हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। वर्ष भर में कुल 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से कुछ का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण व्रत है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए, इस लेख में श्रावण पुत्रदा एकादशी के महत्व, विधि, तिथि और इससे जुड़ी अन्य जानकारियों के बारे में विस्तार से जानें।
श्रावण पुत्रदा एकादशी कब है? (Putrada Ekadashi 2024 Date)
वर्ष 2024 में श्रावण पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त, को पड़ेगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का प्रारंभ 15 अगस्त, शाम 7:14 बजे होगा और इसका समापन 16 अगस्त, शाम 7:14 बजे होगा।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व (Putrada Ekadashi 2024 Significance )
श्रावण पुत्रदा एकादशी का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। आइए, इस व्रत के कुछ प्रमुख महत्वों को समझते हैं:
- पुत्र प्राप्ति का वरदान (Blessing of Son): यह व्रत उन दंपत्तियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो पुत्र की इच्छा रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- पापों का नाश (Destruction of Sins): यह व्रत जन्म और मृत्यु के चक्र में किए गए पापों को कम करने में सहायक माना जाता है। एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति (Attainment of Moksha): हिन्दू धर्म का लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति करना है। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक एकादशी का व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- अन्य लाभ (Other Benefits): इस व्रत के कई अन्य लाभ भी बताए गए हैं। जैसे- ग्रहों की शांति, धन-धान्य की वृद्धि, रोगों से मुक्ति, सुख-समृद्धि में वृद्धि आदि।
श्रावन पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि (Putrada Ekadashi 2024 Puja Vidhi)
श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत को विधि-विधान से करने से ही इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए, इस व्रत को करने की विधि को विस्तार से जानते हैं:
- दशमी तिथि की तैयारी (Preparation on Dashami Tithi): एकादशी के व्रत की तैयारी दशमी तिथि से ही शुरू हो जाती है। दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त से पहले स्नान करके सात्विक भोजन करें। भोजन में लहसुन, प्याज, मांस, मछली और अनाज का सेवन न करें। सात्विक भोजन करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और आगामी व्रत का संकल्प लें।
- एकादशी तिथि के कार्य (Activities on Ekadashi Tithi): एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प दोहराएं।
- पूजा (Worship): पूजा के लिए एक चौकी या आसन बिछाएं और उस पर गंगाजल छिड़कें। फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), तुलसी दल, फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। धूप, दीप जलाएं और भगवान विष्णु की आरती करें। “विष्णु सहस्रनाम” का पाठ करना भी इस दिन विशेष लाभकारी माना जाता है। आप चाहें तो “श्रावण पुत्रदा एकादशी की कथा” भी पढ़ या सुन सकते हैं।
- रात्रि जागरण (Night Vigil): एकादशी की रात में भजन-कीर्तन करें या भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं। रात्रि जागरण करने से व्रत का और भी अधिक फल प्राप्त होता है।
- द्वादशी तिथि (Dwadashi Tithi): एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद स्नान करके पारण करें। पारण का अर्थ होता है व्रत का समापन करना। पारण से पहले किसी ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराना और दक्षिणा देना शुभ माना जाता है। पारण के समय सबसे पहले फलाहार ग्रहण करें। फलाहार में फल, दूध, दही आदि का सेवन किया जा सकता है। इसके बाद आप सामान्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi Story)
श्रावण पुत्रदा एकादशी से जुड़ी एक कथा प्रचलित है, जिसे इस व्रत के दिन पढ़ा या सुना जाता है।
कथा के अनुसार, महाराजा महाबली नामक एक शक्तिशाली राजा थे। उनके कोई संतान नहीं था। पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखते हुए उन्होंने अपने दरबारी गुरु से सलाह ली। गुरु ने उन्हें श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का व्रत रखने का उपदेश दिया। राजा ने विधि-विधान से श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। राजा ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि उन्हें शीघ्र ही पुत्र प्राप्ति होगी। राजा की पत्नी ने भी इस व्रत को रखा और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार, श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत और पूजा करने से राजा महाबली को पुत्र प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
ध्यान देने योग्य बातें (Important Points to Note)
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, जैसे:
- एकादशी तिथि के दिन सात्विक भोजन करें। लहसुन, प्याज, मांस, मछली और अनाज का सेवन न करें।
- पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रहें। मन को शांत रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- यदि आप किसी कारणवश व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो इस दिन उपवास रहकर केवल फल या दूध का सेवन कर सकते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी से जुड़ी मान्यताएं (Shravan Putrada Ekadashi Beliefs)
श्रावण पुत्रदा एकादशी से जुड़ी कुछ मान्यताएं भी प्रचलित हैं, जिनके बारे में जानना रोचक हो सकता है। आइए, उन पर एक नजर डालते हैं:
- भगवान विष्णु का आशीर्वाद : यह माना जाता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- पीपल के पेड़ का महत्व : श्रावण पुत्रदा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में कई देवी-देवताओं का वास होता है और उनकी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- वैवस्वत मनु का श्राप : एक कथा के अनुसार, श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की शुरुआत वैवस्वत मनु द्वारा की गई थी। सप्तर्षियों में से एक ऋषि क्रोधित होकर उन्हें पुत्रहीन होने का श्राप दे देते हैं। बाद में उन्हें इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु की उपासना करने का आदेश दिया जाता है। वैवस्वत मनु श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें पुत्र प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त होता है।
उपसंहार
श्रावण पुत्रदा एकादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को रखने से न केवल संतान सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से निश्चित रूप से आपको जीवन में सफलता प्राप्त होगी।