Chaitra Navratri 2026 Date: हिंदू धर्म में नवरात्र का पर्व वर्ष में दो बार बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। एक नवरात्र शारदीय नवरात्र कहलाता है, जबकि दूसरा चैत्र माह में मनाया जाने वाला चैत्र नवरात्र होता है। चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसी के साथ हिंदू नववर्ष की आध्यात्मिक शुरुआत मानी जाती है।
जहाँ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल पहली जनवरी से आरंभ होता है, वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार नववर्ष का आरंभ चैत्र मास से होता है। इसी शुभ माह में चैत्र नवरात्र आते हैं, जिनमें मां दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की आराधना की जाती है। श्रद्धालु इन नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और मां भगवती से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
चैत्र नवरात्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह समय आत्मशुद्धि, साधना और संयम का माना जाता है। नवरात्र में किए गए व्रत और पूजा से न केवल आध्यात्मिक बल मिलता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति का भी आगमन होता है।
मान्यता है कि चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच वास करती हैं और उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यही कारण है कि इस दौरान विशेष रूप से पूजा-पाठ, जप-तप और धार्मिक नियमों का पालन किया जाता है।
चैत्र नवरात्र 2026 की तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 19 मार्च को होगा। इसी दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत मानी जाएगी। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व का समापन 27 मार्च 2026 को होगा। नवरात्र के अंतिम दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस प्रकार वर्ष 2026 में चैत्र नवरात्र पूरे नौ दिनों तक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाए जाएंगे, जिसमें भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा करेंगे।
चैत्र नवरात्र 2026 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन घटस्थापना या कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। इसी के साथ नवरात्र की पूजा का विधिवत आरंभ किया जाता है। वर्ष 2026 में 19 मार्च को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 06 बजकर 52 मिनट से 07 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके अतिरिक्त अभिजित मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है, जो दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
शास्त्रों के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और मां दुर्गा की विशेष कृपा बनी रहती है।
घटस्थापना की विधि और आवश्यक सामग्री
घटस्थापना के लिए स्वच्छ स्थान का चयन किया जाता है और वहां कलश की स्थापना की जाती है। कलश में गंगाजल भरकर उसमें आम या अशोक के पत्ते लगाए जाते हैं और जटा वाला नारियल रखा जाता है। पूजा में रोली, अक्षत, हल्दी, लाल कपड़ा, सुपारी, सिक्का, अनाज और कपूर का भी प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही अखंड ज्योति के लिए बड़े दीपक और रुई की बाती का उपयोग किया जाता है। कई श्रद्धालु मंदिर या पवित्र स्थान की मिट्टी भी घटस्थापना में शामिल करते हैं, जिससे पूजा और अधिक पुण्यदायी मानी जाती है।
चैत्र नवरात्र में नौ दिनों की देवी पूजा
चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जिन्हें हिमालय की पुत्री माना जाता है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना होती है, जो तप और संयम का प्रतीक हैं। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, जिनकी आराधना से भय का नाश होता है। चौथे दिन मां कूष्माण्डा की उपासना होती है, जो सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं।
पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है, जो भक्तों को ममता और संरक्षण प्रदान करती हैं। छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना की जाती है, जिनकी कृपा से कठिन कार्य भी सफल होते हैं। सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है, जो नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं। आठवें दिन मां महागौरी की उपासना की जाती है, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं। नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो भक्तों को सिद्धि और सफलता प्रदान करती हैं।
चैत्र नवरात्र में पालन करने योग्य नियम
चैत्र नवरात्र के दौरान घर और पूजा स्थल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस समय वाद-विवाद, क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए और सात्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए। अखंड ज्योति को पूरे नौ दिनों तक सावधानीपूर्वक जलाए रखना शुभ माना जाता है।
इस दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना, प्रातः और संध्या समय मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करना और श्रद्धा भाव से भोग अर्पित करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
चैत्र नवरात्र 2026 आस्था, साधना और आत्मिक शुद्धि का विशेष अवसर लेकर आ रहा है। यदि इन नौ दिनों में श्रद्धा और नियमों के साथ मां दुर्गा की उपासना की जाए, तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन निश्चित माना जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन स्थापित करने का भी श्रेष्ठ माध्यम है।
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