दीवाली के बाद भैया दूज का पर्व पूरे भारत में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और स्नेह का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं। रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज का त्योहार भी भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने वाला पर्व है। यह पर्व हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष भाई दूज का पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, जो कि 3 नवंबर को है, मनाया जाएगा।
भाई दूज की शुरुआत कैसे हुई? (Bhai Dooj Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भाई दूज की शुरुआत यमराज और उनकी बहन यमुना के प्रेम से जुड़ी है। कहा जाता है कि सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के दो संताने थीं—यमराज और यमुना। यमराज अपनी बहन से बहुत स्नेह करते थे। यमुना ने हमेशा अपने भाई यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण दिया, लेकिन व्यस्तताओं के कारण यमराज समय नहीं निकाल पाते थे। कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज ने यमुना के घर जाने का वादा किया और इसी दिन भाई दूज की शुरुआत हुई। यमराज के आगमन पर यमुना ने अपने भाई का स्वागत किया, तिलक लगाया और उन्हें विशेष भोजन करवाया। यमराज अपनी बहन के इस प्रेम से बहुत प्रसन्न हुए और उसे वरदान देने को कहा। इस वरदान में यमुना ने अपने भाई से हर साल इस दिन अपने घर आने का आशीर्वाद मांगा, जिससे भाई-बहन का यह अनमोल रिश्ता हर साल भाई दूज के पर्व के रूप में जीवित रहे।
भाई दूज का धार्मिक महत्व (Bhai Dooj Mahatva)
भाई दूज का पर्व न केवल भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है, बल्कि इसमें धार्मिक महत्व भी है। इस दिन बहनें भाई के सुख और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहन की सुरक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए भी मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं।
कैसे मनाया जाता है भाई दूज? (Bhai Dooj kaise Manate Hai)
भाई दूज को भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इसे कुछ स्थानों पर भाई फोटा, भाऊ बीज, भ्रातृ द्वितीया, यम द्वितीया, भाई टिक्का और भाई तिहार के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं और उनके सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। भाई भी अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनके प्रति अपने स्नेह और सुरक्षा के वचन को दोहराते हैं।
भाई दूज पर कैसे करें पूजा और तिलक (Bhai Dooj Tilak Mahatva)
इस दिन बहनें सबसे पहले तिलक की थाल सजाती हैं। थाल में रोली, अक्षत, नारियल, मिठाई और दीपक रखे जाते हैं। भाई को तिलक लगाने के बाद बहनें उनके लिए नारियल, फूल और मिठाई रखकर पूजा करती हैं। इस अवसर पर बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं। पूजा के दौरान भाई बहन को उपहार देते हैं और अपने प्यार और कर्तव्य का प्रतीक बनाते हैं।
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का संदेश देता है और यह बताता है कि पारिवारिक संबंधों में भी विशेष महत्ता है। भाई दूज का पर्व हमें यह सीख देता है कि चाहे कुछ भी हो जाए, हम एक-दूसरे के साथ खड़े रहें और अपने रिश्तों को हर परिस्थिति में संजोकर रखें।
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