Last Upadted : 10 May 2025
Buddha Purnima 2025 Date: बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म में अत्यंत पावन पर्व के रूप में मनाई जाती है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, बोधि प्राप्ति (ज्ञान प्राप्ति) और महापरिनिर्वाण की याद में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को आने वाला यह पर्व न केवल भारत में, बल्कि नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों में भी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आइए जानें वर्ष 2025 में बुद्ध पूर्णिमा कब मनाई जाएगी और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है।

Buddha Purnima 2025: बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसे भगवान गौतम बुद्ध की याद में मनाया जाता है। यह पर्व वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को आता है और इसे बुद्ध जयंती या वैशाखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में हुआ था। इसी दिन बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और अंततः कुशीनगर में इसी तिथि को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ।
इस एक ही दिन में भगवान बुद्ध के जीवन की तीन अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुईं, जिससे यह तिथि विशेष बन जाती है। इस अवसर पर श्रद्धालु भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को स्मरण करते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। देश-विदेश के बौद्ध मठों और मंदिरों में विशेष पूजा, साधना, उपदेश सत्र और दान के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन लोग जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान प्रदान करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह करुणा, शांति, और अहिंसा के पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।
बुद्ध पूर्णिमा 2025 की तिथि (Buddha Purnima 2025 Date and Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि 11 मई को शाम 08 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होकर 12 मई को रात 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए, बुद्ध पूर्णिमा का पर्व इस वर्ष 12 मई, सोमवार के दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व (Buddha Purnima Mahatva)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में माता महामाया के गर्भ से सिद्धार्थ के रूप में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन था। सांसारिक मोह-माया और जीवन के गूढ़ सत्य को समझने की इच्छा ने उन्हें राजपाठ और पारिवारिक सुख-सुविधाओं का त्याग करने पर विवश कर दिया। ध्यान और तपस्या की गहन साधना ने उन्हें गौतम बुद्ध के रूप में नया स्वरूप दिया, और उनके ज्ञानवर्धक उपदेशों ने उन्हें दिव्यता प्रदान की।
बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालु बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को स्मरण करते हैं तथा दान, सेवा और पुण्य कार्यों में भाग लेते हैं। यह दिन आत्मबोध और आध्यात्मिक विकास की प्रेरणा देता है, जो किसी को भी सामान्य से महान बना सकता है — जैसा कि सिद्धार्थ से भगवान बुद्ध बनने की यात्रा में देखने को मिला।
भगवान बुद्ध के 10 अनमोल संदेश (Buddha Ke 10 Sandesh)
- “आपका भविष्य आज आप क्या करते हैं, उस पर निर्भर करता है।”
- वर्तमान में किया गया कर्म ही आपके भविष्य को आकार देता है।
- “बुराई को बुराई से नहीं, बल्कि प्रेम से जीता जा सकता है।”
- नफरत का अंत नफरत से नहीं, बल्कि प्रेम से होता है।
- “स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन और विश्वास सबसे बड़ा संबंध।”
- जीवन में इन तीनों का होना ही सच्ची संपन्नता है।
- “जो अपने गुस्से पर विजय पा लेता है, वही सच्चा योद्धा है।”
- आत्मसंयम ही सबसे बड़ी जीत है।
- “तीन चीज़ें कभी छुपी नहीं रह सकतीं: सूर्य, चंद्रमा और सत्य।”
- सत्य हमेशा सामने आ ही जाता है।
- “हर सुबह हम एक बार फिर जन्म लेते हैं। आज हम जो करते हैं, वही सबसे ज़्यादा मायने रखता है।”
- हर दिन एक नई शुरुआत है।
- “जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसे ही इंसान बिना आध्यात्मिक जीवन के नहीं जी सकता।”
- आत्मा की उन्नति जरूरी है।
- “क्रोध को पकड़ कर रखना, ऐसे है जैसे कोई गर्म कोयला किसी और पर फेंकने के लिए पकड़े। इसमें खुद ही जलना पड़ता है।”
- क्रोध पहले खुद को ही नुकसान पहुंचाता है।
- “शांति भीतर से आती है, इसे बाहर मत खोजो।”
- आंतरिक संतुलन ही सच्चा सुख है।
- “सबसे बड़ी गलती यह है कि यह सोचना कि आप कोई गलती नहीं कर सकते।”
- सीखना तभी संभव है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करें।
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