भगवद्गीता (Bhagavad Gita) क्यों पढ़ें और समझें? जानिए कैसे यह दिव्य ग्रंथ हमारे जीवन को दिशा देता है। गीता के श्लोकों में छिपा है जीवन के दुःखों और चिंताओं से मुक्ति का रहस्य। गीता का अध्ययन हमें न केवल पापों से मुक्त करता है, बल्कि भगवान् की शरण में आकर संपूर्ण शांति प्रदान करता है। गीता माहात्म्य के मधुर श्लोकों के माध्यम से जानिए इस पवित्र ग्रंथ की महिमा और इसे पढ़ने की आवश्यकता।
भगवद्गीता(Bhagavad Gita): दिव्यता का दिव्य संदेश

अद्भुत भगवद्गीता(Bhagavad Gita): जीवन का मार्गदर्शक
भगवद्गीता, एक ऐसा दिव्य साहित्य है, जिसे ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए। इसके पवित्र उपदेशों का पालन करने से जीवन के दुःख और चिंताओं से मुक्ति मिल सकती है। गीता माहात्म्य १ में कहा गया है,
“गीता शास्त्रमिदं पुण्यं यः पठेत् प्रयतः पुमान्
गीता माहात्म्य १
यदि कोई भगवद्गीता के उपदेशों का पालन करे तो वह जीवन के दुःखों तथा चिंताओं से मुक्त हो सकता है। भय शोकादिवर्जितः।“
भगवद्गीता(Bhagavad Gita) के उपदेश: पापों से मुक्ति
गीताध्ययनशीलस्य प्राणायामपरस्य च।
गीता माहात्म्य २
नैव सन्ति हि पापानि पूर्वजन्मकृतानि च॥
भगवद्गीता का गंभीर अध्ययन करने वाले भक्तों के लिए यह विशेष लाभ है कि भगवान् की कृपा से उनके सारे पूर्व दुष्कर्मों के फलों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। गीता माहात्म्य २ में यह उद्धृत है।
भगवान् का संदेश: शरण में आओ
भगवान् भगवद्गीता के १८.६६ श्लोक में कहते हैं:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
भगवद्गीता श्लोक १८.६६
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
भगवान् कहते हैं, “सब धर्मों को त्याग कर एकमात्र मेरी ही शरण में आओ। मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा। तुम डरो मत।” यह भगवान् का आश्वासन है कि उनकी शरण में आने वाले भक्त का पूरा उत्तरदायित्व वे स्वयं लेते हैं।
गीता(Geeta) का स्नान: जीवन की मलिनता से मुक्ति
मलिनेमोचनं पुंसां जलस्नानं दिने दिने।
गीता माहात्म्य ३
सकृद्गीतामृतस्नानं संसारमलनाशनम्॥
गीता माहात्म्य ३ में कहा गया है कि जैसे मनुष्य जल में स्नान करके अपने को स्वच्छ कर सकता है, वैसे ही यदि कोई भगवद्गीता रूपी पवित्र गंगा-जल में एक बार भी स्नान कर ले तो वह भौतिक जीवन की मलिनता से सदा के लिए मुक्त हो जाता है।
गीता(Geeta): समस्त वैदिक ग्रंथों का सार
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः।
गीता माहात्म्य ४
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिःसृता॥
भगवद्गीता भगवान् के मुख से निकली है, अतः किसी अन्य वैदिक साहित्य को पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहती। इसे ही ध्यानपूर्वक और मनोयोग से पढ़ना चाहिए। वर्तमान युग में लोग सांसारिक कार्यों में इतने व्यस्त हैं कि उनके लिए समस्त वैदिक साहित्य का अध्ययन करना संभव नहीं है, परंतु इसकी आवश्यकता भी नहीं है। भगवद्गीता ही पर्याप्त है, क्योंकि यह समस्त वैदिक ग्रंथों का सार है और इसका प्रवचन स्वयं भगवान् ने किया है।
गीता(Geeta): मुक्ति का अमृत
भारतामृतसर्वस्वं विष्णुवक्त्राद्विनिः सृतम्।
गीता माहात्म्य ५
गीता-गङ्गोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते॥
गीता माहात्म्य ५ में कहा गया है, “जो गंगाजल पीता है, वह मुक्ति प्राप्त करता है। अतः उसके लिए क्या कहा जाए जो भगवद्गीता का अमृत पान करता हो?” भगवद्गीता महाभारत का अमृत है और इसे स्वयं भगवान् कृष्ण ने सुनाया है।
गीता(Geeta) का महत्व: उपनिषदों का सार
सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनन्दनः।
गीता माहात्म्य ६
पार्थो वत्सः सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत्॥
गीता माहात्म्य ६ में कहा गया है, “यह गीतोपनिषद्, भगवद्गीता, जो समस्त उपनिषदों का सार है, गाय के तुल्य है और ग्वालबाल के रूप में विख्यात भगवान् कृष्ण इस गाय को दुह रहे हैं। अर्जुन बछड़े के समान है, और सारे विद्वान तथा शुद्ध भक्त भगवद्गीता के अमृतमय दूध का पान करने वाले हैं।”
एक ही शास्त्र, एक ही ईश्वर
एकं शास्त्रं देवकीपुत्रगीतम्।
गीता माहात्म्य ७
एको देवो देवकीपुत्र एव।
एको मन्त्रस्तस्य नामानि यानि।
कर्माप्येकं तस्य देवस्य सेवा॥
गीता माहात्म्य ७ में कहा गया है, “आज के युग में लोग एक शास्त्र, एक ईश्वर, एक धर्म और एक वृत्ति के लिए अत्यंत उत्सुक हैं। अतः एक ही शास्त्र भगवद्गीता हो, जो सारे विश्व के लिए हो। एक ही ईश्वर हो- श्रीकृष्ण। एक ही मन्त्र हो- उनके नाम का कीर्तन, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे। हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे। और एक ही कार्य हो- भगवान् की सेवा।”
भगवद्गीता के दिव्य उपदेशों का अनुसरण करके हम अपने जीवन को सुखमय और आध्यात्मिक बना सकते हैं। यह हमारे जीवन का मार्गदर्शक और मुक्ति का साधन है। आइए, भगवद्गीता के पावन उपदेशों का पालन करें और अपने जीवन को सफल बनाएं।
निष्कर्ष:
इस लेख में हमने देखा कि भगवद्गीता एक ऐसा अनमोल ग्रंथ है जो हर व्यक्ति के जीवन में अनिवार्य होना चाहिए। इसमें छिपे उपदेश हमें न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं, बल्कि हमारे जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाने में भी सहायक होते हैं। गीता का पठन और उसके उपदेशों का पालन हमें पापों से मुक्ति दिलाता है और हमें भगवान् की शरण में आने का मार्ग दिखाता है।
गीता माहात्म्य के अनुसार, यह ग्रंथ हमारे जीवन का अमृत है जो हमें भवसागर से पार ले जाता है और हमें अनंत शांति प्रदान करता है। इसलिए, हमें गीता के महत्व को समझना और इसके उपदेशों का पालन करना चाहिए। यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन देता है और हमें एक सामृद्ध और सकारात्मक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
अतएव, गीता के शिक्षाओं को अपनाकर हम अपने जीवन को धार्मिकता, शांति और समृद्धि की दिशा में बढ़ा सकते हैं। इस अद्वितीय ग्रंथ के माध्यम से हम अपनी आत्मा को प्रकाशित कर सकते हैं और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।