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Bahula Chaturthi 2024 :बहुला चतुर्थी 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि और कथा

बहुला चतुर्थी, जिसे भाद्रपद की चौथ, गणेश चतुर्थी और बोल चौथ के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार है। यह दिन भगवान गणेश, जिन्हें हिंदू धर्म के ज्ञान के देवता के रूप में सम्मानित किया जाता है, और गौ माता, जिन्हें पवित्र मानी जाती है, की पूजा के लिए समर्पित है। इस लेख में, हम बहुला चतुर्थी 2024 के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और मनोरम कथा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे।

Bahula Chaturthi 2024

बहुला चतुर्थी 2024 की तिथि और मुहूर्त (Bahula Chaturthi 2024 Date)

बहुला चतुर्थी इस वर्ष 22 अगस्त 2024 (गुरुवार) को मनाई जाएगी।

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 अगस्त 2024 (बुधवार), शाम 06:21 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 अगस्त 2024 (गुरुवार), शाम 06:20 बजे

चूंकि चतुर्थी तिथि का अधिकांश भाग 22 अगस्त को पड़ता है, इसलिए इस दिन ही बहुला चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा और पूजा की जाएगी।

बहुला चतुर्थी की विधि (Bahula Chaturthi 2024 Puja Vidhi)

बहुला चतुर्थी पर भगवान गणेश और गौ माता की पूजा की जाती है। आइए विधि के प्रत्येक चरण को विस्तार से देखें:

  • पूजा की तैयारी:
    • व्रत रखने वाले व्यक्तियों को चाहिए कि वे सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और उसे सजाएं। आप रंगोली बना सकते हैं और दीप जला सकते हैं।
    • भगवान गणेश और गौ माता की मूर्तियाँ स्थापित करें। आप तांबे, पीतल, या मिट्टी से बनी मूर्तियों का उपयोग कर सकते हैं।
  • पूजा का आरंभ:
    • भगवान गणेश और गौ माता को स्नान कराएं। इसके लिए आप पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) या शुद्ध जल का उपयोग कर सकते हैं।
    • उन पर चंदन का टीका लगाएं और उन्हें वस्त्र पहनाएं।
    • उन्हें फूल, फल, मिठाई और धूप अर्पित करें। आप उनकी पसंदीदा चीज़ें भी चढ़ा सकते हैं, जैसे कि भगवान गणेश को मोदक और गौ माता को हरा चारा।
    • दीप जलाएं और भगवान गणेश और गौ माता की आरती करें। आप गणेश स्तोत्र, गणेश चालीसा या आपके द्वारा ज्ञात किसी भी गणेश मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

बहुला चतुर्थी का महत्व (Bahula Chaturthi Importance)

बहुला चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए देखें यह त्योहार क्यों महत्वपूर्ण है:

  • भगवान गणेश की कृपा: भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान, और सौभाग्य का देवता माना जाता है। बहुला चतुर्थी पर उनकी पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे शिक्षा, व्यवसाय और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता मिलती है।
  • पापों का नाश: गौ माता को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। उनका पूजन करने और उन्हें हरा चारा खिलाने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • संतान प्राप्ति और कल्याण: ऐसा माना जाता है कि बहुला चतुर्थी का व्रत रखने और भगवान गणेश और गौ माता की पूजा करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, संतान की सुरक्षा और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का भी वरदान प्राप्त होता है।
  • महिलाओं के लिए विशेष महत्व: बहुला चतुर्थी का व्रत खासकर महिलाओं द्वारा अपने पुत्रों के कल्याण और दीर्घायु के लिए रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का व्रत रखने और पूजा करने से पुत्रों को जीवन में सफलता और सुरक्षा प्राप्त होती है।

बहुला चतुर्थी की मनमोहक कथा (Bahula Chaturthi Katha)

बहुला चतुर्थी से जुड़ी एक मनमोहक कथा है, जो इस त्योहार के महत्व को और भी गहरा बनाती है।

कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश अपने भाई कार्तिकेय के साथ खेल रहे थे। खेलते समय उनका एक दांत टूट गया। भगवान गणेश को बहुत दर्द हुआ और वे रोने लगे। माता पार्वती उन्हें शांत करने का हर संभव प्रयास करने लगीं, लेकिन गणेश जी का रोना नहीं रुका। तब भगवान शिव ने गणेश जी का टूटा हुआ दांत निकालकर एक हाथी का दांत लगा दिया।

इस घटना के बाद, भगवान गणेश को गजानन (हाथी के मुख वाले) के नाम से जाना जाने लगा। इसी खुशी में, माता पार्वती ने भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्मदिन मनाने का फैसला किया। तब से, यह दिन बहुला चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।

कथा का एक और पहलू गौ माता से जुड़ा है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान इंद्र की गाय कपिला का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। गाय कपिला को कामधेनु गाय की पुत्री माना जाता है, जो सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली गाय थी। गाय कपिला के आगमन से पृथ्वी पर सुख-समृद्धि का वास हुआ। इसलिए, इस दिन गौ माता का पूजन भी किया जाता है।

उपसंहार

बहुला चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश और गौ माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक अवसर है। यह दिन आध्यात्मिक विकास, सकारात्मक ऊर्जा, और पारिवारिक कल्याण का प्रतीक है। इस शुभ दिन पर भगवान गणेश और गौ माता की विधि-विधान से पूजा करने और कथा सुनने से आपके जीवन में सुख, शांति, और सफलता का आगमन निश्चित है।

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