अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह तिथि हर महीने कृष्ण पक्ष के अंत में आती है, जब आकाश में चंद्रमा का दर्शन नहीं होता। अमावस्या का दिन पूर्वजों को समर्पित होता है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान करने से पितृ दोष शांत होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही, यह दिन साधना, ध्यान, और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।
साल 2025 में अमावस्या की तिथियों को ध्यान में रखते हुए आप अपने धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों की योजना बना सकते हैं। आइए जानते हैं साल 2025 में पड़ने वाली अमावस्या तिथियों की सूची।
2025 में अमावस्या तिथियों की सूची (Amavasya Dates 2025)
तिथि | अमावस्या का नाम |
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29 जनवरी, 2025 | दर्श अमावस्या (माघ अमावस्या) |
27 फरवरी, 2025 | दर्श अमावस्या (फाल्गुन अमावस्या) |
29 मार्च, 2025 | चैत्र अमावस्या (दर्श अमावस्या) |
27 अप्रैल, 2025 | दर्श अमावस्या (वैशाख अमावस्या) |
27 मई, 2025 | ज्येष्ठ अमावस्या |
25 जून, 2025 | दर्श अमावस्या (आषाढ़ अमावस्या) |
24 जुलाई, 2025 | दर्श अमावस्या (श्रावण अमावस्या) |
23 अगस्त, 2025 | भाद्रपद अमावस्या |
21 सितंबर, 2025 | दर्श अमावस्या (आश्विन अमावस्या) |
21 अक्तूबर, 2025 | दर्श अमावस्या (कार्तिक अमावस्या) |
20 नवंबर, 2025 | मार्गशीर्ष अमावस्या |
19 दिसंबर, 2025 | दर्श अमावस्या (पौष अमावस्या) |
अमावस्या पर धार्मिक कार्य और लाभ (Amavasya Puja ke Laabh)
अमावस्या का दिन केवल श्राद्ध कर्म और तर्पण तक सीमित नहीं है। इस दिन को ध्यान, साधना और दान के लिए भी आदर्श माना गया है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
श्राद्ध कर्म और तर्पण के माध्यम से पितृ दोष शांत होता है। अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से उनका आशीर्वाद मिलता है, जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
निष्कर्ष
साल 2025 में अमावस्या की तिथियां धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। हर महीने आने वाली अमावस्या को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए। यह दिन पितरों की तृप्ति और उनके आशीर्वाद को पाने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है। श्राद्ध कर्म, तर्पण और दान जैसे कार्यों से जीवन के अनेक संकटों का समाधान होता है। अमावस्या का पर्व हमें अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और उनके आशीर्वाद से जीवन को शुभ बनाने की प्रेरणा देता है।
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