Chaitra Navratri 2025: साल 2025 में चैत्र नवरात्रि कब है? यहां जाने कलश स्थापना तिथि और पूजा विधि

Last Updated: 29 March 2025

साल 2025 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत और समाप्ति की तिथियों को जानना महत्वपूर्ण है। यहां 2025 की चैत्र नवरात्रि की तिथि, कलश स्थापना और महत्व के बारे में जानकारी दी गई है। सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, जिसमें मां दुर्गा की उपासना की जाती है। नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो प्रत्यक्ष नवरात्रि शामिल हैं। चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्रि प्रत्यक्ष रूप से मनाई जाती हैं। हर साल चैत्र नवरात्र, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है।

चैत्र नवरात्रि
Chaitra Navratri 2025

इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पूजा की जाती है और हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्र की नवमी पर राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है। आइए जानते हैं 2025 में चैत्र नवरात्र कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है।

चैत्र नवरात्रि महत्व (Chaitra Navratri Mahatva)

चैत्र नवरात्रि 2025 कब है? (Chaitra Navratri 2025 Date and Time)

साल 2025 में चैत्र नवरात्रि का त्योहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से मनाया जाएगा। यह तिथि 29 मार्च 2025 को सायंकाल 4:27 बजे शुरू होगी और 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, साल 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल 2025 तक चलेगा।

चैत्र नवरात्रि 2025 कलश स्थापना मुहूर्त (Chaitra Navratri 2025 Kalash Sthapana Muhurat)

साल 2025 में चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च को होगा। इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:13 से 10:22 तक रहेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:01 से 12:50 तक रहेगा।

चैत्र नवरात्रि पूजा विधि (Chaitra Navratri 2025 Puja Vidhi)

नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जाती है। इस दिन जौ भी बोए जाते हैं और माता की अखंड ज्योति जलाई जाती है, जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहती है। नवरात्रि की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • प्रत्येक दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पहले दिन व्रत का संकल्प लें और घटस्थापना करें।
  • माता के लिए आसन तैयार करें और मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • माता को श्रृंगार सामग्री, टीका और फूल चढ़ाएं।
  • देसी घी का दीपक जलाएं और माता के मंत्रों का जाप करें।
  • जिस दिन जिस देवी की पूजा होती है, उनके मंत्रों का भी जाप करें।
  • माता को उनका पसंदीदा भोग लगाएं।
  • व्रत कथा सुनें और आरती उतारें, फिर भोग बांट दें।

चैत्र नवरात्रि 2025 तिथियाँ (Chaitra Navratri 2025 Tithiyan)

चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च 2025 से होगी और यह 7 अप्रैल 2025 तक चलेगी। यहां चैत्र नवरात्र के प्रत्येक दिन की तिथियां और देवी के नाम दिए गए हैं:

दिनदेवीवारदिनांक
पहला चैत्र नवरात्रिमां शैलपुत्रीरविवार30 मार्च 2025
दूसरा चैत्र नवरात्रिमां ब्रह्मचारिणीसोमवार31 मार्च 2025
तीसरा चैत्र नवरात्रिमां चंद्रघंटामंगलवार1 अप्रैल 2025
चौथा चैत्र नवरात्रिमां कूष्मांडाबुधवार2 अप्रैल 2025
पांचवां चैत्र नवरात्रिमां स्कंदमातागुरुवार3 अप्रैल 2025
छठा चैत्र नवरात्रिमां कात्यायनीशुक्रवार4 अप्रैल 2025
सातवां चैत्र नवरात्रिमां कालरात्रिशनिवार5 अप्रैल 2025
अष्टमी चैत्र नवरात्रिमां महागौरीरविवार6 अप्रैल 2025
नवमी चैत्र नवरात्रिमां सिद्धीदात्रीसोमवार7 अप्रैल 2025

नवरात्रि कथा

चैत्र नवरात्र की पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर दैत्यराज महिषासुर ने नरक से स्वर्ग तक अपना विस्तार कर लिया था। दानवों के बढ़ते अत्याचारों से देवी-देवता भी त्रस्त हो गए थे। एक समय ऐसा आया जब महिषासुर और उसकी सेना ने इंद्र के सेना पर विजय प्राप्त कर, इंद्र का सिंहासन छीन लिया।

महिषासुर के इस दुस्साहस से भगवान शिव और भगवान विष्णु क्रोधित हो गए और महिषासुर के अंत के लिए देवी शक्ति के जन्म का निर्णय लिया गया। सभी देवी-देवताओं ने अपने तेज से एक अत्यंत शक्तिशाली देवी को उत्पन्न किया।

सभी देवी-देवताओं ने अपने शस्त्र देवी को अर्पित किए और देवी महिषासुर का वध करने निकलीं। देवी के भव्य स्वरूप को देखकर महिषासुर भयभीत हो गया। उसने देवी को परास्त करने के लिए अपनी सेना भेजी, लेकिन देवी ने सभी असुरों का अंत कर दिया। अंततः महिषासुर स्वयं युद्ध भूमि में आया। देवी और महिषासुर की लड़ाई नौ दिनों तक चली और नवें दिन देवी ने महिषासुर का वध कर दिया। इस कारण से नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान का वाहन

चैत्र नवरात्रि

इस बार नवरात्रि की शुरुआत और समापन दोनों रविवार के दिन हो रहा है। इससे माता दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आएंगी और इसी पर प्रस्थान करेंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हाथी पर मां का आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समृद्धि, पर्याप्त वर्षा और खुशहाली का प्रतीक होता है।

ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा के वाहन से आने वाले समय की परिस्थितियों का संकेत मिलता है, जिसमें प्राकृतिक घटनाएं, कृषि की उन्नति और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल होते हैं। माता का हाथी पर आगमन सुख-समृद्धि और उत्तम फसल का शुभ संदेश लेकर आता है।

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