Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 Shloka 14 | गीता अध्याय 3 श्लोक 14 अर्थ सहित | अन्नाद्भवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 14 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 in Hindi): भारतीय संस्कृति में भगवद्गीता एक ऐसा आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो जीवन के हर पहलू को गहराई…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 14 Shloka 14 | गीता अध्याय 3 श्लोक 14 अर्थ सहित | अन्नाद्भवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 Shloka 13 | गीता अध्याय 3 श्लोक 13 अर्थ सहित | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 13 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 in Hindi): भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला एक दिव्य…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 13 Shloka 13 | गीता अध्याय 3 श्लोक 13 अर्थ सहित | यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 Shloka 12 | गीता अध्याय 3 श्लोक 12 अर्थ सहित | इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 12 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 in Hindi): भगवद्गीता हिंदू धर्म का एक पवित्र ग्रंथ है जो मानव जीवन के हर पहलू पर प्रकाश…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 12 Shloka 12 | गीता अध्याय 3 श्लोक 12 अर्थ सहित | इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 Shloka 11 | गीता अध्याय 3 श्लोक 11 अर्थ सहित | देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 11 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय का 11वाँ श्लोक (3.11) मनुष्य और देवताओं के बीच एक पवित्र संबंध…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 11 Shloka 11 | गीता अध्याय 3 श्लोक 11 अर्थ सहित | देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 Shloka 10 | गीता अध्याय 3 श्लोक 10 अर्थ सहित | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 10 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 in Hindi): भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन जीने की सम्पूर्ण कला का विज्ञान है।…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 10 Shloka 10 | गीता अध्याय 3 श्लोक 10 अर्थ सहित | सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 9 Shloka 9 | गीता अध्याय 3 श्लोक 9 अर्थ सहित | यज्ञार्थात्कर्मणोSन्यत्र लोकोSयं कर्मबन्धनः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 9 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 9 in Hindi): भगवद्गीता मानव जीवन के लिए एक दिव्य मार्गदर्शक ग्रंथ है, जिसमें जीवन के हर पहलू पर…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 9 Shloka 9 | गीता अध्याय 3 श्लोक 9 अर्थ सहित | यज्ञार्थात्कर्मणोSन्यत्र लोकोSयं कर्मबन्धनः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 8 Shloka 8 | गीता अध्याय 3 श्लोक 8 अर्थ सहित | नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 8 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 8 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय सनातन संस्कृति का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें जीवन जीने की कला सिखाई गई…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 8 Shloka 8 | गीता अध्याय 3 श्लोक 8 अर्थ सहित | नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 7 Shloka 7 | गीता अध्याय 3 श्लोक 7 अर्थ सहित | यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेSर्जुन…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 7 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 7 in Hindi): भगवद्गीता का प्रत्येक श्लोक गूढ़ रहस्यों से भरा हुआ है और हमें जीवन की सच्ची दिशा…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 7 Shloka 7 | गीता अध्याय 3 श्लोक 7 अर्थ सहित | यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेSर्जुन…..

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 Shloka 6 | गीता अध्याय 3 श्लोक 6 अर्थ सहित | कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 6 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 in Hindi): श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 6 Shloka 6 | गीता अध्याय 3 श्लोक 6 अर्थ सहित | कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्

Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 Shloka 5 | गीता अध्याय 3 श्लोक 5 अर्थ सहित | न हि कश्र्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्…..

श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 5 (Bhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 in Hindi): जीवन में कर्म का क्या महत्व है? क्या हम एक पल के लिए भी बिना कर्म…

Continue ReadingBhagavad Gita Chapter 3 Verse 5 Shloka 5 | गीता अध्याय 3 श्लोक 5 अर्थ सहित | न हि कश्र्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्…..