You are currently viewing Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या 2024 में कब है, जाने तिथि, पूजा विधि और महत्व

Ashadha Amavasya 2024: आषाढ़ अमावस्या 2024 में कब है, जाने तिथि, पूजा विधि और महत्व

आषाढ़ अमावस्या, जिसे गुप्त अमावस्या या योगिनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ती है। इस दिन को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानें कि आषाढ़ अमावस्या 2024 में कब है, इसकी पूजा विधि क्या है, इसका क्या महत्व है और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य कौन-से हैं।

आषाढ़ अमावस्या
Ashadha Amavasya 2024

आषाढ़ अमावस्या 2024 की तिथि (Ashadha Amavasya 2024 Date)

वर्ष 2024 में आषाढ़ अमावस्या शुक्रवार, 5 जुलाई को पड़ रही है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 4 जुलाई की शाम 7 बजकर 47 मिनट से होगा और समापन 5 जुलाई की रात्रि 9 बजकर 41 मिनट पर होगा। हालांकि, पूजा और अनुष्ठान के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है।

आषाढ़ अमावस्या का धार्मिक महत्व (Ashadha Amavasya Importance)

आषाढ़ अमावस्या का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। आइए, इसके विभिन्न धार्मिक महत्वों को गहराई से समझते हैं:

  • पितृ पक्ष की शुरुआत: आषाढ़ अमावस्या से ही सोलह दिनों का पवित्र पितृ पक्ष आरंभ होता है। इस दौरान लोग अपने दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितर पक्ष में किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितरों को संतुष्टि मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • स्नान और दान का महत्व: इस पवित्र दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, या सरस्वती में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, आषाढ़ अमावस्या दान करने का भी उत्तम समय होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
  • पितृ पूजन: आषाढ़ अमावस्या के दिन अपने पितरों का पूजन करना और उनके नाम पर श्रद्धांजलि अर्पित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन पितरों के चित्र या प्रतिमा की स्थापना कर उनका पूजन किया जाता है। साथ ही, तर्पण विधि से जल, दूध, तिल आदि का आह्वान करके पितरों को तृप्त किया जाता है। पितृ मंत्रों का जाप भी इस दिन का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
  • योग और ध्यान: आषाढ़ अमावस्या को आध्यात्मिक चिन्तन और मनन के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस दिन योग और ध्यान करने से मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक विकास होता है।

आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि (Ashadha Amavasya 2024 Puja Vidhi)

आषाढ़ अमावस्या के दिन कुछ खास विधियों से पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं। आइए, इन विधियों को क्रम से जानते हैं:

  1. स्नान और वस्त्र धारण: इस पवित्र दिन की शुरुआत सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से होती है। स्नान के बाद स्वच्छ और सात्विक वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: एक पवित्र और शांत स्थान का चयन करें। वहां एक वेदी बनाएं और उस पर भगवान शिव, पार्वती, गणेश और अपने पितरों की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  3. वेदी का सजावट: वेदी को पवित्र जल से शुद्ध करें और फिर आम के पत्तों या केले के पत्तों से सजाएं। इसके बाद, वेदी पर रंगीन कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान शिव, पार्वती, और गणेशजी को समर्पित पुष्प, धूप, दीपक और फल चढ़ाएं।
  4. आवाहन और स्नान: पूजा करने से पहले पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण) तैयार करें। अब भगवान शिव, पार्वती, गणेश और पितरों का आवाहन करें और उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
  5. अर्चन और वस्त्र: इसके बाद, भगवान शिव, पार्वती, और गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें। साथ ही, उन्हें चंदन का टीका लगाएं और यज्ञोपवीत धारण कराएं।
  6. आषाढ़ अमावस्या पूजन सामग्री: भगवान शिव, पार्वती, और गणेश जी को उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, और भांग चढ़ाएं। पार्वती जी को लाल सिंदूर, वस्त्र, और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। गणेश जी को मोदक, दूब घास, और सिंदूर चढ़ाएं। इसके अलावा, पितरों को जल, दूध, तिल, कुशा और मीठे व्यंजन का भोग लगाएं।
  7. मंत्र जप: पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ पार्वत्यै नमः”, “ॐ गणेशाय नमः” और पितृ मंत्रों का जाप करें।
  8. आरती और प्रदक्षिणा: भगवान शिव, पार्वती, गणेश और पितरों की आरती करें। इसके बाद उनकी प्रदक्षिणा करें।
  9. ब्राह्मण भोजन और दान: पूजा के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने से भी इस दिन का पुण्य फल प्राप्त होता है।
  10. पारण: यदि आप व्रत रख रहे हैं तो सूर्योदय के बाद ही भोजन ग्रहण करें। भोजन सात्विक और शुद्ध होना चाहिए।

आषाढ़ अमावस्या से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

आषाढ़ अमावस्या से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं, जिन्हें जानना आपके लिए रोचक हो सकता है। आइए, उनमें से कुछ पर नजर डालते हैं:

  • कालाष्टमी का संयोग: कई बार आषाढ़ अमावस्या के दिन ही कालाष्टमी का भी संयोग बन जाता है। कालाष्टमी भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।
  • सूर्य ग्रहण का प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होता है, तो इसका विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए दान और पुण्य कर्म का फल कई गुना बढ़ जाता है।
  • आध्यात्मिक साधना का समय: आषाढ़ मास में सूर्य वृश्चिक राशि में विराजमान होते हैं। इस राशि का संबंध मृत्यु और पुनर्जन्म से माना जाता है। इसलिए, आषाढ़ अमावस्या को आध्यात्मिक साधना के लिए भी उत्तम माना जाता है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में परंपराएं: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आषाढ़ अमावस्या को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इस दिन समुद्र में स्नान करने की परंपरा है। वहीं, कुछ क्षेत्रों में लोग अपने पूर्वजों के नाम पर पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं।

उपसंहार

आषाढ़ अमावस्या आध्यात्मिकता और आत्मशुद्धि का पवित्र पर्व है। इस दिन पितरों का स्मरण करके, दान-पुण्य करके, व्रत रखकर और सत्कर्म करके हम अपने जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। आषाढ़ अमावस्या हमें अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। साथ ही, यह दिन हमें दान-पुण्य और सत्कर्म करने की सीख भी देता है।

Leave a Reply