2026 चैत्र पूर्णिमा कब: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना गया है। (Chaitra Purnima 2026 Date)प्रत्येक महीने आने वाली पूर्णिमा अपने-अपने आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक अर्थ के कारण जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालती है। इन्हीं पूर्णिमाओं में चैत्र मास की पूर्णिमा का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। चैत्र पूर्णिमा को एक पर्व की तरह मनाया जाता है, क्योंकि यह हिंदू नववर्ष के आरंभ के बाद आने वाली पहली पूर्णिमा होती है। यही कारण है कि इस तिथि को नए आरंभ, शुभ संकल्प और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
चैत्र पूर्णिमा क्यों है विशेष
चैत्र मास की पूर्णिमा चैत्र महीने के समापन पर आती है और इस दिन कई महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। उत्तर भारत में इसी दिन हनुमान जयंती का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और हनुमान जी की विशेष आराधना करते हैं। दक्षिण भारत में यह पूर्णिमा चित्रगुप्त को समर्पित मानी जाती है, जो यमराज के सहायक हैं और जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चित्रगुप्त की पूजा करने से पूर्व जन्मों के कर्मों के दुष्प्रभाव भी शांत हो जाते हैं।
चैत्र पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
चैत्र पूर्णिमा को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें चैति पूनम भी प्रमुख है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने ब्रज में महारास रचाया था। इस दिव्य रास उत्सव में हजारों गोपियों के साथ भगवान कृष्ण ने नृत्य किया, जिसे भक्ति और प्रेम का सर्वोच्च स्वरूप माना जाता है। इस कारण यह पूर्णिमा केवल व्रत की तिथि नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक आनंद का पर्व भी बन जाती है।
चैत्र पूर्णिमा व्रत की परंपरा
चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध किया जाता है। स्नान के बाद हनुमान जी की पूजा की जाती है और अनेक श्रद्धालु मंदिर जाकर दर्शन करते हैं। इस तिथि पर पूर्णिमा व्रत के साथ-साथ हनुमान व्रत भी रखा जाता है, जिससे साहस, बल और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। कई घरों में इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ सत्यनारायण कथा का आयोजन भी किया जाता है।
दान, हवन और चंद्र पूजन का महत्व
चैत्र पूर्णिमा पर हवन करने की परंपरा भी प्रचलित है, जिसे वातावरण की शुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा के नाश का माध्यम माना जाता है। रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना इस दिन का एक प्रमुख धार्मिक कर्म है। ऐसा विश्वास है कि चंद्र पूजन से मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन प्राप्त होता है। इसके साथ ही दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र और भोजन का दान करने से दुख-दरिद्रता दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
चैत्र पूर्णिमा का सामाजिक और आध्यात्मिक प्रभाव
यह पूर्णिमा केवल धार्मिक कर्मकांड तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और व्यक्ति दोनों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली मानी जाती है। जरूरतमंदों की सहायता, सेवा और करुणा का भाव इस दिन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा पर किए गए पुण्य कर्मों से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
चैत्र पूर्णिमा व्रत मुहूर्त 2026
वर्ष 2026 में चैत्र पूर्णिमा व्रत बुधवार, 1 अप्रैल को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरंभ 1 अप्रैल 2026 को सुबह 7 बजकर 6 मिनट पर होगा और इसका समापन 2 अप्रैल 2026 को सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस अवधि के भीतर किया गया व्रत, पूजा और दान विशेष फलदायी माना गया है। यही समय व्रत और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सर्वाधिक शुभ माना जाता है।
चैत्र पूर्णिमा का व्यापक महत्व
चैत्र पूर्णिमा हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा होने के कारण नए संकल्पों और शुभ आरंभ का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन स्नान, व्रत, दान और पूजा करने से पापों का क्षय होता है और पुण्य में वृद्धि होती है। हनुमान जयंती और रास लीला जैसे पवित्र प्रसंग इस पूर्णिमा को और भी दिव्य बना देते हैं। यही कारण है कि चैत्र पूर्णिमा को हिंदू पंचांग में अत्यंत पवित्र और फलदायी तिथि माना गया है।
ज्योतिषीय दृष्टि से भी चैत्र पूर्णिमा का प्रभाव व्यक्ति के जीवन, करियर, विवाह और स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस दिन किए गए शुभ कर्म आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम देते हैं। जो लोग अपने जीवन से जुड़े प्रश्नों का समाधान चाहते हैं, उनके लिए यह पूर्णिमा आत्मचिंतन और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का श्रेष्ठ अवसर प्रदान करती है।
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