीपाय सर्वात्मने नमः” इसके बाद आसन अर्पित करें।“ॐ आसनाय नमः”
- पाद्य, अर्घ्य और आचमन (Washing Feet, Offering Water, and Sipping Water): भगवान दत्तात्रेय को पाद्य अर्पित करें। इसके बाद उन्हें अर्घ्य दें। फिर स्वयं भी थोड़ा जल ग्रहण करें (आचमन)।
- स्नान और वस्त्र (Bath and Clothing): अब भगवान दत्तात्रेय को स्नान कराएं। इसके लिए उन्हें दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें वस्त्र अर्पित करें। पीले वस्त्र भगवान दत्तात्रेय को विशेष प्रिय होते हैं।
- यज्ञोपवीत और चंदन (Yagnopavita and Sandalwood Paste): भगवान दत्तात्रेय को यज्ञोपवीत अर्पित करें। इसके बाद उन्हें चंदन का तिलक लगाएं।
- आभूषण और पुष्प (Ornaments and Flowers): भगवान दत्तात्रेय को विभिन्न प्रकार के आभूषण अर्पित करें। इसके बाद उन्हें पीले फूलों की माला पहनाएं। पीले रंग के कमल, चंपा और गेंदे के फूल भगवान दत्तात्रेय को प्रिय हैं।
- धूप और दीप (Incense and Lamp): भगवान दत्तात्रेय की आरती के लिए धूप जलाएं और घी का दीप प्रज्वलित करें।
- नैवेद्य (Offering of Food): भगवान दत्तात्रेय को उनका प्रिय भोजन अर्पित करें। आप उन्हें फल, मिठाई, पंचामृत आदि का भोग लगा सकते हैं।
- मंत्र जाप (Chanting of Mantras): भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त करने के लिए उनका ध्यान करें और निम्न मंत्रों का जाप करें। दत्तात्रेय मंत्र: “ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा” दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ: आप दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
- आरती (Aarti): भगवान दत्तात्रेय की आरती करें। आप किसी भी आरती का पाठ कर सकते हैं या अपनी श्रद्धा अनुसार भजन गा सकते हैं।
- प्रार्थना (Prayer): अंत में भगवान दत्तात्रेय से ज्ञान, वैराग्य और समर्पण की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। साथ ही अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भी उनसे विनती करें।
- पारायण (Reading of Scriptures): वैकल्पिक रूप से आप दत्तात्रेय जी से जुड़ी कथाओं का पाठ कर सकते हैं, जैसे दत्तात्रेय अवतार कथा।
- प्रसाद वितरण (Distribution of Prasad): पूजा के बाद भगवान दत्तात्रेय को अर्पित किया गया भोग (प्रसाद) ग्रहण करें और परिवार के साथ वितरण करें।
दत्तात्रेय जयंती से जुड़ी कथा (Story Associated with Dattatreya Jayanti)
दत्तात्रेय जयंती के पीछे एक प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अंश से उत्पन्न हुए थे। इन तीनों देवताओं की पत्नियां – सावित्री, लक्ष्मी और पार्वती को यह बात पसंद नहीं आई। तब उन्होंने अपने पतियों से कहा कि वे दत्तात्रेय को यह बताएं कि वह किसका पुत्र है।
ब्रह्मा, विष्णु और शिव पृथ्वी पर आए और दत्तात्रेय से पूछा कि वह उनमें से किसका पुत्र है। दत्तात्रेय ने उत्तर दिया कि वह उनकी पत्नियों का पुत्र है। यह सुनकर तीनों देवता भ्रमित हो गए। तब दत्तात्रेय ने बताया कि उनकी पत्नियां हीं शक्ति का स्वरूप हैं और शक्ति के बिना उनका कोई अस्तित्व नहीं है। इस प्रकार दत्तात्रेय ने त्रिमूर्ति को भी ज्ञान प्रदान किया।
उपसंहार
दत्तात्रेय जयंती ज्ञान, वैराग्य और समर्पण का पर्व है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा-अर्चना करके हम उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। दत्तात्रेय जयंती हमें सिखाती है कि जीवन में त्याग, दान, क्षमा और सदाचार का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह हमें पर्यावरण चेतना जगाने और प्रकृति का सम्मान करने का संदेश भी देती है।
इस लेख के माध्यम से हमने आपको दत्तात्रेय जयंती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की हैं। आशा है कि यह लेख आपको आगामी दत्तात्रेय जयंती को मनाने में सहायक होगा।