You are currently viewing Basant Panchami 2025: साल 2025 में कब है बसंत पंचमी, जाने तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Basant Panchami 2025: साल 2025 में कब है बसंत पंचमी, जाने तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

बसंत पंचमी जिसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है, भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी माता सरस्वती को समर्पित किया जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दिया जाता है। आइए जानते हैं कि साल 2025 में बसंत पंचमी का पर्व कब मनाया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त क्या होगा, और इस पर्व से जुड़ी पूजा विधि एवं महत्व क्या हैं।

बसंत पंचमी का महत्व (Basant Panchami Mahatva)

सनातन धर्म में बसंत पंचमी का त्योहार विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। कहते हैं कि जब सृष्टि का निर्माण हुआ, तब चारों ओर केवल मौन और शून्यता थी। उस समय भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि को सुशोभित और सजीव करने के लिए माता सरस्वती को उत्पन्न किया। उनके प्रकट होते ही चारों ओर मधुर संगीत गूंजने लगा, जिससे यह दिन विद्या, ज्ञान और कला का प्रतीक बन गया।

माना जाता है कि इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने से भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत भी होता है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मोहित कर देने वाले वातावरण के लिए जानी जाती है।

2025 में बसंत पंचमी कब मनाई जाएगी? (Basant Panchami 2025 Date)

पंचांग के अनुसार, बसंत पंचमी का त्योहार हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 3 फरवरी को पड़ेगी। पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 15 मिनट से होगी और यह तिथि 3 फरवरी 2025 को सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।

इस प्रकार, 2025 में बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस दौरान विधिपूर्वक पूजा करने से देवी सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

बसंत पंचमी पूजा विधि (Basant Panchami Puja Vidhi)

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। इस दिन पूजा विधि निम्न प्रकार है:

  1. सुबह स्नान करने के बाद सबसे पहले घर के मंदिर और पूजा स्थल की सफाई करें।
  2. साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. सरस्वती माता की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
  4. विद्यार्थी अपनी पुस्तकें, पेन और अन्य अध्ययन सामग्री माता सरस्वती के सामने रखें।
  5. देवी सरस्वती को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले फूल और फल अर्पित करें।
  6. विधिवत रूप से पुस्तकों और अध्ययन सामग्री की भी पूजा करें।
  7. माता सरस्वती के मंत्रों का उच्चारण करें और उनकी आरती करें।
  8. अंत में भोग लगाकर सभी के बीच प्रसाद का वितरण करें।

बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाते हैं? (Basant Panchami Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती ने संसार में ज्ञान और संगीत की धारा प्रवाहित की थी। उनके प्रकट होने पर सभी देवी-देवताओं ने उनका स्वागत किया और उनकी स्तुति गाई। यह दिन ज्ञान, शिक्षा और कला को समर्पित होने के कारण विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

बसंत पंचमी के दिन लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं, क्योंकि यह रंग बसंत ऋतु का प्रतीक है। पीला रंग ऊर्जा, उत्साह और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए सरसों के फूल, जो पीले रंग के होते हैं, देवी को अर्पित किए जाते हैं।

बसंत पंचमी और सांस्कृतिक गतिविधियां

बसंत पंचमी केवल धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक उत्सवों का भी प्रतीक है। इस दिन कई स्थानों पर मेले, संगीत कार्यक्रम और नृत्य प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है। स्कूल और कॉलेजों में सरस्वती पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। विद्यार्थी अपने अध्ययन में सफलता की कामना के लिए माता सरस्वती की पूजा करते हैं।

इस दिन पतंगबाजी का भी प्रचलन है। बसंत पंचमी पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। यह त्योहार जीवन में उल्लास और आनंद का संदेश देता है।

बसंत पंचमी का संदेश

बसंत पंचमी हमें सिखाती है कि जीवन में ज्ञान, कला और संगीत का क्या महत्व है। यह पर्व हमें नई ऊर्जा और उत्साह के साथ जीवन को देखने की प्रेरणा देता है। देवी सरस्वती की आराधना करके हम अपने जीवन में सकारात्मकता, शांति और रचनात्मकता ला सकते हैं।

बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है। यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी खास स्थान रखता है। 2025 में यह पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा विधिपूर्वक करने से ज्ञान, बुद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बसंत पंचमी हमें जीवन में उत्साह और उल्लास बनाए रखने का संदेश देती है।

ALSO READ:-

जाने क्यों भगवान शिव ने शनिदेव को 19 साल तक पीपल के पेड़ से उल्टा लटकाये रखा था

इन 5 संकेतों से समझें कि भगवान आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला रहे हैं

Leave a Reply