हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर साल नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 30 अक्टूबर को अपराह्न 1:15 बजे से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर को अपराह्न 3:52 बजे तक रहेगी। इसे दीपावली से एक दिन पूर्व और धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है, इसलिए इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कुछ खास पूजा-विधियाँ और उपाय किए जाते हैं जिससे मां लक्ष्मी और यमराज की कृपा प्राप्त होती है।
नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व (Narak Chaturdashi 2024 Mahatva)
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज और मां काली की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, मां काली की पूजा से व्यक्ति के जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन को नरकासुर का वध करने का दिन माना गया है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने अन्याय और अधर्म का अंत करते हुए, असंख्य स्त्रियों को बंधन से मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी की जाती है।
यम दीपक जलाने का महत्व और विधि (Yam Dipak Vidhi)
नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपक जलाने की परंपरा का विशेष महत्व है। यह दीपक घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है। माना जाता है कि इस दीपक को जलाने से यमराज की कृपा बनी रहती है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इस दीपक को जलाने के लिए गेहूं के आटे से बना दीपक उपयोगी माना गया है, जिसमें सरसों का तेल भर कर चार बत्तियाँ रखी जाती हैं। दीपक में कपूर और लौंग डालकर इसे दीपावली पूजा के बाद मुख्य द्वार पर रख दें और पूरे समर्पण के साथ यमराज से परिवार की सुरक्षा की प्रार्थना करें।
छोटी दिवाली पर 14 दीपकों का महत्व (Choti Diwali 2024 14 Dipak Mahatva)
नरक चतुर्दशी पर 14 दीपक जलाने की प्राचीन परंपरा है। इन 14 दीपकों को घर के विभिन्न स्थानों पर जलाया जाता है जैसे कूड़ेदान, परित्यक्त मंदिर और दरवाजे की चौखट पर। ऐसा माना जाता है कि इन दीपकों को जलाने से घर में नकारात्मकता समाप्त होती है, कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है। यदि व्यक्ति अपने जीवन में स्थायित्व और शांति चाहता है तो नरक चतुर्दशी पर 14 दीपकों को जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।
धन और समृद्धि के लिए खास उपाय (Choti Diwali 2024 Upaay)
रोली और गुलाब के फूल
छोटी दिवाली के दिन, धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। इस दिन रोली, गुलाब के फूल और लाल चंदन का प्रयोग कर एक लाल वस्त्र में बाँध लें और इसे घर की तिजोरी में रखें। इसे रखने से घर में धन की वृद्धि होती है और अनावश्यक खर्चों में कमी आती है। इस उपाय को करने से परिवार में धन का स्थायित्व बना रहता है और आर्थिक रूप से मजबूती आती है।
रूप चौदस और सुबह स्नान का महत्व
रूप चौदस के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन तेल मालिश कर स्नान करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक दृष्टि से माना गया है कि नरक चतुर्दशी के दिन तेल में माता लक्ष्मी और जल में मां गंगा का वास होता है। स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और यमराज की पूजा करने से व्यक्ति का तन-मन स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहता है।
मां काली की पूजा
काली चौदस के नाम से भी प्रसिद्ध, नरक चतुर्दशी के दिन मां काली की पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि मां काली की पूजा से व्यक्ति के जीवन में मौजूद कठिनाइयों और तनाव से मुक्ति मिलती है। मां काली अपने भक्तों के कष्ट हरती हैं और उन्हें साहस, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसलिए इस दिन माता काली के सामने दीपक जलाकर उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।
भगवान कृष्ण की पूजा
नरक चतुर्दशी के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर असंख्य स्त्रियों को बंधन से मुक्त किया था। उनकी पूजा से भक्तों को साहस, संकल्प और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और व्यक्ति के सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना और उपायों से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। यमराज, मां काली और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति और सुरक्षा मिलती है। यम दीपक जलाकर और मां काली की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में शांति और समृद्धि मिलती है। इसलिए इस पावन अवसर पर पूर्ण विधि-विधान से पूजा और उपाय करने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
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